मध्य भारत में पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट मरीज़ की जटिल कान सर्जरी, डॉ. अनुज जाऊलकर ने किया करिश्मा

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रायपुर (खबरगली) राजधानी के डॉ. जाऊलकर ईएनटी हॉस्पिटल ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। अब तक सिर्फ महानगरों में संभव किडनी ट्रांसप्लांट मरीज़ की जटिल कान की सर्जरी मध्य भारत में पहली बार सफलतापूर्वक की गई है। डॉ. अनुज जाऊलकर द्वारा किए इस दुर्लभ ऑपरेशन ने साबित कर दिया है कि विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं अब स्थानीय स्तर पर भी उपलब्ध हैं।

यह था मामला

भिलाई निवासी 56 वर्षीय एक महिला, जिनका दो वर्ष पूर्व दोनों किडनी खराब होने के कारण किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था, विगत कुछ महीनों से कान में दर्द और मवाद से परेशान थीं। कई स्थानीय इलाजों के बाद भी स्थिति में सुधार न होने पर डॉक्टरों ने उन्हें बड़े शहरों में जाने की सलाह दी। महिला के पति और पुत्र स्वयं डॉक्टर हैं, इसलिए उन्होंने रायपुर में डॉ. अनुज जाऊलकर से संपर्क किया।

जटिल बीमारी और ऑपरेशन की चुनौती

सीटी स्कैन और अन्य जांचों में पता चला कि मरीज़ को एक दुर्लभ बीमारी 'कोलेस्टिएटोमा' (Cholesteatoma) है, जो बाहरी कान की नली में चेहरे की नस (फेशियल नर्व) के ठीक ऊपर और आसपास स्थित थी। डॉ. जाऊलकर ने खबरगली को बताया कि यदि ऑपरेशन नहीं किया जाता, तो चेहरे की नस स्थायी रूप से खराब होने का खतरा था, जिससे चेहरे का लकवा (मुंह तिरछा होना) हो सकता था। यह ऑपरेशन इसलिए भी बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट के कारण मरीज़ पहले से ही कई दवाइयों का सेवन कर रही थीं, जिससे अतिरिक्त दवाइयां देना संभव नहीं था। साथ ही, मरीज़ को पूरी तरह से बेहोश करना भी एक मुश्किल कार्य था।

अत्याधुनिक माइक्रोसर्जरी से मिली सफलता

डॉ. अनुज जाऊलकर ने अत्याधुनिक माइक्रोस्कोपिक पद्धति का उपयोग करके यह जटिल ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया। यह सर्जरी बहुत नाजुक थी क्योंकि इसमें चेहरे की नस को खराब होने की बहुत अधिक संभावना रहती है। डॉ. जाऊलकर की कुशल सर्जरी से मरीज़ का ऑपरेशन पूर्णतः सफल रहा और उन्हें बीमारी से पूरी तरह मुक्ति मिली।

विशेषज्ञ टीम का योगदान

इस सफल ऑपरेशन में डॉ. अनुज जाऊलकर के साथ बेहोशी विशेषज्ञ डॉ. स्मिता जाऊलकर, डॉ. विश्वजा जाऊलकर, ओटी असिस्टेंट गजानन साहू और सावित्री सेन ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया। इस उपलब्धि ने मध्य भारत में गंभीर रोगों के इलाज की नई संभावनाओं को जन्म दिया है। जिससे स्थानीय मरीजों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अब महानगरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा।

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