
तीन सालों में राज्य जो शराब बिकी उसमें तीस से चालीस फीसदी अवैध शराब थी
नकली बोतलों में डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर शराब दुकानों से बेचे गए
राजनीतिक अधिकारियों और वरिष्ठ नौकरशाहों के लिए काम करता था सिंडिकेट
ईडी अफसरों ने अनवर ढेबर से पूछताछ के बाद कई खुलासे किए , जल्द कई और खुलासे होने की बात भी कही
रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने रायपुर महापौर एजाज के भाई अनवर ढेबर को गिरफ्तार कर 4 दिनों की रिमांड पर रखा है. रविवार को ईडी ने एक विज्ञप्ति जारी कर कई खुलासे किए हैं. इसमें बताया गया है कि उसने राजनीतिक पहुंच का लाभ उठाकर उसने बड़ा आपराधिक सिंडिकेट बना रखा था. उनके जरिए कई बड़े आबकारी अफसरों और विपणन संघ से साठगांठ कर सरकारी शराब की बिक्री के समानांतर उन्हीं दुकानों में अवैध शराब की बिक्री, सप्लायरों व डिस्टीलरी, बॉटल कंपनियों आदि से कमीशन आदि के जरिए 3 सालों में 2000 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई है.इसके लिए तीन अलग-अलग तरीके अपनाए गए.अनवर ढेबर की वजह से यह संभव हुआ, लेकिन वह इस 2000 करोड़ रुपए का इकलौता मालिक नहीं था.
ईडी का दावा है कि कुछ प्रतिशत की कटौती के बाद शेष राशि उसने राजनीतिक आकाओं को दी. ईडी ने कहा कि मार्च के महीने में कई जगहों पर तलाशी ली गई और इस पूरी प्रक्रिया में शामिल विभिन्न व्यक्तियों के बयान दर्ज किए गए हैं. 2019 से लेकर 2022 के बीच हुए इस अभूतपूर्व भ्रष्टाचार और धनशोधन के सबूत इकट्ठे किए गए हैं. चार दिनों की कस्टडी के दौरान कई और खुलासे होने की बात भी कही गई है, जिसका खुलासा जल्द होने की बात कही गई है. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी अनिल टुटेजा और शराब कारोबारी अनवर ढेबर अवैध शराब सिंडिकेट के सरगना हैं.
बता दें कि ईडी ने अनवर ढेबर को बीते 6 मई को छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले के मामले में धन-शोधन निवारण अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था. कोर्ट में पेश करने के बाद ईडी के अफसर उसे 4 दिनों के लिए रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रहे हैं.
2019 से 2022 के बीच दिया अंजाम
ईडी की ओर से कहा गया है कि वर्ष 2019-20, 2020-21 व 2021-22 में इस तरह की अवैध बिक्री हुई। राज्य में इस दौरान जो शराब बिकी उसमें तीस से चालीस फीसदी अवैध शराब थी। इससे 1200-1500 करोड़ रुपए का अवैध मुनाफा हुआ. इसके अलावा डिस्टलरी लाइसेंस समेत वे काम जो सीएसएमसीएल द्वारा नियंत्रित थे, उनके जरिए अवैध वसूली हुई और इस तरह करीब 2000 करोड़ रुपए कमाए गए.
अनवर के सिंडिकेट का कब्जा
अनवर ढेबर छत्तीसगढ़ में संगठित आपराधिक सिंडिकेट चला रहा था. वह कई बड़े नेताओं और सीनियर अफसरों की शह पर इन्हें अंजाम दे रहा था. इसी गठजोड़ का फायदा उठाकर उसने एक ऐसा नेटवर्क बना रखा था जिसके जरिए प्रदेश में बिक रही शराब की प्रत्येक बोतल से अवैध रूप से पैसा वसूल किया जाता था. राज्य में राजस्व का सबसे बड़ा जरिया शराब में वसूली जाने वाली एक्साइज ड्यूटी है. आबकारी विभाग की जिम्मेदारी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित करने, शराब की गुणवत्ता तय करने और अवैध शराब की सप्लाई पर रोक लगाना है. लेकिन अनवर ढेबर के बनाए सिंडिकेट के चलते इसके विपरीत काम हो रहा था.
प्रदेश में यह है शराब बिक्री का सिस्टम
छत्तीसगढ़ में शराब की खरीदी व सप्लाई से लेकर बिक्री तक में राज्य सरकार का पूरा नियंत्रण है. सभी 800 शराब दुकान राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही है. यहां बिकने वाली शराब की खरीदी छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ की ओर से की जाती है. इसके लिए विपणन संघ टेंडर जारी करता है. जबकि शराब दुकानों में शराब की बिक्री करने के साथ ही बिक्री की रकम जमा करने का काम सरकार द्वारा तय की गई एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराए कर्मचारियों के माध्यम से की जाती है.
लूपहोल का ऐसे उठाया लाभ
ईडी के मुताबिक अनवर ढेबर ने एक ऐसा संगठित अपराधिक सिंडिकेट बनाया, जिसने शराब व्यवसाय के प्रत्येक चरण पर अपने व्यक्ति फिट कर दिए। उसने एक आज्ञाकारी आयुक्त और एमडी नियुक्त कराया। अनवर ढेबर का सिंडिकेट निजी डिस्टलर्स, एफएल-10ए लाइसेंसधारकों, मैन पॉवर, सप्लायर्स, आबकारी के वरिष्ठ से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारी, गिलास-बॉटल मेकर, होलोग्राम मेकर, कैश कलेक्शन वेंडर, इन सब पर नियंत्रण रखता था. यानी टॉप टू बॉटम हर जगह किरदार या तो अनवर ढेबर के थे या सीधे नियंत्रण में थे. उनके जरिए वह शराब की खरीदी से लेकर शराब उत्पादकों, लाइसेंस धारकों, आबकारी विभाग के अफसरों, जिले के आबकारी अधिकारियों, बिक्री कराने वाली एजेंसी, शराब की बॉटल उपलब्ध कराने वाले वेंडर आदि से कमीशन वसूल करने लगा.
इन तीन तरीकों से सिंडिकेट इस तरह कमा रहा था 2000 करोड़
1. अनवर का बनाया सिंडिकेट शराब की क्वालिटी व कीमत के अनुसार 75 से लेकर 150 रुपये तक की वसूली उन सप्लायरों से कर रहा था, जिन्हें विपणन संघ ने तय किया था.
2. अनवर ढेबर ने विभिन्न लोगों के साथ साजिश रची और अवैध तरीके से देशी शराब बनवाकर उसकी बिक्री सरकार द्वारा संचालित दुकानों के जरिए कराया. इसके लिए नकली होलोग्राम और नकली बॉटल का उपयोग किया गया. शराब फैक्ट्रियों से शराब स्टेट वेयरहाउस में जाने के बजाय सीधे दुकानों में भेजा गया. इस तरह राज्य के खजाने को एक रुपए भी देने की जरूरत नहीं थी और पूरी आय रख लेते थे. इस तरह उन्हीं शराब दुकानों में समानांतर रूप से अनवर के सिंडिकेट की शराब की बिक्री की जाती रही. इस अवैध शराब को बेचने के लिए बकायदा प्रशिक्षण दिया गया. इस तरह के अवैध कारोबार के जरिए 2019-20 और 2021-22 में अवैध शराब की खपत राज्य सरकार की शराब की कुल बिक्री की 30 से 40 प्रतिशत थी. इस तरह 1200 से लेकर 1500 करोड़ रुपये तक अवैध कमाई की गई है.
3. शराब वितरकों, डिस्टलरियों व विपणन संघ द्वारा खरीदी गई शराब के लिए सालाना कमीशन भी वसूला गया है. एफएल-10ए लाइसेंसधारकों से कमीशन वसूला गया। इसमें भी कई लाइसेंस उन्हें दिए गए, जो अनवर ढेबर के सहयोगी थे. इस तरह अलग-अलग माध्यमों से कुल 2000 करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है.
35 जगहों पर तलाशी अभियान
ईडी अनवर ढेबर की गिरफ्तारी का ब्यौरा देती है और उसमें भी गंभीर जानकारी देती है. अनवर ढेबर को तलाशने के लिए छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल व दिल्ली में 35 जगहों पर तलाशी अभियान चलाया गया. उसे सात बार समन भेजा गया, लेकिन वो जांच में कभी कभी शामिल नहीं हुए. ईडी ने कहा कि होटल से बेनामी सिम कार्ड, इंटरनेट डोंगल का लगातार इस्तेमाल किया जा रहा था. होटल के जिस कमरे में वे थे, उसकी कोई इंट्री दर्ज नहीं थी.
ईडी का बयान


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