कान्वेंट स्कूल, मदरसा में धार्मिक शिक्षा तो हिंदुओं के स्कूल में सनातन शिक्षा क्यों नहीं ? -स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

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कहा- हमारी मांग हिंदू राष्ट्र की मांग नहीं है, हम रामराज्य की मांग करते हैं

साईं बाबा पर धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री के दिए बयान का समर्थन किया

रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ प्रवास पर पहुंचे ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आज रायपुर प्रवास पर हैं। उन्होंने कहा, हमारी मांग हिंदू राष्ट्र की मांग नहीं है, बिना प्रारूप के उसपर कुछ कहना संभव नहीं है, हम रामराज्य की मांग करते हैं। उन्होंने साईं बाबा पर धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री के दिए बयान का समर्थन किया। कहा - साई बाबा को लेकर दिए गए बयान का हम समर्थन करते हैं।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शिक्षा नीति को लेकर बड़ा बयान दिया है। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, शिक्षा नीति में बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा, मदरसे में जब धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है तो, स्कूलों में हिंदू धर्म की शिक्षा क्यों नहीं दी सकती। हमारी सनातन संस्कृति का जो इतिहास है, उसी तरह स्कूलों में शिक्षा दी जानी चाहिए। कान्वेंट स्कूल, मदरसा में धार्मिक शिक्षा दी जा रही है तो हिंदुओं के स्कूल में सनातन शिक्षा क्यों नहीं दे सकते।

स्वामी जी ने कहा कि ईसाई मिशनरी वाले स्कूलों में प्रार्थना हो सकती है। हिंदू खतरे में है। कहा जाता है हिंदू खतरे में तब होगा जब वो अपने धर्म से दूर जाएगा। स्कूलों में बताया ही नहीं जाता कि आचमन कैसे होगा आरती कैसे होगी, संविधान में कहा गया है कि बहुसंख्यक समाज अपनी धार्मिक शिक्षा स्कूलों में नहीं दे सकते तो पहले तो इसे बदलना होगा। हमें राम राज्य जैसा राष्ट्र चाहिए जहां हर आदमी सुखी रहे। केवल हिंदू राष्ट्र की बात कहने से कुछ नहीं होगा। पहले हिंदू राष्ट्र का प्रारूप तैयार होना चाहिए। कंस और रावण के शासनकाल में भी जनता दुखी थी, केवल राम राज्य ही सर्वोत्तम था।

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