नई दिल्ली (खबरगली) कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि पर चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिए कि देशभर में शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन आदि परिसरों में आवारा कुत्तों को हटाएं और उन्हें निश्चित डॉग शेल्टर में छोड़ा जाए। इन संस्थाओं में कुत्तों का प्रवेश रोकने के लिए बाड़ भी लगानी होगी।
कोर्ट ने हाईवे व एक्सप्रेसवे पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वहां से आवारा मवेशियों को हटाकर बाड़े में भेजने के भी निर्देश दिए। हाईवे पर आवारा पशुओं के मामले में शीर्ष अदालत ने राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से दिए आदेश को देश में लागू कर दिया। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने आवारा कुत्तों के आतंक पर स्वत: प्रसंज्ञान मामले की सुनवाई के बाद यह निर्देश दिए।
बेंच ने आवारा कुत्तों के मामले में सख्ती बरतते हुए राज्यों के मुख्य सचिवों को हिदायत दी कि आदेश की पालना नहीं करने पर उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा। मुख्य सचिवों से 3 सप्ताह में हलफनामे पर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी गई है। अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी।
आवारा पशुओं पर यह निर्देश: पीठ ने नगरपालिका, परिवहन व अन्य विभागों को संयुक्त अभियान चलाकर हाईवे व एक्सप्रेस-वे से आवारा पशुओं को हटाने और आश्रय स्थलों पर भेजने के निर्देश दिए। हाईवे पर पशु रोकने को डेडिकेटेड गश्ती दल बनाकर 24 घंटे काम करने व सूचना पर कार्रवाई करने को भी कहा। पीठ ने हाईवे पर जगह-जगह हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित करने बड़े अफसरों को नियमित निगरानी करने के आदेश दिए।
कुत्तों पर निर्देश
शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों आदि संस्थागत क्षेत्रों में नगरपालिका आठ सप्ताह में बाड़ लगाकर कुत्तों का प्रवेश रोकें।
हर संस्था में नोडल अधिकारी हो जिसका विवरण बोर्ड पर प्रदर्शित हो।
कुत्तों को इन संस्थाओं से हटाकर टीकाकरण व बधियाकरण कर शेल्टर होम में छोड़ें।
हर तीन माह में अफसर व्यवस्था का निरीक्षण करें।
अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन का स्टॉक हो।
पशु कल्याण बोर्ड चार सप्ताह में आवारा कुत्तों के काटने की रोकथाम की एसओपी जारी करे।
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