छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के साथ ही होगा आदिवासी नृत्य महोत्सव- सीएम

Tribal Dance Festival states got the award

अंतिम दिन बघरवाल, हन्ना, मरायुराट्टम, संथाली नृत्य सहित बस्तर के गौर नृत्य की रही धूम

रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़  में अब हर साल आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज ग्राउंड में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का समापन समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  ने बीते 29 दिसंबर को मंच से ये ऐलान किया कि हर साल राज्योत्सव 5 दिनों का होगा जिसमें शुरू के दो दिन स्थानीय कलाकारों को मौका मिलेगा और बाकी तीन दिन आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाएगा.  

नृत्य महोत्सव के अंतिम दिन इनकी रही प्रस्तुति

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अंतिम दिन उत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, झारखण्ड सहित छत्तीसगढ़ के बस्तर के गौर नृत्य का प्रदर्शन मंच से हुआ, जिसमें कलाकारों ने अपने अप्रतिम नृत्य के हुनर का प्रदर्शन किया.

उत्तरप्रदेश हन्ना नृत्य 

उत्तरप्रदेश से आए कलाकारों ने मंच साझा करते हुए हन्ना नृत्य विशिष्ट अंदाज में किया। इसमें शामिल महिलाएं कमर के निचले हिस्से में लाचा तथा सिर पर दुपट्टा लिए हुए नृत्य कर रही थी, वहीं पुरूष नर्तकों ने सफेद कुर्ता और सफेद टोपी पहनकर टहनीनुमा लकड़ी में रंग-बिरंगे कपड़ों के टुकड़े बांधकर हास्य मुद्रा में नृत्य किया। 

झारखण्ड के कलाकारों ने विवाह के रस्मों-रिवाजों  प्रदर्शित किया

झारखण्ड के कलाकारों ने हो एवं संथाली जनजाति द्वारा विवाह के रस्मों-रिवाजों को नृत्य की भाव मुद्रा के माध्यम से प्रदर्शित किया। इस नृत्य की खासियत है कि वर के घर वधू पक्ष बारात लेकर जाता है, जिसमें वाद्य यंत्रों का प्रयोग मंत्रोच्चार के समान माना जाता है। यह नृत्य छत्तीसगढ़ की उरांव जनजाति के सरहुल नृत्य के समान प्रतीत हुआ। इसी तारतम्य में उत्तरप्रदेश के वाराणसी और सोनभद्र के गोंड़ जनजाति के कलाकारों ने वीरता और उत्साह पर आधारित गरद नृत्य किया, इसमें युवक शारीरिक कौशल और करतब के माध्यम से युवतियों को आकर्षित करने के लिए युद्ध कला का प्रदर्शन करते हैं। इसमें प्रयुक्त होने वाले वाद्य यंत्र छत्तीसगढ़ के गाड़ा बाजा के समान थे, जिसमें गुदूम, मोहरी और ताशा, झांझ की ताल पर नर्तक झूमते नजर आए।

छत्तीसगढ़:  माड़िया जनजाति का गौर नृत्य

छत्तीसगढ़ के माड़िया जनजाति के द्वारा विभिन्न उत्सवों में किया जाने वाला गौर नृत्य का पारंपरिक लोक वाद्य यंत्र तुरही व मांदर की थाप पर गोंडी गीत में थिरकते हुए कलाकारों ने सम्मोहक प्रस्तुति दी. पुरूष नर्तक मोर की कलगी, कौड़ियों से लकदक बायसन की सींग से बने मुकुट पहने हुए तथा महिलाएं हाथों में घुंघरूयुक्त छड़ी के साथ एक ताल में थिरकीं. इस नृत्य की खासियत यह है कि लय-परिवर्तन के साथ ही नर्तक अपने नृत्य की गति में भी बदलाव लाते हैं. इसी तरह बस्तर के कोंडागांव के विख्यात गौर मांदरी नृत्य में युवा नर्तकों ने गौर का अपने पारम्परिक शस्त्र तीर-धनुष से शिकार करते हुए नृत्य करते रहे.

आंध्रप्रदेश: तासे की थाप पर डब्रू नृत्य

इसके बाद आंध्रप्रदेश के नर्तकों ने तासे की थाप पर डब्रू नृत्य कर कतरब कौशल का प्रदर्शन किया। इसी प्रदेश के नर्तक धिमसा नृत्य की विशिष्ट शैली में रंग-बिरंगे पारम्परिक वेशभूषा में थिरकते रहे.

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में कलाकारों ने चार श्रेणीयों में अपने नृत्य का प्रदर्शन किया.  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नृत्य महोत्सव में आयोजित प्रतियोगिता के विजेता नृतक दलों को पुरस्कार राशि, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया. प्रत्येक श्रेणी के लिए प्रथम पुरस्कार के रूप में नृतक दल को पांच लाख रूपए की राशि, द्वितीय पुरस्कार के रूप में तीन लाख रूपए की राशि, तृतीय पुरस्कार में दो लाख रूपए और सांत्वना पुरस्कार के रूप में नर्तक दलों को 25-25 हजार रूपए के चेक प्रदान किए गए।

Image removed.Image removed.Image removed.Image removed.

इन राज्यों को मिला पुरस्कार 


विवाह एवं अन्य संस्कार श्रेणी में 
प्रथम पुरस्कार गौर माडि़या छत्तीसगढ़ चंदन सिंह बघेल दल को दिया गया. इस श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार डमकच झारखंड के किशोर नायक दल, तृत्तीय पुरस्कार (संयुक्त रूप से) विवाह नृत्य लद्दाख के सोनम सोपेरी टीम एवं तमांग सेलो, सिक्किम गायत्री राय की टीम को प्रदान किया गया. इस श्रेणी में सांत्वना पुरस्कार कयांग, हिमांचल बृजलाल दल को दिया गया.

द्वितीय श्रेणी पारंम्परिक त्यौहार एवं अनुष्ठान में 
प्रथम पुरस्कार सिंगारी ओडिसा के ध्यानानंद पेडा दल को, द्वितीय पुरस्कार तारपा, महाराष्ट्र के राजन वैद्य दल एवं तृतीय पुरस्कार (संयुक्त रूप से) छाऊ, झारखंड प्रभात महतो दल एवं कोमकोया, आंध्रप्रदेश मधु को तथा सांत्वना पुरस्कार सगोरिया, मध्यप्रदेश गोविंद गहलोत को प्रदान किया गया.

तृतीय श्रेणी फसल कटाई एवं कृषि में 
प्रथम पुरस्कार करमा तिहार, बिहार के रणधीर दल, द्वितीय पुरस्कार झिंझी, उत्तर प्रदेश बंटी राणा दल तथा तृतीय पुरस्कार (संयुक्त रूप से) ममीता, त्रिपुरा, अशोक बर्मन टीम एवं टोडा, तमिलनाडु असमामल्ली टीम तथा सांत्वना पुरस्कार लम्बाड़ी तेलंगाना चंदू नायक दल को दिया गया.

चतुर्थ श्रेणी में अन्य पांरम्परिक विधाएं में 
प्रथम पुरस्कार बगड़वाल उत्तराखंड प्रेम हिंदवाल, द्वितीय पुरस्कार गद्दीराम हिमांचल के प्यारेलाल तथा तृतीय पुरस्कार (संयुक्त रूप से) राढवा गुजरात राजेश राढवा और डाग गुजरात पवन बादल तथा सांत्वना पुरस्कार इदु, अरूणाचल के टेशी मित्री को दिया गया.


 

Category