रायपुर (khabargali) ज्योतिष में बुध और जातक = बुध दिमाग है, चालाकी है, चतुराई है, पैसा है, सामाजिक तालमेल है, गणितबाज़ी है, वाणी है, घुटन देने वाला ज़हर है, शरीर को सुखा देने वाला है, कमज़ोर कर देने वाला है और वित्त मंत्री है |
कुण्डली में जब बुध शत्रु ग्रह या उनकी राशी ( सुर्य, चन्द्रमा, ब्रहसपति, मंगल ) में होता है तो जातक को दिक्कत देता है, बेवजह धन हानि या फ़िर ओवर कान्फ़िडेन्स के कारण जातक को नुकसान होता है |
जब बुध सुर्य के साथ होता है तो जातक को जल्दी सफ़लता देता है, खास कर 21-22 से ही जातक किसी ना किसी रूप में धन कमाना शुरु कर देता है,लेकिन उसके बाद जब जातक को लगे कि सब कुछ सैट है, जहाँ पर जातक रिस्क लेता है लालच करता है, 30-32 तक पहुँच कर जातक को नीचे गिराना शुरु कर देता है |
जब कुण्डली में बुध चन्द्रमा के साथ होता है, तो भी धन तो देता है लेकिन रिश्ते के मामले में धोखा देता है, कम उम्र में ही जातक के चरित्र का पतन होना शुरू हो जाता है, जातक प्रेम सम्बन्ध की तरफ़ और खुद की खूबसुरती की तरफ़ ज़्यादा ध्यान देने लग जाता है और पढाई से जातक का मन भटक जाता है, हर समय जातक के मन में कोई ना कोई फ़ितूर चलता रहता है, जातक कभी शान्त नहीं रह पाता |
कुण्डली में जब मंगल बुध के साथ होता है तो यही बुध जातक के जोश, जुनुन और जुर्रत को बांध देता है, जातक के दोस्त ही उसके सामने उसका उपहास करते हैं और जातक को इस मानहानि के घूट पीने पडते हैं, वह अन्दर ही अन्दर घुटता रहता है | और यही बुध मंगल के कारण ही जातक का शरीर कमज़ोर होता है, पतला होता है, जातक में खून की कमी या फ़िर हृदय से सम्बन्ध रोग होते हैं, हर छोटी- छोटी बात पर जातक घबराता है, कोई एक्जाम है उस से पहले जातक का मन घबराता है, कोई इंटरव्यू है उस से पहले जातक को घबराहट शुरु हो जाती है, क्लास में प्रिंसिपल ने आना है ये सुन कर ही जातक घबरा जाता है |
और जब कुण्डली में बुध गुरू के साथ होता है, तो जातक अपने ही बडो का सम्मान नहीं करता, जातक एक अच्छा शिष्य नही बन सकता क्योंकि वो चीज़ो को बारीकी से समझने की कोशिश नहीं करता | जातक को अपने ही माता पिता की सलाह पर चलना पसंद नहीं होता, हालकि माता पिता से सम्बन्ध अच्छे रहते हैं लेकिन कुछ ना कुछ वैचारिक मत भेद चलते रहते हैं | जातक का अपने ही पिता के साथ दोस्ताना सम्बन्ध नहीं होता, जातक अपने पिता के साथ फ़ुरसत के पल नहीं बिता सकता, जातक अपने ही पिता के साथ खरीदारी करने नही जा सकता, और अगर कर भी आये तो घर आकर बहस और नोक झोक शुरु हो जाती है | ऐसा बुध कभी भी जातक को बडो के सानिध्य में रहने नहीं देता, जातक को उस के टीचर्स से बात चीत करने नहीं देगा, टीचर्स से सवाल करने नहीं देगा, चीज़ो को समझने नहीं देगा, सिर्फ़ किताबी रट्टा मारने की आदत बना देता है | जातक खुद को दूसरो से ज़्यादा बुध्दिमान और चतुर समझने लगता है | और जातक धर्म से विमुख होता चला जाता है, संस्कार और रिवाजो से दूर होता चला जाता है | और एक समय ऐसा आ जाता है कि जातक के पास धन तो होता है लेकिन रिश्ते नहीं होते, रिश्तो का सुख नहीं होता | जातक के खुद बच्चे उस का बुढापे में साथ नहीं देते उसका हाल नहीं पूछते |
-अजित शास्त्री "गुरुजी", रायपुर, संपर्क -9926111322
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