डेंगू बुखार के जानें प्रकार, लक्षण..उपचार और सावधानियां

Know the symptoms, treatment and precautions of dengue fever, viral fever or flu like symptoms, Dr. Mahaveer Agarwal, MBBS MD, Medicine Specialist, Tiger or Aedes aegypti infected mosquito bite, Sudden high fever (105 degree) accompanied by chills and shivering,  Severe headache, Pain behind the eyes, Severe joint and muscle pain, Fatigue, Nausea, Frequent vomiting Diarrhea, Skin rash, Nausea,khabargali

डॉ महावीर अग्रवाल, एमबीबीएस एमडी (मेडिसिन विशेषज्ञ) ने दी विस्तृत जानकारी

ख़बरगली (हैल्थ डेस्क)

इन दिनों डेंगू बुखार तेजी से फैल रहा है। डेंगू बुखार या जिसे आम बोलचाल भाषा में हड्डी तो़ड बुखार भी कहते हैं। एक वायरल जनित कष्टदायक, शरीर को दुर्बल करने वाला या कभी कभी जानलेवा भी साबित होता है। संक्रमित मच्छर से फैलना वाला वायरल जनित रोग है। जो की टाइगर या एडीज एजिप्टी संक्रमित मच्छर के काटने से होता है। डेंगू का ज्यादातर मामले भारत में अगस्त -सितंबर में देखने में मिलते है।

Know the symptoms, treatment and precautions of dengue fever, viral fever or flu like symptoms, Dr. Mahaveer Agarwal, MBBS MD, Medicine Specialist, Tiger or Aedes aegypti infected mosquito bite, Sudden high fever (105 degree) accompanied by chills and shivering,  Severe headache, Pain behind the eyes, Severe joint and muscle pain, Fatigue, Nausea, Frequent vomiting Diarrhea, Skin rash, Nausea,khabargali

डेंगू के चार प्रकार के वायरस पाए जाते है। जो की किसी एक वायरस के शरीर में संक्रमण से होता है और एक बार डेंगू के संक्रमण हो जाने पर जीवन में दोबारा उसी वायरस द्वारा संक्रमण का संभावना नहीं होता है। परंतु उसके बाकी बचे तीन अन्य प्रकार के वायरस से संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है यह संक्रमण किसी भी एक बार डेंगू से संक्रमित व्यक्ति को दूसरे या तीसरे या चौथे बार अलग अलग प्रकार के डेंगू वायरस के संक्रमण से भी हो सकता है। किसी भी मनुष्य को दोबारा संक्रमण होने से वो पहले से भी ज्यादा घातक हो सकता है यहां तक जानलेवा भी साबित हो सकता है या उसे अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ सकता हैं।

सामान्यतः डेंगू बीमारी 70 से 80 प्रतिशत मामलों में आम वायरल फीवर या फ्लू जैसा लक्षण दिखते है जो साधारण ईलाज से ही ठीक हो जाते है जिसमे मरीज को पता भी नहीं चलता की उसे डेंगू संक्रमण हुआ है और ना तो भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। संक्रमित व्यक्ति के आसपास रहने से आपको डेंगू बुखार नहीं हो सकता; इसके बजाय, डेंगू बुखार मच्छर के काटने से फैलता है। जब संक्रमित मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उस व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है और संक्रमण का कारण बनता है।

डेंगू बुखार के लक्षण, जो आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद शुरू होते हैं और 10 दिनों तक रहते हैं, जो की निम्न हो सकते हैं।

 अचानक तेज बुखार (105 डिग्री) ठंड और कपकपी के साथ आना, गंभीर सिरदर्द, आँखों के पीछे दर्द, गंभीर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकान, जी मिचलाना, बारंबार उल्टी आना दस्त होना, त्वचा पर लाल चकत्ते, जो बुखार आने के दो से पांच दिन बाद दिखाई देते हैं, शरीर के पीठ पेट हाथ पैरों पर लाल चकते भी हो सकते है या लाल लाल दाने भी दिखाई दे सकते है, हल्का रक्तस्राव (जैसे नाक से खून बहना, मसूड़ों से खून आना)

गंभीर डेंगू बुखार तब होता है जब आपकी रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और उनमें रिसाव होने लगता है। और आपके रक्तप्रवाह में थक्का बनाने वाली कोशिकाओं (प्लेटलेट्स) की संख्या कम हो जाती है। इससे आघात, आंतरिक रक्तस्राव, अंग विफलता और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। गंभीर डेंगू बुखार के चेतावनी संकेत, जो कि जीवन की आपातकालीन स्थिति है जो जल्दी से विकसित हो सकती है।

चेतावनी के संकेत आमतौर पर आपके बुखार के जाने के पहले या दो दिन बाद शुरू होते हैं, और जिनमें निम्नलिखित संकेत और लक्षण शामिल हो सकते हैं

 डेंगू संक्रमण में होने वाली मृत्य या मरीजों के लिए घातक समय डेंगू के लक्षण दिखने के पांचवे से आंठवे दिन के बीच का समय होता है जिस अंतराल में निम्न गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है-

 बीपी या रक्तचाप में अचानक गिरावट, गंभीर पेट दर्द होना, लगातार उल्टी होना, मसूड़ों या नाक से खून आना मूत्र, मल या उल्टी में रक्त आना त्वचा के नीचे रक्तस्राव, जो खरोंच जैसा लग सकता है सांस लेने में कठिनाई होना(मुश्किल या तेजी-तेजी सांस लेना), अत्यधिक थकान आने के साथ साथ चिड़चिड़ापन या बेचैनी होना या भ्रम स्थिति होना, संक्रामित मरीज का मल्टी ऑर्गन फेल्योर डिजीज में जाना, अचानक किडनी फेल्योर होना तथा लीवर में उसके एंजाइम या बिलिरुबिन का बढ़ना।

यदि आपने हाल ही में किसी ऐसे क्षेत्र का दौरा किया है जहां पर डेंगू बुखार से पीड़ित लोग थे। यदि आपको बुखार हो गया है और आप किसी भी उपर्युक्त चेतावनी के लक्षण से ग्रसित हैं, तो तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें । डेंगू बुखार की जटिलताएं गंभीर डेंगू बुखार अंग क्षति और आंतरिक रक्तस्राव का कारण बन सकता है। ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर तक गिर सकता है, जिससे सदमा भी लग सकता है। कुछ मामलों में गंभीर डेंगू बुखार से मौत भी हो सकती है। जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार हो जाता है, वे प्रसव के दौरान बच्चे को वायरस फैलाने में सक्षम हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार हो जाता है, उनके शिशुओं में समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन या भ्रूण संकट का खतरा अधिक होता है।

डेंगू संक्रमण की पहचान हम उपर वर्णित लक्षणों के आधार पर किसी कुशल चिकित्सक की सलाह से उनके द्वारा सुझाए गए रक्त विभिन्न प्रकार के जांच द्वारा एक्सरे सोनोग्राफी द्वारा कर सकते है। डेंगू का संक्रमण मुख्य रूप से वायरस से संक्रमित एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। मच्छर के काटने पर वायरस शरीर में प्रवेश करता है और फैलने लगता है। प्लेटलेट्स में गिरावट या "थ्रोम्बोसाइटोपेनिया" नामक स्थिति निर्मित होती है,जो की अस्थि मज्जा के सीधे दमन या एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया द्वारा जिसमे प्लेटलेट्स के विरुद्ध एंटीबॉडी बनने से उसे नष्ट करने लगता है जिससे प्लेटलेट्स की कमी शरीर में लाल चकते या मसूड़ों में या आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है। और रक्त वाहिकाओं से प्लाज्मा रिसाव होने से बीपी में गिरावट या फेफड़ों में पानी भरना जिससे सांस लेने में तकलीफ तथा शरीर में सूजन आना की स्थिति निर्मित हो सकती हैं और जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।

डेंगू संक्रमण के इलाज के लिए कोई विशिष्ट दवा नहीं है। इसका ईलाज मुख्यत: लक्षणों पर आधारित होता है और ना तो कोई वैक्सीन बनी है जो भारत में काम आए परंतु पश्चिमी देशों ने पिछले वर्षो में कुछ वैक्सीन विकसित की है और इस पर अभी भी शोध जारी है।

अगर आपको लगता है कि आपको डेंगू बुखार हो सकता है, आपको आराम करना चाहिए, बहुत सारे तरल पदार्थ पीना चाहिए । यदि आपको पेशाब कम होना, शुष्क मुँह या होंठ, सुस्ती या भ्रम, ठंडे या चिपचिपे हाथ-पैर जैसे लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अपने प्लेटलेट काउंट को बेहतर बनाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना जो आपके आहार में जल्द स्वस्थ होने में मदद करते हैं। पपीते के पत्तों का अर्क, हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, आयरन युक्त खाद्य पदार्थ, विटामिन सी और विटामिन के से भरपूर खाद्य पदार्थ और सप्लीमेंट्स शामिल करना संक्रमण के दौरान स्वस्थ प्लेटलेट काउंट को बढ़ा और स्थिर कर सकता है। ओवर-द-काउंटर (OTC) दवा पेरासिटामोल मांसपेशियों में दर्द और बुखार को कम करने में मदद कर सकती है।

डेंगू बुखार में डॉक्टर की सलाह के बिना प्लेटलेट रोधी दवाएं जैसे एस्पिरिन डाइक्लोफेनेक या NSAIDS नहीं लेनी चाहिए। लेकिन अगर आपको डेंगू बुखार है, तो डेंगू बुखार रक्तस्राव की जटिलताओं के जोखिम से बचने के लिए पेरासिटामोल के अलावा आपको बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई नहीं लेनी चाहिए। बुखार कम होने के बाद, पहले 24 घंटों में अगर आप असहज महसूस करने लगते हैं, तो आपको डेंगू बुखार जटिलताओं की जांच के लिए तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।

डेंगू बुखार को रोकने का सबसे अच्छा तरीका संक्रमित मच्छरों के काटने से बचना है। खुद को बचाने के लिए:मच्छरदानी का प्रयोग करें, यहाँ तक कि घर के अंदर भी। जब बाहर हों, तो लंबी बाजू की शर्ट और मोज़े में लंबी पैंट पहनें घर के अंदर, यदि उपलब्ध हो तो एयर कंडीशनिंग का उपयोग करें। सुनिश्चित करें कि खिड़की और दरवाजों स्क्रीन सुरक्षित हैं और छिद्रों से मुक्त हैं। यदि सोने का क्षेत्र वातानुकूलित नहीं है, तो मच्छरदानी का उपयोग करें। अगर आपको डेंगू के लक्षण हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें।

मच्छरों की आबादी को कम करने के लिए उन जगहों से छुटकारा पाएं जहां मच्छर पनप सकते हैं। बाहरी पक्षी स्नान और पालतू जानवरों के पानी के व्यंजनों में नियमित रूप से पानी बदलें, बाल्टियों से स्थिर पानी को खाली करें। घरों के आसपास टायर कूलर या खाली पड़े सामानों से ठहरे हुए पानी को साफ करना या उनका पानी खाली कर सुखा रखना बरसात के समय यदि आसपास जगहों में पानी भराव के साथ साथ ठहराव भी है तो इसे जगह को पाटना उचित होगा जिससे मच्छर मक्खी के पनपने की संभावना कम हो जायेगी यदि आपके घर में किसी को डेंगू बुखार हो जाता है, तो मच्छरों से खुद को और परिवार के अन्य सदस्यों को बचाने के प्रयासों के बारे में विशेष रूप से सतर्क रहें। संक्रमित परिवार के सदस्य को काटने वाले मच्छर आपके घर में दूसरों को संक्रमण फैल सकते हैं। अतंतः डेंगू बीमारी से डरने के बजाय इसके रोकथाम और जानकारी होने पर त्वरित चिकित्सक परामर्श लेना ज्यादा अच्छा है।

-डॉ महावीर अग्रवाल, एमबीबीएस एमडी (मेडिसिन विशेषज्ञ)