फाइन आर्टस के नए रूपों से परिचय करा रहा सांधना ढांढ़ का "कला साधना संस्थान"

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रेजिन से खूबसूरत कलाकृतियां सिखाने राजधानी में लगी कार्यशाला

सांधना ढांढ़, पेंटिंग और फोटोग्राफी, कला साधना संस्थान, रेजिन आर्ट, संचल भोजवानी, रायपुर, ख़बरगली

रायपुर (khabargali) चलने फिरने और सुनने में असमर्थ सुश्री सांधना ढांढ़ ने रंगों को अपना साथी चुना और कला के क्षेत्र में उन्होंने लंबी दूरी तक कर ली है। रायपुर में वे पिछले 40 सालों से कला की सेवा कर रहीं हैं और लोगों को पेंटिंग और फोटोग्राफी सिखा रही हैं। कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित सुश्री साधना ढांढ अब कला के नये स्वरूपों से लोगों का परिचय करा रही हैं। उनके द्वारा संचालित कला साधना संस्थान के माध्यम से आयोजित कार्यशाला में आज रेजिन से बने खूबसूरत वस्तुओं को बनाने का प्रशिक्षण लोगों को दिया गया। जिसमें रेजिन आर्ट से साधारण ट्रे से लेकर उम्दा घड़ियां बनाना सिखाया गया।

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इस कार्यशाला में 30 महिलाओं ने भाग लिया जिन्हें रेजिन आर्टिस्ट श्रीमती संचल भोजवानी ने रेजिन आर्ट् बनाने के साथ उसकी बारीकियों से अवगत कराया। सुश्री ढ़ंाढ ने बताया कि वे पिछले 40 सालों से फाइन आर्टस और हॉबी क्लास चला रही हैं। पिछले तीन सालों से फाइन आटर््स में आर्ट एण्ड एप्रीसिएशन डिप्लोमा कोर्स भी चालू किया गया है, जो इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से मान्यता प्राप्त हैं। इसके साथ उनका प्रयास है कि विद्यार्थी कला के नये क्षेत्रों को भी जाने और प्रगति करें इसके लिए अलग-अलग तरह के वर्कशॉप लगाए जा रहे हैं। नई तरह की कला और विद्याएं सीख कर बच्चे अपना काम शुरू कर सकते हैं। रेजिन आर्ट भी इसी तरह का नया कोर्स है, इससे आगे विद्यार्थियों को बहुत फायदा होगा। इसी तरह आगे भी कई वर्कशॉप लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कला की कोई सीमा नहीं, समय के साथ नयी कलाएं अपने नये कलेवर के साथ आती हैं, जिसे प्रोत्साहन की जरूरत है। कलाकार अपनी कल्पना से कला के कई आयाम तैयार कर सकता है।

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आर्टिस्ट श्रीमती संचल ने बताया कि रेजिन आर्ट में कई तरह की सावधानी रखने की जरूरत है लेकिन बनने के बाद यह बहुत ही खूबसूरत लगता है। इससे छोटे छोटे ज्वेलरी, सजावटी समान के साथ उपयोग में लाए जाने वाले सामान जैसे ट्रे, टेबल भी बनाए जा सकते हैं इसमें रेजिन और रंगों और एडेसिव का उपयोग किया जाता है।