जनहित के काम नहीं हुए, इस बात के बजाय कांग्रेसियों को मनमुताबिक ट्रांसफर-पोस्टिंग न करा पाने का रंज है - श्रीवास्तव

Bharatiya Janata Party State Spokesperson Sanjay Srivastava, Raipur, Chhattisgarh, Khabargali

जनता के प्रति गैर-जवाबदेही और सत्ता का बेजा इस्तेमाल ही कांग्रेस का राजनीतिक चरित्र रहा है, यह कांग्रेस की समीक्षा बैठक से प्रमाणित हो रहा है

रायपुर (khabargali) कांग्रेस के लोग सत्ता में रहते हुए तो जनता से कटे-कटे रहे ही, अब जबकि प्रदेश की जनता ने उन्हें सत्ता से उखाड़ फेंका है तब भी अपनी हार की समीक्षा करते हुए भी जनता के प्रति अपने गैर-जिम्मेदाराना राजनीतिक आचरण को लेकर उन्हें कोई मलाल नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि जनता के प्रति गैर-जवाबदेही और अपने सत्तावादी अहंकार के लिए सत्ता का बेजा इस्तेमाल ही कांग्रेस का राजनीतिक चरित्र रहा है, यह कांग्रेस की समीक्षा बैठक से प्रमाणित हो रहा है। श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस के संयुक्त महामंत्री और सचिव की मौजूदगी में हुई कांग्रेस की बैठक में पार्टी की अंतर्कलह खुलकर सामने आ रही है। कांग्रेस के नेता एक-दूसरे पर पार्टी के साथ जमकर गद्दारी करने का आरोप लगा रहे हैं और स्वयं प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने भी इसकी तस्दीक की है। आलम यह है कि कांग्रेस सरकार के मंत्रियों, निगम-मंडल अध्यक्षों पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट रहा है।

श्री श्रीवास्तव ने इस बात पर हैरत जताई कि कांग्रेस के लोगों का यह गुस्सा इस बात पर कतई नहीं है कि कांग्रेस की भूपेश सरकार के मंत्री, निगम-मंडल अध्यक्ष जनता के हित का काम नहीं किया, बल्कि यह गुस्सा इस बात का है कि कांग्रेस के शासनकाल में उनके मनमुताबिक अफसरों-कर्मियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं हुई। उन्होंने कहा कि यह बताता है कि कांग्रेस जनता के कल्याण के लिए नहीं, बल्कि अफसरों-कर्मचारियों पर सत्ता की धौंस दिखाकर रौब गालिब करने के लिए सत्ता हासिल करना चाहती है। पहले भी कांग्रेस ने यही किया, अपने पाँच साल के पिछले शासनकाल में भी यही किया।

श्रीवास्तव ने कांग्रेस के इस आचरण पर करारा कटाक्ष कर कहा कि एक राजनीतिक दल के तौर पर कांग्रेस का यह नजरिया बेहद शर्मनाक है, जिसके नेताओ व कार्यकर्ताओं को इस बात का कतई रंज नहीं है कि पाँच साल के शासनकाल में जनता के साथ किए गए विश्वासघात, वादाखिलाफी, छल-कपट, कुशासन के कारण जनता ने उन्हें सत्ता से उखाड़ फेंका है, उल्टे उन्हें अब भी इस बात की तकलीफ सता रही है कि उनकी अपनी सरकार के रहते वे मन-मुताबिक ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं करा पाए।