कद्दावर आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कमल को छोड़ हाथ को थामा

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मुख्यमंत्री बघेल ने दिलाई सदस्यता, मरकाम ने किया स्वागत

रायपुर (khabargali) भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कल अपने पार्टी का साथ छोडऩे के बाद आज कांग्रेस का दामन थाम लिया। पार्टी से उनकी नाराजगी बहुत दिनों से चल रही थी और वे पार्टी में भी हासिए पर चले गए थे। इन सबका गुबार कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 100 दिनों की मन की बात के अवसर पर फूट पड़ा और उन्होंने भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए पार्टी छोडऩे का ऐलान कर दिया। उनके द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद इस बात की प्रबल संभावनाएं बढ़ गई थी कि वे कांग्रेस के साथ हाथ मिलाएंगे और आज कांग्रेस की विधिवत सदस्यता लेते हुए उन्होंने इस पर विराम लगा दिया।

ढोल-नगाड़ों के साथ हुआ राजीव भवन में स्वागत

साय सोमवार की सुबह करीब 11 बजे के आसपास कांग्रेस में शामिल होने के लिए अपने प्रशंसकों के साथ राजीव भवन पहुंचे। जहां कांग्रेस मुख्यालय में नंदकुमार साय का जोरदार ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत किया गया। नंदकुमार साय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की उपस्थिति में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। इस अवसर पर राजीव भवन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों के साथ अनौपचारिक चर्चा करते हुए कहा कि नंदकुमार साय को जहां पहुंचना था वे वहां पहुंच गए। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम सहित पार्टी के तमाम दिग्गज नेता साय के कांग्रेस प्रवेश के दौरान वहां पर मौजूद रहे।

मान-मनौव्वल का हुआ भरकस प्रयास

इससे पूर्व भाजपा से इस्तीफा देने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय को मनाने के लिए राजी करने के लिए उनके घर गए थे लेकिन मान-मनौव्वल के बाद भी वे फिर से भाजपा में वापसी के लिए तैयार नहीं हुए। भाजपा नेताओं के वापस लौटने के बाद साय ने सोशल मीडिया पर एक कविता पोस्ट की है, जिसमें आदिवासी समाज के हित को सर्वोपरि रखने की बात कही है।

अटल जी की पार्टी आज उस रूप में नहीं- साय

आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने अपनी व्यथा कि कथा पत्रकारों के समक्ष बखान की। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना जिस उद्देश्य व सोच को लेकर की थी उसका पूरा स्वरुप ही अब बदल गया है। अटल बिहारी को फॉलो करता था। वह भारत माता के लिए कहते थे कि भारत एक जीता जागता राष्ट्र है। अटल जी की पार्टी आज उस रूप में नहीं है। परिस्थितियां बदली हुई दिखती है। उन्होंने कहा कि पार्टी छोडऩे का यह निर्णय मेरे लिए काफी कठिन और अद्वितीय निर्णय है। भाजपा का स्वरूप आज बचा नहीं है। भाजपा में मुझे किसी दायित्व में नहीं रखा गया। पद की जरूरत नहीं है, लेकिन आम लोगों का काम भी नहीं दिखता है। जनहित के काम करने के लिए समर्थ और समर्पित दल में शामिल होने का निर्णय लिया।

कहा - नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी, एला न छोड़बे संगवारी का नारा दिल को छू गया

 सरकार का नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी, एला न छोड़बे संगवारी का नारा दिल को छू गया और सनातन चिंतन को यहां नया स्वरूप मिल रहा है। भगवान राम के ननिहाल को संवारा जा रहा है। राम वन गमन पथ बनाया जा रहा है। श्री साय ने कहा कि वर्तमान कांग्रेस सरकार के क्रियाकलापों से गांव और कस्बों की जो तस्वीरें बदली हुई दिखाई दे रही है उससे यह साफ होता है कि सरकार जमीनी स्तर पर दृढ़ता के साथ कार्य कर रही है और मैं इसे काफी बारीकी से देख रहा था।

साय का कांग्रेस में जाना पार्टी के लिए बड़ी क्षति - रमन

भाजपा के राष्टीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने कहा कि पार्टी के लिए बड़ी क्षति है। वरिष्ठ कार्यकर्ता के छोडऩे पर पार्टी को नुकसान तो होता है। उन्हें मनाने के लिए पार्टी के पदाधिकारियों ने लगातार कोशिश की। नंदकुमार द्वारा भूपेश सरकार की प्रशंसा पर रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस में चले गए तो कांगेस के काम से ही प्रभावित होंगे।

कांग्रेस के खिलाफ जीवनभर लड़कर बने बड़े नेता, अब उसी में शामिल - अरूण साव

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि नंदकुमार साय का कांग्रेस में शामिल होना सोचने का विषय है। हालांकि जिस कांग्रेस पार्टी के खिलाफ जीवनभर लड़-लड़कर वो इतने बड़े नेता बने आज उसी पार्टी में शामिल हो गए। यह दुभाग्यपूर्ण है। भाजपा ने उन्हें लगातार मान-सम्मान दिया है। आदिवासी नेता के कांग्रेस जाने से आदिवासियों में भाजपा के भरोसे के सवाल पर साव ने कहा कि आदिवासी समाज का भाजपा पर हमेशा से विश्वास रहा है। भाजपा ने लगातार आदिवासी समाज को सम्मान देने का काम किया है।

 

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