
अयोध्या (खबरगली) देशभर में आज रामनवमी का पर्व भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में रामनवमी की परंपराएं और पूजा विधियां भले ही अलग हों, पर भाव एक ही है… मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को जीवन में उतारना.
अयोध्या
रामनगरी में चहुंओर आराध्य के जन्मोत्सव की खुशी है. उत्सव मनाने के लिए अयोध्यावासी ही नहीं अपितु सकल प्रदेश और देशवासी उत्सुक रहे. भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में यह पर्व राजकीय उत्सव होता है. लाखों श्रद्धालु सरयू स्नान कर रामलला के दर्शन करते हैं. राम जन्म की लीला, भव्य झांकियां, शोभायात्राएं और कन्याभोज यहां की प्रमुख परंपराएं हैं. यूपी के अयोध्या में रामनवमी के अवसर पर खूबसूरत नजारा देखने को मिला. चारों तरफ राम भक्तों की भीड़ दिख रही थी. रविवार को सुबह से राम मंदिर परिसर में विविध कार्यक्रम शुरू हो गए. दोपहर में ठीक 12 बजे भगवान सूर्य ने रामलला के ललाट पर तिलक किया. इस मौके का साक्षी बनने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचे. आने वाले भक्तों पर ड्रोन से सरयू के पवित्र जल की फुहारों से बारिश कराई गई. रामनगरी में भक्तों की कतारें लगी रहीं. दूर-दूर से श्रध्दालु रामलला के जन्मोत्सव को मनाने के लिए अयोध्या पहुंचे. सरयू नदी में स्नान करने के बाद भक्तों ने रामलला के दर्शन किए.
15 स्कूलों के बच्चों ने सरयू नदी के चौधरी चरण सिंह घाट पर शाम के समय पहुंचकर दीपोत्सव का आयोजन किया. 15 स्कूल के बच्चों ने मिलकर घाट पर 2 लाख दिये जलाए. दीयों की रोशनी से पूरा सरयू घाट जगमगाता दिखाई दिया. भारी संख्या में पहुंचे लोग इस दृश्य के गवाह बने. सरयू घाट के नजारे को हर किसी ने कैमरे में कैद किया. इस कार्यक्रम का आयोजन पर्यटन विभाग की तरफ से किया गया था. नगर विधायक ने दीप जलाकर दीपोत्सव की शुरुआत की. रामजन्म भूमि मुख्य द्वार को भी फूलों से सजाया गया और घाट को रंग-बिरंगे लाइटों से सजाया गया, जिस कारण आसपास का नजारा और भी ज्यादा खूबसूरत दिख रहा था. इस दौरान माता सरयू की विशेष आरती की गई. सरयू घाट पर शाम की आरती के समय भीड़ उमड़ पड़ी और पैर रखने तक की जगह नहीं बची. भक्तों ने इधर-उधर बैठकर गंगा आरती का लुत्फ उठाया और मां गंगा की पूजा की. बाद में सरयू घाट पर 2 लाख दिए जलाकर दीपोत्सव मनाया गया. भारी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं को देखते हुए ड्रोन से सरयू घाट पर नजर रखी जा रही है. भारी संख्या में पुलिस बल भी मौके पर तैनात रहा और शख्त निगरानी रखी.
बिहार (बक्सर और मिथिला)
बक्सर में राम के गुरुकुल जीवन की स्मृति में आयोजन होते हैं, जबकि मिथिला में सीता-राम विवाह की झलक देखने को मिलती है. झांकियों, कीर्तन और रामचरितमानस पाठ के साथ यह पर्व सांस्कृतिक रंग भी बिखेरता है.
मध्यप्रदेश (ओरछा)
यहां भगवान राम को “राजा राम” के रूप में पूजा जाता है. ओरछा का रामराज्य आज भी जीवंत प्रतीत होता है. रामनवमी पर विशेष राजकीय दरबार, भव्य आरती और शोभायात्रा का आयोजन होता है.
दक्षिण भारत
यहां रामनवमी को ‘राम कल्याणोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है. मंदिरों में रामायण पाठ, प्रवचन, भजन संध्या और भगवान राम-सीता के विवाह की रस्में होती हैं. महाराष्ट्र# रामनवमी नवरात्रि के अंतिम दिन आती है, इसलिए यहां शक्ति उपासना के साथ-साथ रामकथा, शंखध्वनि और भजन-पूजन का आयोजन होता है.
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