चर्म रोग पहचान एवं उपचार की मिली जानकारी , जिला स्तरीय नेशनल लेप्रोसी इरेडिकेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

Kusht unmulan camp khabargali

जिले के 100 से अधिक चिकित्सा अधिकारी हुए प्रशिक्षित, 29 तक चलेगा कुष्ठ निदान एवं उपचार अभियान

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कोरबा (khabargali)राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत समुदाय में कुष्ठ रोग के संक्रमण को रोकने अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में कोरबा जिले में भी चर्मरोग निदान एवं उपचार अभियान 17 फरवरी से शुरू हुआ। 29 फरवरी तक चलने वाले अभियान के तहत कुष्ठ रोगियों की पहचान और उपचार के लिए 14 से 17 फरवरी तक जिला स्तरीय नेशनल लेप्रोसी इरेडिकेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिले के लगभग 100 से अधिक चिकित्सा अधिकारियों को कुष्ठ रोगियों की पहचान, उपचार और निदान के तरीके बताकर उन्हें प्रशिक्षित किया गया।

जिला कुष्ठ प्रशिक्षण केन्द्र कोरबा में आयोजित कार्यक्रम में जिले के सभी ब्लॉक के मेडिकल ऑफिसर , आरएमओ एवं आरबीएसके चिरायु दल के चिकित्सा अधिकारी हिस्सा लेकर चर्म रोग के कारण, उपचार की जानकारी हासिल की। साथ ही नए कुष्ठ रोगियों की पहचान किस तरह से किया जाए, समुदाय में कुष्ठ रोग की रोकथाम कैसे की जाए, चर्मरोगियों की पहचान कर उनका उपचार किन-किन विधियों से किया जाए और रोगियों की पहचान का रिकार्ड किस तरह से रखा जाए इसकी मुख्य जानकारी प्रशिक्षण के दौरान प्रदान की गई।

जिला कुष्ठ अधिकारी कोरबा डॉ. बी.आर. रात्रे एवं जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. प्रेमप्रकाश आनंद ने इस दौरान प्रशिक्षणार्थियों को मुख्य रूप से कुष्ठ रोगियों का एसेसमेंट करने के साथ ही चिन्हांकित कुष्ठ रोगियों की रिपोर्टिंग कैसे करनी है और रिकार्ड का संग्रहण किस तरह से किया जाना है इसकी बारीकियों से अवगत कराया। साथ ही साथ कुष्ठ रोगी का “जल तेल उपचार “कैसे करना है इसके तरीके भी बताए। अक्टूबर 20 तक का लक्ष्य- जिला कुष्ठ अधिकारी कोरबा डॉ. रात्रे ने बताया भारत सरकार ने कुष्ठ ग्रेड टू विकृति दर को 0 प्रति 10 लाख जनसंख्या अक्टूबर 2020 तक लाने का लक्ष्य दिया है। इसी को देखते हुए चर्म रोग निदान एवं उपचार अभियान (एससीडीसी) प्रदेश के समस्त जिलों में 17 फरवरी से 29 फरवरी तक चलाया जा रहा है। इस दौरान संभावित कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों की त्वरित पहचान एवं पंजीयन, मितानिन एवं पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा घर-घर दस्तक देकर किया जाएगा। इसके साथ ही सभी विकासखंडों में कुष्ठ रोग जांच-खोज अभियान का क्रियान्वयन भी किया जाएगा। इसके पश्चात शिविर लगाकर कुष्ठ पुष्टिकरण कर इलाज सुनिश्चित किया जाएगा।

कुष्ठ रोग और इसके लक्षण- माइकोबैक्टेरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस (Mycobacterium lepromatosis) जीवाणुओं के कारण होने वाली बीमारी है। कुष्ठरोग मुख्यतः श्वसन तंत्र के श्लेष्म और बाह्य नसों के साथ-साथ त्वचा पर घाव इसके प्राथमिक बाह्य संकेत हैं।यदि इसका उपचार नहीं कराया गया तो कुष्ठरोग बढ़ सकता है, जिससे त्वचा, नसों, हाथ-पैरों और आंखों में स्थायी क्षति हो सकती है। शारीरिक विकृति भी इससे संभावित है। (डब्ल्यूएचओ) (WHO) के अनुमान के अनुसार कुष्ठरोग के कारण स्थायी रूप से विकलांग हो चुके व्यक्तियों की संख्या 2 से 3 मिलियन के बीच थी। पिछले 20 वर्षों में, पूरे विश्व में 15 मिलियन लोगों को कुष्ठरोग से मुक्त किया जा चुका है। हालांकि, इसके बावजूद अभी भी पूरे विश्व में भारत (जहां आज भी 1,000 से अधिक कुष्ठ-बस्तियां हैं) , चीन, रोमानिया, मिस्र, नेपाल, सोमालिया, लाइबेरिया, वियतनाम और जापान जैसे देशों में कुष्ठ-बस्तियां मौजूद हैं।