यह मंत्र उच्च रक्तचाप और हृदयरोग से दूर रखेगा

gaytri mantra
  • ब्रह्म विद्या की चाभी है गायत्री मंत्र

  • 20 परिवारों पर अध्ययन: गायत्री मंत्र नियमित पाठ करने वाले को उच्च रक्तचाप और हृदयरोग नहीं के बराबर

रायपुर (खबरगली) आधुनिक समाज में तनावपूर्ण जीवन के चलते मानव, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग और कैंसर आदि जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ रहा है।      जीवनशैली में सुधार से बहुत से रोग यूं ही काफूर हो जाते हैं। साथ-साथ एक और आसान उपाय है, जिसमें कोई पैसा नहीं लगता और जिसके कोई साइड इफेक्ट नहीं होते। बस नियमपूर्वक नित्य करने की जरूरत भर है। यह आसान उपाय है गायत्री मंत्र, जो सदियों से आजमाया हुआ है। और आजकल इसे विज्ञान की कसौटी पर भी कसा जा चुका है।  विश्व के सभी बड़े साधकों और संतों ने गायत्री मंत्र को ब्रह्म विद्या की चाभी बताया है। गायत्री मंत्र रोगों से भी मुक्ति दिलाता है और यह शक्तिशाली और प्रभावशाली मंत्र प्राणों की भी रक्षा करता है। इस पर लंबे समय से शोध कर रहे जबलपुर चिकित्सा महाविद्यालय में कार्डियोलाजी विभाग के रीडर  डा.रविशंकर शर्मा खबरगली को बताते हैं कि इन्होंने अपने 18 वर्ष के चिकीत्सकीय जीवन में देखा कि जो युवा हृदयरोगी उनके पास इलाज के लिए आए उनके साथ आने वाले सहयोगी 60-70 की उम्र के बावजूद काफी स्वस्थ थे। बातचीत से पता चला कि वे निरामिष भोजन के अलावा गायत्री मंत्र का नियमित पाठ करते हैं।

 इस सूत्र को लेकर डा.शर्मा ने 20 परिवारों का अध्ययन किया।

हर परिवार से दो व्यक्ति लिए एक वह जो नियमित गायत्री मंत्र का पाठ करता था और दूसरा वह जो पाठ नहीं करता था। डा.शर्मा ने पाया कि नियमित पाठ करने वाले को उच्च रक्तचाप और हृदयरोग अध्ययन के प्रारंभ में भी नहीं के बराबर थे। तीन वर्ष के अंतराल के बाद भी ये रोग उत्पन्न नहीं हुए। मंत्र न पढ़ने वालों में ये रोग ज्यादा संख्या में हुए। मृत्युदर भी मंत्र न पढ़ने वालों में ज्यादा मिली।
  अध्ययन के नतीजों से उत्साहित होकर डा.शर्मा ने उच्च रक्तचाप के 50 रोगियों में से आधे मरीजों को हर दो घंटे में पांच मिनट यह मंत्र पाठ करने की विधि सिखाई। बचे हुए आधे मरीजों को एक दवा रहित गोली(प्लेसिबो) खाने को दी गई। एक हफ्ते बाद इन समूहों को परखा गया तो पता चला कि जो व्यक्ति मंत्र पढ़ रहे थे वे उच्च रक्तचाप के कम होने से लाभांवित हुए और प्लेसिबो टेबलेट खाने वालों को लाभ नहीं हुआ।
हृदय गति की अनियमितता और तेज हृदयगति के रोगियों को भी इस मंत्र से लाभ हुआ।
अगर ओम शब्द को लंबे समय तक ओ और म को खींचकर पढ़ा जाए तो हृदय गति तुरंत कम हो जाती है।
इसीजी से मानिटर करने पर भी इसकी पुष्टि हुई। कोई भी ऐसी सुरक्षित दवा नहीं है जो हृदय गति को इतनी जल्दी तथा सुरक्षित तरीके से कम कर दे।
 

  1. 1. यह मंत्र किसी भी अवस्था में अर्थात बैठ कर लेट कर या खड़े होकर पढ़ा जाए तो समान लाभ मिलता है।
  2. 2. मंत्र ओम शब्द से शुरू होता है- ओम शब्द को जितना लंबा खींचा जा सके, बिना सांस लिए उतना खींचिये। ओ और म शब्द को अलग-अलग लंबा खींचिए।
  3. 3. इसके बाद शेष मंत्र को सही उच्चारण के साथ जितना तेज गति से पढ़ या बोल सकें बोलें। ओम की प्रक्रिया हर बार दोहराएं। पांच मिनट तक लगातार ओम और मंत्र दोहराते रहें।
  4. 4. यह प्रक्रिया एक माह तक हर दो घंटे में करें। इस प्रकार सामान्य व्यक्ति के जाग्रत 16 घंटे में 8 बार करें। 24 घंटों में कुल 40 मिनट का समय देना हैं।
  5. 5.एक माह बाद इस प्रक्रिया का लाभदायक असर अवश्य दिखाई देगा। अब इस प्रक्रिया को 24 घंटे में चार बार करते हुए जारी रखें।
  6. 6. सुबह उठने के समय और रात सोने के समय इस मंत्र का पांच-पांच मिनट उच्चारण आवश्यक है।
  7.   इसके बाद सिर्फ दो बार कोई निश्चित समय तय कर इस मंत्र का नियमित पाठ करते रहें।
  8. 7. इस विधि के साथ अपने डाक्टर द्वारा सुझाई दवाएं जारी रख सकते हैं।
  9. 8. इस विधि से कोई हानि नहीं होती और न कोई साइड इफेक्टस होते हैं।

 उल्लेखनीय है कि इसके जप करने से मानव जीवन के सारे कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं।  गायत्री मंत्र के जप से ही जीवन के व्यक्ति के होने वाले संकट अपने आप कट जाते हैं।  
गायत्री मंत्र इस प्रकार है-
ओम भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्