मेरा जन्म घर के आंगन में तुलसी की क्यारी के पास हुआ था : पंडित प्रदीप मिश्रा

Shiv Mahapuran Katha, Champa Forest, International Narrator Acharya Pandit Pradeep Mishra, Champeshwar, Lord Bholenath, Gudhiyari Dahihandi Maidan of Raipur, Organizer Chandan Basant Agarwal, Conversion, Gyanvapi, Chhattisgarh, Khabargali

मीडिया को अपने जीवन और शिव भक्ति से जुड़ी दिलचस्प बातें बताईं

धर्मांतरण और ज्ञानवापी पर भी बड़े बयान दिए, जानिए उन्होंने क्या- क्या कहा

रायपुर (khabargali) रायपुर शहर में शिव महापुराण कथा का आयोजन किया गया है। जिसमें पंडित प्रदीप मिश्रा के प्रवचन को सुनने लोग दूर-दूर से आ रहे हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा के प्रवचन को सुनने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।यहां रोज 2 लाख से अधिक लोगों की भीड़ हर दिन जुट रही है। पंडाल के बाहर सड़कों पर जाम लग रहा है। कार्यक्रम स्थल से लगभग 1 किलोमीटर की दुरी तक लोगों की भीड़ जमा हो गई है। जिसकी वजह से वहां पहुंचे श्रद्धालु एलईडी स्क्रीन पर आस्था चैनल पर प्रवचन का आनंद ले रहे हैं। पंडाल स्थल से दूर सड़कों पर भी लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है। शुक्रवार को जब पंडिज जी मीडिया से मुखातिब हुए तो अपने जीवन और शिव भक्ति से जुड़ी दिलचस्प बातें बताईं, धर्मांतरण और ज्ञानवापी पर भी बड़े बयान दिए, जानिए उन्होंने क्या- क्या कहा-

धर्मांतरण पर क्या कहा

 आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कई विषयों पर बयान दिया है। इसमें से सबसे ज्वलंत मुद्दा धर्मांतरण को लेकर है. उन्होंने कहा कि जो धर्मान्तरण करवा रहे हैं, पहले उनके माता पिता से पूछें कि वो कौन से धर्म से थे? उनके दादा-परदादा कौन से धर्म के थे? धर्मांतरण करवाने वालों को पंडित ने कहा कि ये उनकी विपरीत बुद्धि है, उन्हें ऊपर से प्रेशर रहता है, उन्हें इतना माल दिया जाता है कि उन्हें धर्मान्तरण कराना पड़ता है।

ज्ञानवापी पर क्या कहा

उत्तर प्रदेश के ज्ञानवापी विवाद पर भी पंडित प्रदीप मिश्रा ने बड़ा बयान दिया है।उन्होंने रायपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि शिव शिव हैं. पूरे विश्व की भूमि को कहीं से भी खोदेंगे तो शिव निकलेंगे, बाकी मूर्तियां बाद में प्रकट हुईं लेकिन भगवान शिव का वर्चस्व प्राचीन समय से ही रहा है, निर्णय तो बाबा (भगवान शिव) ही देंगे।

शुरुआती जीवन के बारे में बताया

मध्यप्रदेश के सीहोर में जन्में पंडित प्रदीप मिश्रा अपने शुरुआती जीवन के बारे में बताते हैं। उन्होंने कहा- मेरा जन्म घर के आंगन में तुलसी की क्यारी के पास हुआ था, क्योंकि अस्पताल में जन्म के बाद दाई को जो रुपए दिए जाते थे उतने भी हमारे पास नहीं थे। मेरे पिता स्व. रामेश्वर मिश्रा पढ़ नहीं पाए। चने का ठेला लगाते थे। बाद में चाय की दुकान चलाई, मैं भी दुकान में जाकर लोगों को चाय दिया करता था।

शुरुआत में कई लक्ष्य नहीं था

 पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया- मेरा कोई लक्ष्य नहीं था, मैं दूसरों के कपड़े पहनकर स्कूल गया, दूसरों की किताबों से पढ़ा। बस यही चिंता रहती थी कि पेट भर जाए और परिवार को संभाल लें। भगवान शिव ने पेट भी भरा और जीवन भी संवारा। हमें याद है, बहन की शादी का जिम्मा था, मुझे याद है सीहोर के एक सेठ की बेटी की शादी हुई तो भवन में डेकोरेशन था। हम उस सेठ के पास हाथ जोड़कर कहने गए थे कि वो अपना डेकोरेशन रहनें दें ताकि इसी में हमारी बहन की शादी हो जाए।

कथा वाचक बनने ऐसे प्रेरित हुए

 पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि सीहोर में ही एक ब्राह्मण परिवार की गीता बाई पराशर नाम की महिला ने उन्हें कथा वाचक बनने प्रेरित किया। वो दूसरों के घरों में खाना बनाने का काम करती थीं। मैं उनके घर पर गया था, उन्होंने मुझे गुरुदीक्षा के लिए इंदौर भेजा। मेरे गुरु श्री विठलेश राय काका जी ने मुझे दीक्षा दी। पुराणों का ज्ञान दिया।

गुरुधाम  में पक्षी हरे राम हरे कृष्ण कहते हैं

 पंडित मिश्रा बताते हैं कि उनके गुरु के मंदिर में सैंकड़ो पक्षी रहते हैं। गुरु पक्षियों से श्री कृष्ण बुलवाते थे। मंत्र बुलवाते थे। पक्षी भी हमारे गुरुधाम में हरे राम हरे कृष्ण, बाहर निकलो कोई आया है… बोलते हैं।

गुरु ने कहा था कि तुम्हारा पंडाल कभी खाली नहीं जाएगा

 मुझे याद है मैं जब उनके पास गया था तो मुझे देखते ही उन्होंने मेरी गुरुमाता अर्थात अपनी पत्नी से कहा- बालक आया है भूखा है, इसे भोजन दो। इसके बाद उन्होंने मुझे आशीर्वाद देकर कहा था तुम्हारा पंडाल कभी खाली नहीं जाएगा। शुरुआत में मैंने शिव मंदिर में कथा भगवान शिव को ही सुनाना शुरू किया। मैं मंदिर की सफाई करता था। इसके बाद सीहोर में ही पहली बार मंच पर कथावाचक के रूप में शुरुआत की।

शिव जी ने कभी कोई नशा नहीं किया

 पं प्रदीप मिश्रा ने कहा- आजकल युवा नशे की ओर जा रहे हैं। आज के पोस्टर्स भगवान शिव को गांजा पीते या चिलम के साथ दिखाया जाता है। शिव जी ने कोई नशा नहीं करा। जब विष भेजा गया तब उसे पीते समय जो बूंदे गिरीं वो भांग धतूरा बनीं। वो सिर्फ शिव के पास रखी होती हैं, उनका सेवन शिव नहीं करते। स्वयं माता पार्वती ने शिव जी से पूछा था आप किस नशे में रहते हैं तो उन्होंने कहा था राम नाम का नशा है। यहां आकर लोग शिव का नशा कर रहे हैं तो दूसरे नशे की जरूरत ही नहीं। यहां हम कौन सा भांग का प्रसाद बंट रहे हैं। यहां लोग जो आए हैं शिव के भक्ति रस में मस्त हैं।

शिव बाबा की कृपा होती है जल चढ़ाने से

 अपने कथा के कार्यक्रमों में पंडित प्रदीप मिश्रा लोगों से कहते हैं एक लोटा जल समस्या का हल। इसके बारे में उन्होंने कहा- शिव बाबा की कृपा होती है जल चढ़ाने से। माता पार्वती भी उन्हें जल चढ़ाती थीं। भगवान गणेश जी भी। भगवान राम जब अयोध्या से निकले और जहां-जहां रुके शिवलिंग बनाए और जल चढ़ाया। जल का महत्व ये है कि हम अपने हृदय भाव भगवान को अर्पित कर रहे हैं। हृदय में शिव का ध्यान करके जल चढ़ाइए और अपनी समस्या भगवान से साझा करिए। हमारे यहां शिव पुराण में कमल गट्‌टे के जल का प्रयोग बताया गया है। इसे शुक्रवार के दिन भगवान शिव पर चढ़ाएं, इससे लक्ष्मी आती है और आरोग्यता रहती है।

भगवान शिव कर्म करने को कहते हैं

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा- भगवान शिव कर्म करने को कहते हैं। हम अपनी कथा में भी लोगों से यही कहते हैं कि कर्म करिए और विश्वास के साथ भगवान शिव की आराधना करें। भगवान शिव ने अपने पुत्रों को विष्णु की तरह बैकुंठ और रावण को दी गई सोने की लंका नहीं दी। उन्होंने उन्हें भी कर्म करने दिया।

अंधविश्वास और आस्था में अंतर है

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा- कोई बेल दे रहे हैं, भभूत दे रहे हैं या चमत्कार प्रकट करने का दावा कर रहे हैं तो ये अंधविश्वास है। कोई कहता है जमीन में से सोने से भरा हंडा निकलेगा तो मैं खुद कहता हूं भाई मुझे भी बता दो कहां से निकलेगा। ये सब अंधविश्वास हैं। आस्था में अंतर है। आस्था में आपने किसी के प्रति काम किया आपके प्रति विश्वास बढ़ गया। ये आस्था है, दिखावा नहीं, हम तो कहते हैं घर के करीब शंकर का स्मरण करो दूर जाकर शिवालय श्रेष्ठ समझकर वहां पूजा करने से लाभ नहीं। अपनी आस्था से अपने आस-पास ही शिव को महसूस किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, इतनी भीड़ पंडित प्रदीप मिश्रा को देखने, सुनने नहीं उमड़ रही बल्कि ये हजारों लोग शिव के भक्त है। उनकी आस्था है। कोई ढोंग, पाखंड नहीं है, शिव मंदिरों की सफाई नित्य होने लगी है, पहले बेल पत्र चढ़े ही रहते थे, अब छोटे मंदिर भी साफ रहते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति और धर्म एक दूसरे से जुड़े हैं। राजा महाराजा भी राजगुरु से सलाह लेते थे। बच्चों, युवाओं में संस्कार का बीज रोपित करें, पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहेंगे। हिंदू राष्ट्र के लिए जो भी अभियान चलाए हर किसी को सहयोग, आंदोलन, जन जागरण के लिए आगे आना चाहिए।

Category