रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से गुरुवार को भूपेश बघेल सरकार के आरक्षण को लेकर लिए गए फैसले पर एक तगड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार द्वारा सितंबर 2019 में प्रदेश में आरक्षण के प्रतिशत को 58 से 82 प्रतिशत किए जाने के मामले में गुरुवार को बड़ा फैेसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया और 82 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त कर दिया है।
विधेयक विधानसभा में पारित नहीं हुआ इसलिए..
याचिकाकर्ता के वकील पलाश तिवारी ने बताया कि 82% आरक्षण मामले में दायर याचिकाओं को निराकृत करते हुए हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच चीफ जस्टिस रामचंद्र मैनन पी पी साहू ने कहा राज्य शासन द्वारा जारी किया गया ओबीसी आरक्षण विधेयक विधानसभा में पारित नहीं हुआ इसलिए विधेयक कानून का रूप नहीं ले सकता। अतः याचिका दायर करने का मूल उद्देश्य ही खत्म हो गया है।
भूपेश सरकार ने बीते स्वतंत्रता दिवस पर ऐलान किया था
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने बीते स्वतंत्रता दिवस पर ऐलान किया था कि प्रदेश में 82 प्रतिशत आरक्षण लागू करते हुए ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था। राज्य सरकार ने प्रदेश में आरक्षण को 58 से बढ़ाकर 82 प्रतिशत करने सितंबर 2019 में एक नोटिफिकेशन जारी किया था। लेकिन आरक्षण बढ़ाए जाने के बाद वेद प्रकाश ठाकुर एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के खिलाफ बताते हुए रोक लगाने की मांग की थी। मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने ये आदेश जारी किया था।
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