मानसी चंद्राकर का विचारणीय लेख
ख़बरगली (साहित्य डेस्क) जनरेशन गैप या एज डिस्टेंस के कारण कभी न कभी रिश्तों में दूरियां देखने को जरूर मिलती है। चाहे उसकी वजह या तो संस्कृति, राजनीति, प्रकृति या फिर दैनिक दिनचर्या क्यूं न हो आधुनिक और पौराणिक पीढ़ी के लोगो के मध्य इन बातों में कहीं न कहीं टकराव हो ही जाते हैं।
पौराणिक पीढ़ी, बातों को अनुभव के साथ कहते हैं तो वहीं आधुनिक पीढ़ी के सोचने का नज़रिया बढ़ते साइंस एवं टेक्नोलॉजी के अनुसार होता है। कभी कभी होता है की एक ही बात को लेकर सभी में झगड़े (बहस) शुरू हो जाती है। इसका पहला मुख्य कारण यही है कि लोगो के बीच उम्र का फासला है।
एक प्रौढ़ वर्ग और एक युवा वर्ग दोनो की सोचने समझने की क्षमता काफी अलग अलग होती है। और दूसरा कारण यह भी की सभी की सोच एक जैसी नहीं होती इसका मतलब यह नहीं कोई गलत हो गया। किसी भी बात को देखने और समझने का सबका एक अलग अलग नज़रिया होता है। पर इन्ही कारणों से अक्सर रिश्तों में दूरियां आने लगती हैं।
कभी पिता और पुत्र के बीच विवाद तो कभी पति-पत्नी के बीच। पिता पुत्र के बीच जेनरेशन गैप के कारण झगड़े होते हैं क्योंकि पिता जहां एक ओर स्वयं अनुभव की हुईं बातों को कहते हैं तो वहीं पुत्र अपने नज़रिए पर टिके होते हैं।
वहीं बात करें एक शादी के बंधन की तो आज कल ये भी ज्यादातर नहीं चल रहे एज डिस्टेंस के कारण दोनो के सोचने का नज़रिया अलग हो जाता है और एक दूसरे को समझने की कोशिश ही नहीं करते जिससे रिश्ते टूटने के कगार पर पहुंच जाते है। पहले के समय में लोग उम्र में दूरियां होने के बावजूद अपने रिश्तों को समझदारी से चला लेते थे। पर अब जबरदस्ती के रिश्ते किसी को भी बनाए रखना पसंद नहीं होता। ये सिर्फ़ पिता-पुत्र या पति-पत्नी की ही बात नही। अपितु हर रिश्तों में इन कारणों से दूरियां बनते रिश्ते टूटते देखा जा सकता हैं।
अब सवाल ये आता है कि क्या है इसका समाधान ?
तो इसके लिए बस कोशिश की जा सकती है एक दूसरे के तर्कों को समझने का ये समझने का की "हर बातों को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। तो उनका कहना भी गलत नही है।" अगर इन्ही बातों को समझ जाएं तो बहुत से रिश्तों में दूरियां पहले से कम देखने को मिलेंगी। कोशिश करनी चाहिए एक दूसरे को समझने की न की एक दूसरे को गलत साबित करने की।
- मानसी चंद्राकर,
https://youthwings.in/my-article-how-long-and-good-read/
लेखक यूथ विंग की कंटेंट राइटर हैं
- Log in to post comments