राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की पीईकेबी खदान ने वृक्षारोपण में रचा नया कीर्तिमान

PEKB mine of Rajasthan State Electricity Generation Corporation Limited created a new record in tree plantation, five star mine awarded from Coal Ministry Parsa East Kanta Basan, Ambikapur, Chhattisgarh, Khabargali

अंबिकापुर (khabargali) राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RRVUNL) की कोयला मंत्रालय से पुरस्कृत पांच सितारा खदान परसा ईस्ट कांता बासन (पीईकेबी) ने वृक्षारोपण में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। पीईकेबी खदान के रेकलैम्ड क्षेत्र में अक्टूबर 2023 तक 90 प्रतिशत से अधिक सफलता की दर के साथ में 11.50 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं। यह भारत के खनन उद्योग में अब तक का सबसे बड़ा वृक्षारोपण अभियान है।

इसके अलावा पीईकेबी खदान ने वन विभाग के मार्गदर्शन में वर्ष 2023-24 में इस अभियान के तहत अब तक 2.10 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं जो कि बीते 10 वर्षों की तुलना में कई गुना ज्यादा पेड़ लगाने का नया कीर्तिमान रचा है। जिसमें मुख्य तौर पर ‘साल’ के वृक्षों का रीजनरेशन जो की बहुत ही मुश्किल प्रक्रिया है, में भी अभूतपूर्व सफलता हासिल कर लगभग 1100 एकड़ से ज्यादा भूमि को ‘साल’ और अन्य वृक्षों का रोपण कर एक नया घना और मिश्रित जंगल तैयार किया है।इसके अलावा जर्मनी से आयातित एक खास ट्रांसप्लांटर मशीन द्वारा नौ हजार से अधिक साल के वृक्षों का सफल प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांटेशन) भी किया है।

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मियावाकी तकनीक का उपयोग 

वृक्षारोपण के इस अभियान के अंतर्गत शुरुवाती तौर पर लगभग तीन हेक्टेयर क्षेत्र में मियावाकी तकनीक से सघन वन उगाने के लिए 84,000 पेड़ लगाए गए हैं, 7 से 8 माह पहले एक से डेढ़ फुट के पौधे लगाए गए थे जो अब अपनी प्रजाति के अनुसार 4 से 6 फुट के हो गए हैं। मियावाकी तकनीक घने जंगल उगाने का एक बेहतरीन जापानी तरीका है। मियावाकी जंगल को खास प्रक्रिया के जरिए उगाया जाता है, जिसमें 55% से 60% पौधे उसी क्षेत्र के मूल प्रजाति के लगाए जाते हैं। ताकि ये हमेशा हरे-भरे रहें और एक सघन जंगल बन जाएं। जंगल उगाने के इस खास तरीके को जापान के बॉटेनिस्ट अकीरा मियावाकी ने खोजा था। जहां सामान्य तरीके से वृक्षारोपण में 1 हेक्टेयर में 2500 पेड़ लगाए जाते हैं, वहीं इस तकनीक से 1 हेक्टेयर में 30000 से 35000 पेड़ लगाए जाते हैं।

उपरोक्त प्रक्रिया का कियान्वयन गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के उद्यानिकी विभाग के विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। खदान के उद्यान विभाग के प्रभारी राज कुमार पाण्डे ने कहा कि, “यहां के सफल अनुभव के आधार पर अन्य राज्यों की खदानों में भी ‘साल’ के वृक्षों के पौधों की नर्सरी बनाई जा रही हैं। क्षेत्र की जैव विविधता को बनाए रखने के उद्देश्य से पीईकेबी खदान में एक आधुनिक नर्सरी बनाई गई है, जहां ‘साल’ के साथ-साथ साजा, बीजा, हल्दी, मुंडी, अर्जुन, महुआ, पीपल, बरगद, आम (बीजू), कुम्ही, नीम, शीशम, भेलवा, कटहल, शिशु, और जामुन इत्यादि सहित कई प्रकार के पौधे तैयार किए जाते हैं। इस नर्सरी में वर्ष के किसी भी समय में लगभग 3 लाख पौधे रोपण के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं।”

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पीईकेबी खदान के पास के परसा गांव में रहने वाले कृष्ण कुमार नेती जो पिछले 9 वर्षों से यहाँ की उद्यान विभाग में कार्यरत हैं ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताते हैं, कि “हम बचपन से सुनते आ रहे थे कि साल के पेड़ों को जंगल से बाहर नहीं उगाया जा सकता। उन्हें यकीन नहीं था फिर भी वो शुरुआत में साल के बीजों को जंगल से उठा कर उसकी नर्सरी तैयार करने के लिए लाते रहे। लेकिन हमें आश्चर्य तब हुआ जब उसमें पौधों का आना शुरू हुआ और आज इन पौधों को भूमि में रोपण करने के बाद अब 20-20 फुट के पेड़ बन चुके हैं। जो पौधे हमने अपने हाथों से लगाए थे उनको पेड़ बनते हमने अपनी आंखों से देखा है, जो आज बड़े होकर एक नये जंगल का रूप ले चुके हैं।“

पिछले दिनों छत्तीसगढ़ दौरे पर आए RRVUNL के सी एम डी श्री आर के शर्मा ने पत्रकार वार्ता में बताया “एक पेड़ काटने के बदले दस पेड़ लगाए गए हैं। यहाँ पर 4 लाख पेड़ तो उत्पादन निगम लगवा चुका है और वो सारे के सारे बड़े पेड़ों में डेवेलप हो गए हैं और कम से कम उनचालिस लाख पेड़ हम वन विभाग वालों के साथ मिलकर लगवा चुके हैं। और भी हमें जो आदेश मिलेगा हम कहीं भी पीछे नहीं हैं। फॉरेस्टेशन और इकोलॉजीक बैलेंस देश की आवश्यकता है, वह हमें मेन्टेन करना चाहिए और उसके लिए हर संभव प्रयास उत्पादन निगम कर रहा है।“ इसी के साथ पीईकेबी खदान का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में क्षेत्र में और ज्यादा पेड़ लगाकर हरिहर छत्तीसगढ़ का निर्माण किया जाए।

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