लीला प्रभाकर राव गुलकरी ने नेत्रदान कर सार्थक किया गीता से प्राप्त ज्ञान को

Leela Prabhakar Rao Gulkari, resident of Chaubey Colony Raipur, made the knowledge gained from Gita meaningful by donating eyes, eye donation social worker Vikram Hishikar, Chhattisgarh, Khabargali

रायपुर (खबरगली) धर्म ग्रंथ सदैव ही हमें अच्छे कार्यों की प्रेरणा देते हैं, परंतु बहुत कम ही लोग होते हैं जो उनके उपदेशों को आत्मसात कर पाते हैं. नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि, नैनं दहति पावक, न चैनं क्लेद्यतापो, न शोष्यति मारुतः"आत्मा अजर -अमर है, शरीर नश्वर है" भगवत गीता में स्वयं *श्रीहरि नारायण के श्रीमुख से निकले इन शब्दों को समझते हुए चौबे कॉलोनी रायपुर निवासी स्व.श्रीमती लीला प्रभाकर राव गुलकरी* (93) के बेटों विलास, अजय, बेटियों- वीणा और प्रतिभा द्वारा निधनोंपरांत कल रात 3 बजे उनका नेत्रदान किया गया, ताकि उनकी आँखों से 2 नेत्रहीन बच्चे इस सुंदर दुनियां को देख सकें.

स्व लीला ताई ने स्वयं, 5 वर्ष पूर्व ही नेत्रदान सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम हिशीकर को नेत्रदान के लिए अपनी सहमति और नेत्रदान घोषणापत्र भरकर दिया था. ताकि उनकी आँखे 2 नेत्रहीन बच्चों की जिंदगी में रंग भर सकें. आज अपरान्ह कोटा मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ जिसमे उपस्थित सभी लोगों द्वारा इस प्रेरणादायी कार्य के लिए गुलकरी परिवार को साधुवाद प्रदान किया गया.