देश में एक समान तिथि, वार और त्योहार मनाने बनेगा राष्ट्रीय कैलेंडर

National Calendar, Uniform Date in the Country, Wise, Festivals, Astrology, Panchangkart, Astronomy, Indian National Day Guide, Vikram University, Ujjain, Timeline, Khabargali

देशभर के 300 ज्योतिष, पंचांगकर्ता और खगोल विज्ञान से जुड़े विद्वान करेंगे मंथन

अंग्रेजी कैलेंडर की जगह भारतीय कैलेंडर को मान्यता मिलेगी

उज्जैन (khabargali) कई बार ऐसा होता है कि देश में एक ही त्योहार को अगल-अगल दिन मनाया जाता है। आने वाले समय में ऐसा ना हो और देश के सभी धर्मों में एक समान तिथि, वार और त्योहार एक ही समय पर पूरे देश में मनाया जाए. इस के लिए केंद्र सरकार की पहल पर जल्द ही नेशनल कैलेंडर तय किया जाएगा। इसके लिए उज्जैन में दो दिन देशभर के 300 ज्योतिष, पंचांगकर्ता और खगोल विज्ञान से जुड़े विद्वान जुटेंगे। इसका फायदा यह होगा कि विभिन्न अंचलों से पंचांगों के कारण व्रत-त्योहार, तिथि आदि को लेकर उत्पन्न होने वाले भेद खत्म हो जाएंगे। इसके अलावा देश में अंग्रेजी कैलेंडर की जगह भारतीय कैलेंडर को मान्यता मिलेगी। देशभर में एक समान तिथि, वार और त्योहारों के अनुसार देश में पहली बार केंद्र सरकार की पहल पर राष्ट्रीय कैलेंडर सुनिश्चित करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए मध्य प्रदेश की धर्मनगरी उज्जैन में दो दिन देशभर के ज्योतिष, पंचांगकर्ता और खगोल विज्ञान से जुड़े विद्वान मंथन करेंगे।

भारतीय राष्ट्रीय दिनदर्शिका (नेशनल कैलेंडर ऑफ इंडिया) को लेकर विक्रम विश्वविद्यालय में 22-23 अप्रैल को दो दिन देशभर के विद्वानों की राष्ट्रीय संगोष्ठी और पंचांगों की प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार की तरफ से ये पहल की जा ही है। आयोजन में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, केंद्रीय विज्ञान प्रोद्योगिकी विभाग, विज्ञान प्रसार, भारतीय तारा भौतिकी संस्थान, खगोल विज्ञान केंद्र, विज्ञान भारती, धारा, मप्र विज्ञान-प्रोद्योगिकी परिषद, विक्रम विश्वविद्यालय व पाणिनी संस्कृत विवि उज्जैन भागीदार हैं।

पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ दिलीप सोनी के अनुसार 1952 में देश में यूनिफार्म कैलेंडर के लिए कैलेंडर रिफॉर्म कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी की अनुशंसा पर 1956 में नेशनल कैलेंडर के लिए प्रयास हुए थे, लेकिन बाद में मामला आगे नहीं बढ़ा। हाल ही में केंद्र सरकार ने फिर से इसकी पहल शुरू की है। अभी जिस अंग्रेजी कैलेंडर को माना जाता है, उस कैलेंडर के दिन, महीने, वर्ष आदि को लेकर कोई प्रामाणिक मान्यता नहीं है। जबकि भारतीय कैलेंडर (पंचांग) खगोल पर आधारित है, जैसे महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखे गए हैं। ग्रहों के आधार पर ही दिन, तिथि, वार, त्योहार आदि तय होते हैं। इसलिए देश में भारतीय कैलेंडर ज्यादा प्रासंगिक है। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले देश के महानगरों कोलकाता, जम्मू, पुणे आदि में कर्टन रेजर कार्यक्रम भी होंगे, जहां भारतीय कैलेंडर को लेकर नागरिकों को जानकारी दी जाएगी।

उज्जैन की कालगणना को ही विश्व में मान्यता प्राप्त

उज्जैन कालगणना का प्राचीन केंद्र रहा है। उज्जैन की कालगणना को ही विश्व में मान्यता थी। उज्जैन कर्क रेखा पर स्थित है। इसलिए समय की गणना यहां सबसे ज्यादा शुद्ध होती है। इसलिए उज्जैन में राजा जयसिंह ने वेधशाला स्थापित की थी। इसके बाद पुराविद् डॉ विश्री वाकणकर द्वारा कर्क रेखा की दोबार खोज किए जाने के बाद महिदपुर तहसील के डोंगला में नई वेधशाला बनाई गई है, जहां खगोल को लेकर अत्याधुनिक उपकरण व अंतरराष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी आदि के लिए सभागृह आदि उपलब्ध हैं।

शुरु हुआ ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

डॉ सोनी के अनुसार इस संगोष्ठी में नेशनल कैलेंडर तय किया जाएगा। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार के संबंधित मंत्रालयों, राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न संस्थाओं के 100 प्रतिनिधि तथा 200 ज्योतिष, पंचांगकर्ता व खगोल विज्ञान के विद्वान शामिल होंगे। इनका ऑनलाइन पंजीयन किया जा रहा है। पंचांगों के तथ्यों पर मंथन कर नेशनल कैलेंडर बनाया जाएगा।

Category