रायपुर (khabargali) डीकार्बनाइजेशन इंडिया अलायंस (डीआईए) एक कार्योन्मुख और महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसका लक्ष्य भारत को कम कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाना है। डीआईए की शुरुआत 14 जून को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में की गयी। आने वाले महीनों में डीआईए को भारत के 10 शहरों में स्थापित किया जाएगा। इसके माध्यम से वर्ष 2070 तक भारत को ‘नेट-जीरो’ अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के प्रति समर्पित उद्योग जगत के अग्रणी लोगों को एकजुट करने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
डीआईए दरअसल सोसाइटी ऑफ इंजीनियर्स एण्ड मैनेजर्स (एसईईएम) की एक पहल है। सोशल इम्पैक्ट एडवाइजर्स (असर) और इंडिया ब्लॉकचेन अलायंस (आईबीए) की मदद से उठाये गये इस कदम के माध्यम से निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों, एमएसएमई, सेवा प्रदाताओं, शैक्षणिक एवं वित्तीय संस्थानों, सिविल सोसाइटी संगठनों और सरकारी विभागों सहित विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाने की कोशिश की जाएगी ताकि भारत के डीकार्बनाइजेशन के प्रयासों को गति मिले। एक स्वैच्छिक नेटवर्क के नेतृत्व वाली यह पहल एक मंच की तरह काम करेगी। इससे उन इंजीनियरों को मदद मिलेगी जो उद्योगों में बदलाव को लागू करने के मोर्चे पर सबसे आगे खड़े होकर काम कर रहे हैं। साथ ही इससे उन लोगों को भी सहायता मिलेगी जो ऐसे उत्पाद और सेवाएं तैयार कर सकते हैं जिनसे डीकार्बनाईजेशन को बढ़ावा मिलता हो।
रायपुर में आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम में राज्य के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव आईएएस श्री अंकित आनंद, छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (क्रेडा) के मुख्य अधिशासी अधिकारी (सीईओ) श्री राजेश सिंह राणा, ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इनीशियेटिव के क्षेत्रीय प्रमुख श्री सौम्य गरनाइक और क्रेडा के अधीक्षण अभियंता श्री राजीव ज्ञानी सहित अनेक गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया।
डीआईए का संचालन शुरू होने के बाद ऊर्जा सम्बन्धी समाधानों को आकार देने और उन्हें लागू करने के काम से जुड़े हितधारकों के साथ तालमेल करके उन्हें अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिये काम किया जाएगा। डीआईए का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, सर्वोत्तम पद्धतियों को साझा करना और अपने कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के लिये तत्पर प्रतिष्ठानों की जरूरतों को पूरा करने के लिये प्रयासों को व्यवस्थित करना है। इसके माध्यम से उन समाधानों को बल मिलेगा जो भारत को वर्ष 2070 तक अपने नेट-जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेंगे।
रायपुर-धनबाद और रायपुर- विशाखापट्टनम आर्थिक गलियारों को जोड़ने वाले राज्य छत्तीसगढ़ में औद्योगिकीकरण बहुत तेज गति से हो रहा है। राज्य में आकांक्षात्मक जिलों को जोड़ा जा रहा है जो पिछले कई दशकों से आर्थिक रूप से पिछड़े और कमजोर हैं। रायपुर में डीआईए की सफलतापूर्वक स्थापना से 80 हजार से ज्यादा कुटीर, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को मदद मिलेगी। डीआईए के माध्यम से- एमएसएमई को अपने कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मदद की जाएगी। उन्हें ऐसी सेवाओं को चुनने में सहायता की जाएगी जिनसे ऊर्जा ऑडिट, प्रणालियों और प्रक्रियाओं में सुधार के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा उपायों से मिलने वाले परिणामों को अधिकतम किया जा सकता है। इसके अलावा एमएसएमई को औद्योगिक उत्सर्जन की तीव्रता से जुड़े लक्ष्यों को लेकर सार्थक विचार-विमर्श से जोड़ा जाएगा।
● प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण : ऑडिटर्स, सम्बन्धित क्षेत्रों के विशेषज्ञों, उद्योगों, उद्यमियों तथा अन्य लोगों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किये जाएंगे। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी व्यक्तियों की पहचान करना और उन्हें बढ़ावा देना तथा कौशल विकास और रोजगार के अवसर प्रदान करना होगा।
● प्रमाणन एवं पुरस्कार : कम कार्बन उत्सर्जन वाले विकास के लिये ऊर्जा दक्षता और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विनिर्माणकर्ताओं, वेंडर्स, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, अभियंताओं और ऊर्जा ऑडिटर्स के लिये डीआईए प्रमाणपत्र उपलब्ध कराये जाएंगे।
● डीआईए नयी प्रौद्योगिकी विकसित करने वालों और उसके उपयोगकर्ताओं के बीच एक सेतु और एक नेटवर्किंग प्लेटफार्म की तरह काम करेगा। यह प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और उद्योगों के बीच विचारों, नवाचारों और सबसे अच्छी पद्धतियों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है, जिससे डीकार्बनाइजेशन के लिए अत्याधुनिक समाधानों को अपनाना संभव होगा।
● अनुसंधान एवं पक्षसमर्थन (एडवोकेसी) : डीआईए का उद्देश्य ऊर्जा दक्षता की पैठ जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देकर, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तरों पर योजनाओं को लागू करके, अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों को अपनाकर और ग्रीनहाउस गैसों में कमी के अनुमान और लेखे-जोखे के माध्यम से नीति सम्बन्धी प्रभावी ढांचे तैयार करने और व्यापक प्रणालीगत बदलावों के लिए पक्षसमर्थन करने के उद्देश्य से नीति निर्धारकों को सार्थक सूचनाएं देने का है।
● सफल व्यक्तियों और संस्थाओं का विवरण तैयार करना (प्रोफाइलिंग): नेटवर्क के अंदर सफलता की कहानियों के रणनीतिक संचार में मदद करना और इस मुद्दे पर जागरूकता पैदा करना।
बायोफ्यूल्स अथॉरिटी ऑफ छत्तीसगढ़ के सीईओ सुमित सरकार ने डीआईए की वेबसाइट का लोकार्पण और 10 नगरों में डीकार्बनाइजेशन के अभियान की शुरूआत करने के बाद कहा, ‘‘छत्तीसगढ़ एक व्यापक औद्योगिक नीति बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इस नीति में ग्रीन हाइड्रोजन और विभिन्न प्रकार के बायोफ्यूल्स के प्रयोग पर जोर दिया गया है ताकि डीकार्बनाइजेशन के प्रयासों को मजबूती दी जा सके। 10 शहरों में आयोजित होने वाले डीआईए कार्यक्रम की शुरुआत जलवायु परिवर्तन से निपटने के हमारे सामूहिक प्रयास में एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतिनिधित्व करता है।’’
एसईईएम के महासचिव जी. कृष्णकुमार ने डीआईए के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में लोगों की भागीदारी और उत्साह छत्तीसगढ़ के उन उद्यमियों की पर्यावरण के प्रति चेतना का प्रमाण है, जो नेट-जीरो परिदृश्य को व्यापक रूप से अपना रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के साथ मिलकर काम करते हुए उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों की मदद करने के डीआईए के विजन से नेट-जीरो की दिशा में राज्य की प्रगति में तेजी आएगी।
असर सोशल इम्पैक्ट एडवाइजर्स की सीईओ विनुता गोपाल ने कहा, ‘‘प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में कमी लाने और उसे टालने के लिये जरूरी कदम उठाना इस दशक में बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। असल काम तब शुरू होता है जब ऊर्जा दक्षता, बिजली सम्बन्धी सुरक्षा और उद्योगों में साफ ऊर्जा में रूपांतरण के तंत्र को जमीन पर उतारने के लिये वास्तविक कदम उठाये जाते हैं। डीआईए एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य इस रूपांतरण के उत्प्रेरक की भूमिका निभाना है। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हम सिर्फ बातें करने के बजाय सार्थक काम भी करें। इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी हमें एहसास करा रही है कि हमारे के लिये एकजुट होकर जलवायु परिवर्तन के इस गम्भीर संकट से निपटना कितना जरूरी है।’’
रायपुर में समन्वय और नवाचार का मंच तैयार करने के बाद डीआईए को बेंगलूरू, कोच्चि, कोलकाता, चेन्नई, संगरूर, हैदराबाद, अहमदाबाद और इंदौर में भी शुरू किया जाएगा।
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