
देहरादून (खबरगली) चारधाम और हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा के लिए अब श्रद्धालुओं को कठिन चढ़ाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने दो रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्यमंत्री अजय टम्टा की उपस्थिति में उत्तराखंड सरकार और नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
एनएचएलएमएल सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की विशेष इकाई है। इस समझौते के तहत सात हजार करोड़ रुपए की लागत से दो अत्याधुनिक रोपवे बनाए जाएंगे। इस समझौते में एनएचएलएमएल की 51 फीसदी और उत्तराखंड सरकार की 49 फीसदी इक्विटी भागीदारी होगी। इन परियोजनाओं से न केवल यात्रा सुगम होगी, बल्कि राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
पहला रोपवे
दूसरा रोपवे
सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक 12.9 किलोमीटर लंबा होगा, जिस पर लगभग 41०० करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह रोपवे ‘ट्राइ केबल डिटैचेबल गोंडोला (3एस)’ तकनीक पर आधारित होगा, जो इसे बेहद सुरक्षित माना जाता है। अभी गौरीकुंड से केदारनाथ तक 16 किमी कठिन चढ़ाई में 8 से 9 घंटे का समय लगता है, लेकिन इस रोपवे के बनने के बाद यह सफर महज 36 मिनट में पूरा होगा।
यह रोपवे गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर लंबा होगा, जिस पर 2700 करोड़ रुपए खर्च होंगे। अभी तीर्थयात्रियों को गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 21 किमी की मुश्किल चढ़ाई चढ़नी पड़ती है, जो रोपवे से आसान हो जाएगी।
क्षमता: इस रोपवे की प्रति घंटे 1800 यात्रियों को लाने-ले जाने की होगी, जिससे प्रतिदिन करीब 18000 श्रद्धालु यात्रा कर सकेंगे।
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