दुःखद: इंदौर में एक बेटी ने इंग्लिश नहीं आने पर कर ली आत्महत्या, हम समाज में ऐसी सोच विकसित होने से बचाएं

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सशिसं विद्या भारती ने रखा अपना पक्ष

रायपुर (khabargali) इंदौर में पेनपुर गोगांवा खरगोन निवासी 19 वर्षीय दीप्ति मंडलोई ने महज इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उसे ठीक से इंग्लिश भाषा नहीं आती थी। इंजीनियर प्रथम वर्ष की इस छात्रा के साथी उसकी इस कमजोरी पर मजाक उड़ाते थे। पिछले वर्ष नवम्बर को ऐसा ही एक मामला आया था इंदौर के न्यू गौरी नगर में रहने वाली 18 साल की शैल कुमारी (खुशी) ने अपनी इंग्लिश कमजोर होने के कारण खुद को फांसी लगा ली। शैल एयर होस्टेस की ट्रेनिंग कर रही थी, परंतु कमजोर इंग्लिश के वजह से अपने होने वाले इंटरव्यू में खुद को नाकाम मान बैठी और उसके पहले ही खुद को फांसी लगाकर खुद को मौत के घाट उतार लिया।

 देश में हम यह कैसा समाज खड़ा कर रहे हैं जहां लोगों की मानसिकता अभी भी अंग्रेजों की भाषा की गुलाम है। ऐसी विद्रूप मानसिकता और माहौल कि अब इस देश में इंग्लिश नहीं जानने वालों को आत्महत्या करना पड़ रहा है। इस पर चिंतन मनन समीक्षा की जरूरत है।

सरस्वती शिशु मंदिरों को संचालित करने वाली विद्या भारती ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। इस पर दुख जताते हुए समाज को सीख लेने की अपील की है। सशिसं संवाद विभाग और इंग्लिश टीचर्स मास्टर ट्रेनर संस्कार श्रीवास्तव ने संबंधित बच्ची और उनके परिवार के प्रति शोक संवेदना प्रकट करते हुए अन्य सभी पालकों, शिक्षक शिक्षाविद छात्र-छात्राओं और उनके संगठनो आदि से निवेदन किया है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजी को लेकर इस तरह की मानसिकता और सोच को विकसित ना होने दें।

हमारा देश बहुतसंख्य हिंदी बोलने वालों का देश है। हिंदी हमारी मातृभाषा हमारी सांस्कृतिक पहचान है। यह सही है कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक कैरियर निर्माण वाले समय में स्पोकन इंग्लिश की उपयोगिता अधिक है‌। लेकिन इस प्रकार का वातावरण बनाकर किसी के लिए निराशा और आत्महत्या की परिस्थितियां बना दी जाएं। यह समाज की बहुत ही ज्यादा निराशाजनक चिंताजनक विचारणीय स्थिति है। यदि समाज चाहता तो इस बालिका को अपनी जीवन लीला समाप्त करने के अमानवीय फैसले से बचाया जा सकता था।

बोलचाल की इंग्लिश को अपनाकर अपना कैरियर निर्माण करना कोई बड़ी बात नहीं है। चंद महीनों की कोचिंग मार्गदर्शन और प्रैक्टिस से हिंदी माध्यम वाले भी इंग्लिश मीडियम स्टूडेंट्स की तरह शानदार इंग्लिश सीख सकते हैं और इस तरह की परिस्थितियों से बचा जा सकता है। सशिसं ने इस बालिका के साथ हुई इस घटना के लिए विशेष रूप से अपनी संवेदनाएं भेजी हैं। इस तरह की घटना दोबारा ना हो इसके लिए स्कूल, कॉलेज, शिक्षक, छात्रों एवं बुद्धिजीवियों को सकारात्मक वातावरण तैयार करना चाहिए।