सेल्फी ले रहे दो कपल वाटर फॉल में बहे, चारों की मौत..बढ़ रही है जानलेवा सेल्फी की घटनाएं..पढें खास रिपोर्ट

Selfie and death

जो सुरक्षित नहीं हैं उन्हें “नो-सेल्फी-जोन” घोषित करना जरूरी

छत्तीसगढ़ में भी ऐसी घटनाएं आए दिन घट रहीं हैं

कोरिया/ रायपुर (khabargali) कोरिया जिले के केल्हारी थाने स्थित गुडरु फाल में पिकनिक मनाने गए 4 लोगों की मौत हो गई है। चारों लोग मनेन्द्रगढ़ से गुडरु फाल पिकनिक मनाने गए थे। सेल्फी लेने के दौरान चारों फॉल में बह गए। गोताखोरों ने चारों के शवों को वाटर फॉल से निकाला, चारों की पानी में डूबने से मौके पर मौत हो गई थी। चारो मृतकों के शव मनेन्द्रगढ़ लाए गए। वाटर फाल में डूबने से मरने वालों में दो जोड़ो की मौत हुई है। एक जोड़ा ताहिर और सायना यूपी के शाहगंज के रहने वाले थे। नियाज, सना मनेन्द्रगढ़ के मौहरपारा के निवासी थे।

 सेल्फी ले रही जानें

देश में सेल्फी के चक्कर में युवाओं व पर्यटकों की मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा हैं देश में सेल्फी के चक्कर में युवाओं व पर्यटकों की मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। हर रोज ऐसे दर्दनाक हादसों से आत्मा सिहर उठती है कि कुछ लोग जान-बूझकर मौत के आगोश में समाते जा रहे हैं।

समाचारपत्रों में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक 10 जुलाई, 2017 को नागपुर में सेल्फी लेते 8 लोगों की मौत हो गई थी। 27 जुलाई को मध्यप्रदेश में भी सेल्फी लेते समय चार युवाओं की अकाल मौत हुई थी। इससे पहले 14 जुलाई को उत्तराखंड के एक दो प्रेमियों की सेल्फी लेते समय मौत हो गई थी। 16 अप्रैल 2016 को सहारनपुर में रेलवे क्रासिंग पर सेल्फी लेते समय एक 16 साल के बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई थी। 9 जनवरी, 2015 को जम्मू में सेल्फी लेने के चक्कर में एक युवक की मौत हो गई थी। 2015 में इजराइल के एक पर्यटक की सेल्फी लेते समय मौत हो गई थी। 2015 में ही जापान के एक पर्यटक की सेल्फी लेते समय मौत हो गई थी। 2015 में मथुरा में तीन युवाओं की रेलवे ट्रैक पर सेल्फी लेने के चक्कर में मारे गए थे। 2014 में ऐसी ही एक घटना हुई थी जिसमें एक 15 साल के बच्चे की मौत हुई थी।

ऐसी त्रासदियां असमय ही घर के चिरागों को बुझा रही हैं अगर इन मामलों पर संज्ञान लिया जाए। लापरवाही के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। प्रशासन को इन हादसों से संज्ञान लेना होगा तथा इन हादसों पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे क्योंकि ऐसी वारदातें बहुत ही खौफनाक हैं। मानव जीवन बहुत ही दुर्लभ है। इन हादसों में कई इकलौते चिराग असमय ही दुनिया से रुखस्त हो रहे हैं। देश में हो रहे इन हादसों पर समाज को चिंतन करना होगा।

पहली सेल्फी से अब तक

एक कैमरे द्वारा कैद की गई सेल्फ-पोर्ट्रेट इमेज, जो 1839 में रॉबर्ट कुरनेलियस द्वारा ली गई थी, को सेल्फी के नाम से जाना जाता है। तब से, हम वास्तव में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। लेकिन सेल्फी का भूत अब कुछ इस कदर लोगों के सिर चढ़ रहा है जो बहुत ही खतरनाक और जानलेवा है। इसके लिए हम प्रौद्योगिकी और स्मार्टफोन, सेल्फी स्टिक, और अंतिम लेकिन कम नहीं, हमारे युवाओं की करो या मरो के इस जुनून पर अंकुश लगना चाहिए।

2011 से 2017 के बीच 259 युवाओ ने जान गवाई

हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, यह पाया गया है कि 259 लोग, जिनकी उम्र 30 वर्ष से कम थी, ने 2011 और 2017 के बीच खतरनाक स्थानों पर सेल्फी लेते हुए अपनी जान गंवा दी। दुर्भाग्य से, सेल्फी से होने वाली मौतों की सबसे अधिक संख्या भारत में है और वे ज्यादातर ऊंचाइयों, जल निकायों और वाहनों से संबंधित हैं। बिजली के खंभों पर सेल्फी लेने की कोशिश करना, तेज रफ्तार से आ रही ट्रेन के सामने सेल्फी लेना, खड़ी ढलान के किनारे, या जंगली जानवरों के साथ भी सेल्फी का क्रेज है, सेल्फी के इस तरह के क्रेज से अब सभी बाहर निकल रहे हैं और इस तरह की सेल्फी के चलन को अब धीरे-धीरे खत्म कर रहे हैं।

भारत में “नो-सेल्फी-जोन” की सिफारिश

सेल्फी से होने वाली मौतों के खतरनाक चलन को ध्यान में रखते हुए, विशेषज्ञों ने इस दुखद घटना को रोकने के लिए भारत में “नो-सेल्फी-जोन” की सिफारिश की है। केंद्र ने अब हस्तक्षेप किया है और भारत की राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि वे ऐसे स्थानों की पहचान करें जो सुरक्षित नहीं हैं और उन्हें “नो-सेल्फी-जोन” घोषित करना है। केंद्र ने कुछ दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को पर्यटकों की सुरक्षा के लिए निर्देशित किया है। इसमें चिन्हित स्थानों पर स्वयंसेवकों और पुलिस को तैनात करना, खतरनाक स्थानों पर बैरिकेडिंग करना, खतरनाक स्थानों पर बैरिकेडिंग करना और सार्वजनिक पते प्रणाली के माध्यम से संभावित खतरे के बारे में पर्यटकों को सूचित करना आदि चीजें शामिल है। सोशल मीडिया का उपयोग जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए भी किया जा रहा है। 

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