धमतरी (khabargali) "हौसलों की भरते वो उड़ान है, देखो जज़्बा उन पंछियों का, छू लेते वो आसमान है.."
इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है छत्तीसगढ़ के किसान की बेटी रूद्राणी साहू ने। उसकी सफलता इतनी बड़ी है कि पूरे परिवार के साथ पूरा गांव उत्साहित है। यहां जिक्र हो रहा है धमतरी जिले के ग्राम भंरवमरा की, जहां की बेटी रूद्राणी साहू का चयन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी फुरसतगंज रायबरेली में हुआ है। अब उसका पायलट बन बोइंग 737 उड़ाने का है सपना है। रूद्राणी ने हाई स्कूल से उसने एक सपना संजोया था कि उसे पायलट बनना है। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उसने पूरी लगन और मेहनत से रास्ता बनाया और आज अपनी सफलता का परचम लहरा रही है। यह धमतरी जिले और प्रदेश के लिए गर्व की बात है।
सेल्फ स्टडी ने मुकाम दिलाया
ग्राम भंवरमरा निवासी किसान नेकलाल साहू और जिला महिला कांग्रेस ग्रामीण की अध्यक्ष विद्यादेवी साहू की बेटी अखिल भारतीय स्तर पर उत्तीर्ण हुई और रुद्राणी का चयन हो गया। साहू (19 वर्ष) ने सेल्फ स्टडी के माध्यम से इस वर्ष 21 अगस्त को लिखित प्रवेश परीक्षा में पास होने के बाद साक्षात्कार में भी उत्तीर्ण हुई और रुद्राणी का चयन हो गया।
200 घंटे की उड़ान भरेगी
रुद्राणी 28 सितंबर को फुरसतगंज में पहुंचकर अकादमी ज्वाइन करेगी। लगभग डेढ़ साल की कड़ी मेहनत ट्रेनिंग और उड़ान के बाद उसे कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिल जाएगा। ट्रेनिंग के दौरान ग्राउंड, एयरक्राफ्ट, फ्लाइंग एवं अन्य प्रकार के एग्जाम के साथ लगभग 200 घंटे की उड़ान होगी। डीजीसीए की परीक्षा के बाद उन्हें लाइसेंस प्राप्त होगा।
गाँव के ही स्कूल से शिक्षा ली
गांव के ही स्कूल से उसने प्राथमिक, हाई और हायर सेकेंड्री की शिक्षा प्राप्त की है। आज महंगे स्कूलों में पढ़ने के बावजूद भी युवाओं को कैरियर और नौकरी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। यह इस बात को साबित करता है कि बेहतर करने के लिए खुद के भीतर ललक, लगन, मेहनत की क्षमता, आत्मविश्वास और ईमानदारी का होना जरुरी है।
पिता आईएएस तो मां डॉक्टर बनाना चाहती थी
दो भाई और दो बहनों में से तीसरे नंबर की रुद्राणी की बड़ी बहन और भाई पीएससी की तैयारी कर रहे हैं। छोटा भाई 11वीं कक्षा में अध्यनरत है। ख़बरगली से चर्चा के दौरान रुद्राणी साहू ने बताया कि इस दौरान उसके परिवार का सपोर्ट बेहद अहम रहा। पिता बेटी को आईएएस (IAS) बनाना चाहता था और उनकी मां उन्हें डॉक्टर बनाना चाहती थीं, लेकिन बेटी पायलट बनना चाहती थी। इसलिए बेटी के हौसले को देखते हुए पूरे परिवार ने मिल कर उसकी मदद किया और आज उन्हें अपनी बेटी पर फक्र है।
- Log in to post comments