तिरुपति (khabargali) तिरुपति मंदिर के लड्डू में पशु चर्बी मिलाए जाने की ख़बर के बाद पूरे देश में राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली। इस बीच सोमवार को तिरुमाला मंदिर में शुद्धिकरण अनुष्ठान किया गया। पूजा के दौरान मंत्रोच्चार के बीच भगवान वेंकटेश्वर स्वामी से क्षमा मांगी गई। साथ ही भगवान को बाहर से आने वाले प्रसाद के चढ़ाने पर भी रोक लगा दी गई है। मंदिर से जानकारी मिली है कि 4 घंटे तक शुद्धिकरण पूजा यानी शांति होमम पंचगव्य प्रोक्षण से भगवान वेंकटेश्वर स्वामी प्रसन्न हुए।
प्रसाद के लड्डू में पशु चर्बी मिलाए जाने के विवाद के बाद तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने इस महा शांति होमम का आयोजन किया। इस आयोजन में मंदिर के पुजारी समेत टीटीडी के अधिकारी शामिल हुए। तिरुपति बालाजी मंदिर में एक इस विशेष पूजा व हवन का आयोजन करके मंदिर को शुद्ध करने की पहल की गयी। मंदिर में हुए इस विशेष आयोजन में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी सहित 20 पुजारी शामिल हुए। इस दौरान अनुष्ठान करते हुए लड्डू और अन्य प्रसादम रसोई को विशेष रूप से शुद्ध करने कोशिश की गई, ताकि किसी के मन में अब आशंका न रहे।
मुख्य पुजारियों में से एक शेषाचल दीक्षितुलु का कहना है कि सरकार के द्वारा एक प्रस्ताव लाया गया था कि मंदिर को शुद्ध करने के लिए क्या-क्या किया जाना चाहिए। इसीलिए हम लोगों ने शांति हवन करने के प्रस्ताव लेकर मंदिर प्रबंधन से मिले। उसके बाद आज सुबह 6:00 बजे भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद और अनुमति लेने के बाद इस पूजा को शुरू किया। अब सब कुछ शुद्ध हो गया है और सभी भक्तों से अनुरोध किया जा रहा है कि अब चिंता करने की कोई बात नहीं। आप सभी लोग आकर भगवान बालाजी का दर्शन करें और शुद्ध प्रसाद अपने घर लेकर जाएं।
आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने 18 सितंबर को यह आरोप लगाया था कि आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार के कार्यकाल के दौरान तिरुपति मंदिर में मिलने वाले लड्डू के बारे में एक लैब की रिपोर्ट पेश करके आरोप लगा था कि मंदिर के प्रसाद वाले लड्डू में जानवरों की चर्बी व फिश ऑयल का इस्तेमाल किया जा रहा था। इस रिपोर्ट के साथ लोगों को जब इसकी जानकारी मिली तो देश भर के मंदिरों व उसके प्रसाद को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है।
क्यों किया जाता है महा शांति होम
महा शांति होम का सीधा संबंध पवित्रता से है। सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है। जहां शुद्धिकरण की आवश्यकता होती है, वहां महा शांति होम किया जाता है। इस दौरान विशेष मंत्रों के उच्चारण के साथ पवित्र जल का छिड़काव किया जाता है और धूप से वातावरण की नकारात्मकता को दूर किया जाता है।
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