दीपावली में जगमगाएंगे बांस के लैंप और मोमबत्तियां

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समूह से जुड़ी महिलाएं तैयार कर रही बांस की आकर्षक सजावटी वस्तुएँ

रायपुर (khabargali) ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार के मार्गदर्शन में हस्तशिल्प विकास बोर्ड ने बँसोड जनजाति की महिलाओं को जहां रोजगार की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। जशपुर जिले की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए बॉस के लैंप और मोमबत्तियां दीपावली में जगमगाएंगे। छत्तीसगढ़ राज्य शासन की मंशा के अनुरूप हस्तशिल्प विकास बोर्ड हस्तशिल्पकारों के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के सुदूर सीमावर्ती जिला जशपुर के कांसाबेल विकासखंड में महिला स्व-सहायता समूह द्वारा बांस से विभिन्न प्रकार की सामग्री तैयार की जा रही है। यहां बंसोड़ जनजाति की महिलाओं द्वारा बांस से मोमबत्ती, लैम्प और अन्य आकर्षक चीजें तैयार कर रही हैं। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार समूह की महिलाओं ने बताया कि 15 महिलाएं मिलकर बांस से अनेक प्रकार की आकर्षक वस्तुएं बना रही हैं। जिससे उनके आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने बताया कि 350 रुपए के एक सेट में 6 नग बांस से बने कैंडल दिया, जिसका नाम शुभम दिया गया है। बांस से निर्मित लैम्प भी बनाया गया है जिसमें 250 रुपए के एक सेट में 3 नग है जिसका नाम कल्यानम दिया गया है। महिला समूह द्वारा उत्पादित सामग्री मोबाइल नंबर 9644774974 पर संपर्क कर पार्सल से भी मंगाया जा सकता है।

ख़बरगली की अपील.. पटाखा नहीं..इस बार सिर्फ रौशनी वाली दीवाली

विश्व में हर साल प्रदूषण से 70 लाख लोगों की मौत हो रही है। कोरोनाकाल में लंग्स इंफेक्शन के केस तेजी से बढ़े हैं। कोरोना संक्रमित होने से लेकर निगेटिव आ जाने के बाद भी वायरस का असर रहता है और फेफड़े कमजोर रहते हैं। शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में पटाखे जलाकर हम सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें ही पैदा करेंगे और ऑक्सीजन बहुत कम कर देंगे। एक फुलझड़ी करीब 70 सिगरेट और एक अनार करीब 35 सिगरेट के बराबर धुआं फैलाता है। एक छोटा पटाखा 10 लीटर और बड़ा पटाखा 100 लीटर ऑक्सीजन को खत्म कर देता है। पर्यावरण में इससे ऑक्सीजन का लेबल कम हो जाता है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर साल प्रदूषण से 70 लाख लोगों की मौत होती है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि पटाखे कितने खतरनाक हैं ।