रायपुर (khabargali) नागपुर-झारसुगुड़ा दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे की ऐसी पहली रेल लाइन होगी, जिस पर 130 किमी प्रति घंटा की गति से ट्रेनें दौड़ेगी। इसी रेल ट्रैक को अब आधुनिक 'कवच' सिस्टम से लैस करने के लिए 292 करोड़ का टेंडर रेलवे ने जारी किया है। ये कार्य हो जाने पर 614 किमी के ट्रेक सेक्शन पर ट्रेनें आमने-सामने आने के बावजूद दुर्घटनाग्रस्त नहीं होंगी।
नागपुर-रायपुर-बिलासपुर-झारसुगुड़ा सेक्शन के रेलवे ट्रैक को हाईस्पीड की कसौटी पर तैयार किया गया है। दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे की यह मुख्य हावड़ा-मुंबई रेललाइन है, जिस पर हर 10 मिनट में ट्रेनें दौड़ रही हैं। इसलिए सबसे पहले रेलवे की सुरक्षा कवच तकनीक इस ट्रेक पर लाने का तय हुआ है। इसी तकनीक का रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव ने वर्ष 2022 में डेमो पेश किया था। पिछले एक साल में कई रेल दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
कवच उपकरण, भवन, टावर व ओएफसी के कार्य होंगे
नागपुर-झारसुगुडा के 614 किलोमीटर के रेलखंड पर कवच प्रणाली के लिए 292 करोड़ का टेंडर रेलवे ने जारी किया है। दावा किया है कि यह ऑटोमैटिक तकनीक दो ट्रेनों के बीच आमने-सामने टक्कर होने से बचाएगी। निविदा 25 नवंबर तक खोली जाएगी। स्टेशन कवच उपकरण, भवनों का निर्माण, टावरों की स्थापना, ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाने जैसे कार्य शामिल हैं। साथ ही लो-डेन्सिटी नेटवर्क के लिए 1,563 किलोमीटर रूट में कवच प्रणाली लागू करने के विस्तृत एस्टीमेट को भी स्वीकृति दी गई है। इस खंड में निविदा आमंत्रण की प्रक्रिया जारी है।
पटरी पर ऐसे काम करेगा सुरक्षा का 'कवच'
“कवच” एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन) प्रणाली स्वदेशी तकनीक है। जो ट्रेनों की हर पल निगरानी, सिग्नल एवं स्पीड से संबंधित दुर्घटनाओं को रोकने में सक्षम है। इसमें वायरलेस कम्यूनिकेशन तथा सभी स्टेशनों व इंजनों में डिवाइस लगाई जाती है, जिससे कि ट्रेन का इंजन ट्रैक में लगे हुए रेडियो फ्रिक्वेन्सी टैग के जरिए ट्रैक व सिग्नल से ट्रैस कर लेता है। इंजन की डिवाइस (लोको यूनिट) स्टेशन के इंटरलाकिंग सिस्टम, सिग्नल के निर्देश और रेल फाटकों से विवरण लेती है। कम्प्यूटरीकृत सिस्टम होने से ट्रेन की स्पीड सिग्नल की स्थिति के साथ इंटरलॉक होती है।
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