41 साल पहले लता आई थी छत्तीसगढ़, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय ने उन्हें डी लिट की उपाधि से नवाजा था
रायपुर (khabargali) स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर से हिन्दी फिल्म जगत के साथ ही छत्तीसगढ़ के कलाकारों में शोक की लहर दौड़ गई है। 41 साल पहले 2 फरवरी 1980 को स्वर कोकिला लता मंगेशकर पहली बार छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ आई थी इस दौरान इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय ने उन्हें डी लिट की उपाधि से नवाजा था। उनके चाहने वाले लता की एक झलक पाने के लिए रायपुर से खैरागढ़ पहुंच गए थे।
स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर ने छत्तीसगढ़ी फिल्म भखला के लिए एक गीत भी गाया था गीत के बोल थे " छूट जाही अंगना अटारी... छूटही बाबू के पिठइया " अब यह गाना बस यादें बनकर हमारे बीच रह जाएंगी। छत्तीसगढ़ के जाने-माने गायक सुनील सोनी ने उनकी याद में एक फोटो शेयर करते हुए बताया कि भखला फिल्म में मैं मुख्य गायक था। उस समय में फिल्म के गीत छूट जाही अंगना अटारी... छूटही बाबू के पिठइया के गीत को गाने के लिए लता जी बमुश्किल से गाने के लिए मानी थीं। फिल्म के गीतकार मदन शर्मा, कल्याण शर्मा, मनु नायक को लता मंगेशकर को मनाने के लिए मुंबई के चार बार चक्कर लगाने पड़े थे। तब लता जी की बहन उषा मंगेशकर के कहने पर गीत गाने के लिए वे राजी हुई थी।
इस दौरान उन्होंने नवंबर को 2007 में उनके स्टूडियो में एक दिन बिताया। यहां से गाने की पूरी डमी तैयार की गई। स्वरलता स्टूडियो मुंबई से लता जी ने आवाज दी और यह इतिहास में दर्ज हो गया। गीतकार मदन को लता मंगेशकर ने फीस की तय रकम दो लाख में से 50 हजार रुपये मिठाई खाने के लिए लौटाते हुए कहा था कि ये मेरा पहला छत्तीसगढ़ी गीत है तो सबको मेरी तरफ से मिठाई खिलाना।
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