
राज्य के पहले खेल संचालक राजीव श्रीवास्तव ने अपने कार्यकाल के दौरान श्री डेकाते के कर्मठ और कल्पनाशील कार्यों की स्मृतियां साझा करते हुए दी श्रद्धांजलि
रायपुर (खबरगली) खेल और युवा कल्याण विभाग को एक गहरा आघात पहुंचा है। सहायक संचालक राजेंद्र डेकाते का 11 जुलाई को सुबह रायपुर के मेडिशाइन हॉस्पिटल में इलाज के दौरान दुःखद निधन हो गया। वे कुछ दिनों से अस्वस्थ थे और अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए रायपुर रेफर किया गया था।
खेलप्रेमियों में शोक की लहर
राजेंद्र डेकाते के निधन की खबर फैलते ही जगदलपुर सहित पूरे बस्तर अंचल में शोक की लहर दौड़ गई। खेल से जुड़े अधिकारी, प्रशिक्षक और खिलाड़ी स्तब्ध हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
व्यक्तित्व और कार्य की छोड़ी छाप
राजेंद्र डेकाते पिछले सात वर्षों से जगदलपुर में सहायक संचालक पद पर पदस्थ थे। और इस दौरान उन्होंने क्षेत्र के खेल विकास में अहम भूमिका निभाई। उनके मार्गदर्शन में कई प्रमुख खेल प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया, जिससे बस्तर क्षेत्र में खेल सुविधाओं के विस्तार को गति मिली। उनकी कार्यशैली और समर्पण के कारण वे न केवल विभागीय अधिकारियों के बीच सम्मानित थे, बल्कि क्षेत्र के खिलाड़ियों और युवाओं के बीच भी प्रेरणास्रोत बने हुए थे। डेकाते एक ऐसे अधिकारी थे, जिन्होंने सीमित संसाधनों के बीच भी खेल अधोसंरचना को मजबूत करने का बीड़ा उठाया। उनके प्रयासों से कई खेल मैदानों और स्टेडियमों का जीर्णोद्धार हुआ, साथ ही बस्तर के ग्रामीण अंचलों से खिलाड़ियों को मुख्यधारा में लाने का काम भी उन्होंने बखूबी किया।उनका अचानक जाना बस्तर के खेल विकास को एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है।
उनके निधन पर खेल और युवा कल्याण विभाग, स्थानीय प्रशासन एवं क्षेत्रीय खेल संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। राज्य के पूर्व खेल संचालक और पूर्व पुलिस महा निरीक्षक राजीव श्रीवास्तव ने श्री डेकाते को श्रद्धांजलि देते हुए उनके व्यक्तित्व पर यह कहा है -
अद्भुत परिश्रमी कर्मठ कल्पनाशील खेल अधिकारी रहे श्री डेकाते : राजीव श्रीवास्तव
राजेंद्र डेकाते जी के बारे में जो भी लिखूं कम है ....अद्भुत प्रतिभा के धनी अद्भुत परिश्रमी कर्मठ कल्पनाशील खेल अधिकारी रहे वे... राज्य का पहला खेल संचालक होने पर मुझे खेल संचालनालय स्थापना के प्रसव काल का वह दौर याद है जब छत्तीसगढ़ खेल युवा कल्याण संचालनालय के पास ना तो संसाधन थे ..ना वहां ना फर्नीचर ..नए स्टेशनरी और ना ही कोई अपना खेल संचालनालय भवन था .. 2001 से 2006 के अपने कार्यकाल में खेल अधिकारी राजेंद्र डेकाटे राजेंद्र जी के अथक निरंतर परिश्रम सहयोग को कभी नहीं भूल पाऊंगा और खेल संचालनालय छत्तीसगढ़ शानदार तरीके से स्थापित हुआ ..संचालित हुआ और छत्तीसगढ़ के खेल खिलाड़ी जगत को क्या लाभ हुआ... आप सभी जानते हैं.. मैं राजेंद्र जी का इतनी कम उम्र में दुनिया से दूर चले जाने की घटना को बहुत ज्यादा कष्टदाई पा रहा हूं... उनके परिवार के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ..बस्तर क्षेत्र के अत्यधिक प्रतिभावान खिलाड़ियों को यह सीधा नुकसान हुआ है..... ईश्वर उनकी दिव्य आत्मा को उच्चतम स्थान प्रदान करेंगे ....हम सब उनके शोक संतप्त परिवार को संबल देने सदैव साथ है।
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