ब्रेकिंग: हाथरस कांड की रात ही बनाई दंगे की वेबसाइट, हिंसा भड़काने के लिए इस्लामिक देशों से फंडिंग का खुलासा

जस्टिस फॉर हाथरस, बेवसाइट, सोशल मीडिया ,  फेक न्यूज, ख़बरगली,फोटो शॉप्ड तस्वीरों, अफवाहों, एडिटेड विजुअल्स, पीएफआई,  एसडीपीआई, दुरुपयोग,  एब्यूज, justiceforhathrasvictim.carrd.co, एक्टिविस्ट्स, अलगाववाद, इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन,एमनेस्टी इंटरनेशनल, Justice for Hathras, website, social media, fake news, news, photo shopped photos, rumors, edited visuals, PFI, SDPI, abuse, justiceforhathrasvictim.carrd.co, activists, separatism, Islamic fundamentalist organizations, Amnesty International

पढें ' जस्टिस फॉर हाथरस' जैसी वेबसाइट के सभी पहलुओं को

लखनऊ (khabargali) हाथरस कांड की आड़ में उत्तर प्रदेश की योगी और केंद्र की मोदी सरकार को दुनिया भर में बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है. जाँच एजेंसियों ने दावा किया कि इस वेबसाइट https://justiceforhathrasvictim.carrd.co/ का इस्तेमाल 19 साल की लड़की के कथित रेप की घटना के संदर्भ में दंगे कराने, धन इकट्ठा करने और अफवाहें फैलाने के मकसद से किया गया. हाथरस पीड़िता की मौत वाली रात ही यह 'वेबसाइट' बनाई गई. दंगे की इस वेबसाइट के तार एमनेस्टी इंटरनेशनल जुड़ रहे हैं. इस वेबसाइट को इस्लामिक देशों से जमकर फंडिंग भी मिली. इस मामले में जांच एजेंसियों के हाथ अहम और चौंकाने वाले सुराग लगे हैं.

रातों- रात ''जस्टिस फॉर हाथरस'' नाम से दंगे की वेबसाइट तैयार हुई

''जस्टिस फॉर हाथरस'' नाम से तैयार हुई वेबसाइट में फर्जी आईडी से हजारों लोगों को जोड़ा गया था. बेवसाइट पर विरोध प्रदर्शन की आड़ में देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने का तरीका बताया गया. डीएम के वीडियो को भी इसी के द्वारा वायरल किया गया. हाथरस केस में मदद के बहाने दंगों के लिए फंडिंग की जा रही थी. फंडिंग की बदौलत अफवाहें फैलाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया के दुरूपयोग के सुराग भी जांच एजेंसियों को मिले हैं.

दुनिया में विरोध प्रदर्शनों के दौरान इस्तेमाल

शासन को भेजी गई खुफिया रिपोर्ट की मानें तो दुनिया भर में इंटरनेट आयोजित नागरिक अधिकार प्रदर्शनों के लिए सबसे लोकप्रिय ऑनलाइन मंचों में से Carrd.co भी एक है. एक्टिविस्ट्स इन प्लेटफार्म्स का इस्तेमाल सभाओं को आयोजित करने, सूचनाएं फैलाने और फंड इकट्ठा करने के लिए भी करते हैं. जब अमेरिका में "ब्लैक लाइफ़ मैटर" प्रदर्शन शुरू हुए तो प्रदर्शनकारियों को जोड़ने के लिए Carrd प्लेटफार्म कड़ी बन गया. बहुसंख्यक समाज में फूट डालने के लिए मुस्लिम देशों और इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों से ''जस्टिस फॉर हाथरस'' वेबसाइट के लिए पैसा आया. सीएए हिंसा में शामिल उपद्रवियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों ने मुख्यमंत्री योगी सरकार और केेन्द्र सरकार की छवि खराब करने के लिए दंगे की यह वेबसाइट बनाई.इसी तरह विभिन्न Carrd प्लेटफार्म्स का इस्तेमाल हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में हुए प्रदर्शनों के दौरान हुआ. ऐसा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की ओर से छात्रों और एक्टिविस्ट्स के खिलाफ क्रैकडाउन शुरू किए जाने के दौरान हुआ. कश्मीर में अलगाववाद का समर्थन करने कुछ Carrd प्लेटफॉर्म्स भी पहले खबरों में आए थे.

वेबसाइट पर बताया गया पुलिसकर्मियों को कैसे निशाना बनाएं

वेबसाइट में चेहरे पर मास्क लगाकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध प्रदर्शन की आड़ में निशाना बनाने की रणनीति बताई गई. बहुसंख्यकों में फूट डालने और प्रदेश में नफरत का बीज बोने के लिए तरह-तरह की तरकीबें वेबसाइट पर बताई गईं. जांच एजेंसियों को इस देंगे की वेबसाइट पर इसके अलावा और भी बहुत सारे आपत्तिजनक कॉन्टेंट मिले हैं. दंगे की इस बेवसाइट ने वालंटियरों की मदद से हेट स्पीच और भड़काऊ सियासत की स्क्रिप्ट तैयार की.

बाद वेबसाइट को स्थायी रूप से हटाया

हालांकि वेबपेज की होस्टिंग करने वाले सर्विस प्रोवाइडर ने जांच एजेंसियों को बताया कि जिस अकाउंट ने कंटेंट अपलोड किया, उसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है क्योंकि स्वामित्व की जानकारी अनुपलब्ध है. आपको बताते चले कि साइट और उससे जुड़े अकाउंट को दुरुपयोग (एब्यूज) की रिपोर्ट मिलने के बाद स्थायी रूप से हटा दिया गया था. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इसमें ऐसा कंटेंट शामिल था जिसे उपयोग की शर्तों का उल्लंघन माना गया था.

वेबपेज व्यापक वेबसाइट नहीं थी

वह वेबपेज व्यापक वेबसाइट नहीं थी, बल्कि एक लोकप्रिय वेब प्लेटफॉर्म द्वारा होस्ट किया गया लैंडिंग पेज था. ऐसे वेब प्लेटफॉर्म को Carrd के नाम से जाना जाता है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल फ्री एक पेज की वेबसाइट बनाने के लिए किया जाता है.

संगठनों के खतरनाक इरादे

जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज, फोटो शॉप्ड तस्वीरों, अफवाहों, एडिटेड विजुअल्स का दंगे भड़काने के लिए इस्तेमाल किया गया. साइबर सेल की मुस्तैदी और दंगाईयों के खिलाफ योगी सरकार की सख्ती ने इस बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया. नफरत फैलाने के लिए दंगों के मास्टर माइंड ने कुछ मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया के महत्वपूर्ण अकाउंट का इस्तेमाल भी किया. इसके लिए मोटी रकम खर्च की गई. सीएए विरोधी हिंसा में शामिल रहे पीएफआई और एसडीपीआई जैसे संगठनों ने बेवसाइट तैयार कराने में अहम भूमिका निभाई.

Related Articles