गोलियाथ फ्रॉग शिकार की वजह से लगभग लुप्तप्राय हो चले थे
याओऊंडे (कैमरून)/khabargali आमतौर पर भारत में बरसात के दिनों में जो पीले वाले मेंढक निकलते हैं, उन्हें ही हम वजनदार मानते हैं। ये मुश्किल से आधा किलो या एक किलो वजनी होते होंगे, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मेंढक तीन किलो से ऊपर के भी होते हैं और ये दुनिया के सबसे बड़े मेंढकों में शुमार हैं। हालांकि यह भारत में नहीं बल्कि अफ्रीका में पाये जाते हैं। दुनिया के सबसे बड़े मेंढकों की प्रजाति का नाम गोलियथ है।
हाल ही में बर्लिन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम द्वारा किए गए शोध में इन मेंढकों के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, गोलियथ अपने रहने के लिए खुद ही एक छोटे तालाब का निर्माण करते हैं, यह उनके व्यवहार में शामिल है। कभी-कभी तो ये तालाब का निर्माण करने के लिए दो किलो से भी अधिक वजन वाले पत्थरों को भी हटा देते हैं। इन मेंढकों का वजन 3.3 किलो तक और लंबाई 34 सेंटीमीटर यानी 13 इंच तक होती है।
शोधकर्ता मार्विन शेफ के मुताबिक, ये मेंढक काफी बड़े और वजनदार तो होते ही हैं, साथ ही ये अपने बच्चों की देखभाल भी खास तरीके से करते हैं। ये जिस तालाब में रहते हैं, उसके पानी में झाग बना देते हैं, ताकि कोई जानवर इनके बच्चों को नुकसान न पहुंचा सके। गोलियथ मेंढक की ये प्रजाति अफ्रीकी देश कैमरून और इक्वेटोरियल गिनी में पायी जाती है। दक्षिण अफ्रीका में एम्पुला नदी के किनारे इन मेंढकों की संख्या बहुत ज्यादा है।
शोधकर्ताओं ने 22 ऐसी जगहों की खोज की है, जहां इन मेंढकों के अंडे मौजूद हैं। इनमें से कई जगहों पर करीब 2700-2800 अंडे मौजूद हैं। पश्चिमी अफ्रीका में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया के सबसे बड़े मेढक को बचाने की उनकी कोशिशों के नतीजे निकल रहे हैं। गोलियाथ फ्रॉग का आकार बिल्ली की साइज तक बड़ा हो सकता है। ये धरती पर पाए जाने वाले सबसे बड़े आकार के मेढक हैं। मुख्यत: कैमरून और इक्वेटोरियल गिनी के इलाके में पाया जाना वाला गोलियाथ फ्रॉग शिकार की वजह से लगभग लुप्तप्राय हो चले थे।
पांच साल पहले वैज्ञानिकों ने शिकारियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया कि वे खाद्य स्रोत के रूप में घोंघे की खेती का सहारा लें। कैमरून के जलीय क्षेत्रों में अब इन गोलियाथ मेढकों के नए घर दिखने लगे हैं। ये मेढक इलाके की नदियों में वापस दिखने लगे हैं। वैज्ञानिक दुनिया में गोलियाथ मेढकों के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। यहां तक कि कैमरून के बहुत से स्थानीय लोगों को भी इन मेढकों की उपयोगिता के बारे में जानकारी नहीं है। ये मेढक उन कीड़ों का शिकार करते हैं जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।
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