छोटे अपराधों पर अब जेल नहीं, सिर्फ देना होगा जुर्माना

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कैबिनेट से जन विश्वास विधेयक में संशोधन को मंजूरी!

नई दिल्ली (khabargali) केंद्र सरकार ने अब छोटे अपराधों में कारावास के प्रावधान को खत्म करने का फैसला किया है। ऐसी गलतियों के लिए अब सिर्फ अर्थदंड लगाया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी दे दी। इसमें केंद्र सरकार ने कारोबारी सुगमता बढ़ाने और मुकदमों का बोझ कम करने के उद्देश्य से 42 अधिनियमों में 183 प्रावधानों में संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें 19 मंत्रालयों से जुड़े 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव है। सूत्रों ने कहा कि यह विधेयक बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा के लिए आया। गौरतलब है कि मोदी सरकार के नौ साल में 1,500 कानून निरस्त करने के साथ 39 हजार अनुपालन सरल बनाए गए हैं।

समिति ने दिए थे ये सुझाव

 संसदीय समिति ने केंद्र को कारोबार तथा जीवनयापन को सरल बनाने को बढ़ावा देने के लिये जन विश्वास विधेयक की तर्ज पर छोटे मामलों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया था। समिति ने कहा था कि सरकार को पिछली तिथि से प्रावधानों में संशोधन करना चाहिए। इससे अदालतों में लंबित मामलों को निपटान में मदद मिलेगी। समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि मुकदमों में वृद्धि से बचने के लिये जहां भी संभव हो कारावास के साथ जुर्माने को हटाकर नियम का उल्लंघन करने पर मौद्रिक दंड लगाया जाए। छोटे-मोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने का प्रस्ताव विधेयक में छोटे-मोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने के प्रस्ताव के अलावा अपराध की गंभीरता के आधार पर मौद्रिक दंड को तर्कसंगत बनाने, भरोसे पर आधारित राजकाज को बढ़ावा देने का भी प्रस्ताव किया गया है।

इन अधिनियमों में संसोधन का प्रस्ताव

 जिन अधिनियमों में संशोधन किये जाने का प्रस्ताव है, उनमें औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940, सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944, फार्मेसी अधिनियम, 1948, सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952, कॉपीराइट अधिनियम, 1957; पेटेंट अधिनियम, 1970, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 , मोटर वाहन अधिनियम, 1988, ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999, रेलवे अधिनियम, 1989, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000, मनी लांड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 आदि शामिल हैं।

इन विभागों के कानूनों में बदलाव संभव

विधेयक में ये 42 कानून विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से संबद्ध हैं। इन मंत्रालयों में वित्त, वित्तीय सेवाएं, कृषि, वाणिज्य, पर्यावरण, सड़क परिवहन और राजमार्ग, डाक, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी शामिल हैं।

फैसला लेने वाले अफसरों की नियुक्ति

 विधेयक के कानून बनने के बाद केंद्र सरकार दंड निर्धारित करने के लिए अधिकारियों की नियुक्त कर सकती है। ये अधिकारी व्यक्तियों को साक्ष्य के लिए समन भेज सकते हैं और उल्लंघन की जांच कर सकते हैं। इसमें अपीलीय तंत्र का भी प्रावधान होगा।

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