विनुथा ने बैंगलोर विश्वविद्यालय से कार्बनिक रसायन शास्त्र में की एमएससी
कहा -सरकारी अध्यापिका बन पिता का पूरा करूंगी सपना
बंगलूरू (khabargali) एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी विनुथा जे आठ स्वर्ण पदक और तीन नकद पुरस्कारों के साथ बैंगलोर विश्वविद्यालय में टॉपर बनीं। अपनी उपलब्धि के साथ, उसने अपने पिता का सपना पूरा किया है, जो चाहते थे कि वह शिक्षा में उत्कृष्ट हो और एक शिक्षक बने। दिहाड़ी श्रमिक की बेटी विनुथा ने बैंगलोर विश्वविद्यालय से आठ गोल्ड मेडल के साथ कार्बनिक रसायन शास्त्र में एमएससी की है। यही नहीं उन्होंने तीन नकद पुरस्कार भी जीते हैं। अब उनका मसकद पिता का सपना पूरा करने के लिए सरकारी अध्यापिका बनना है। इसके लिए उन्होंने बीएड में एडमिशन ले लिया है।
पिता की इच्छा पूरी करेंगी
विनुथा ने बताया कि उनके पिता सर्वे विभाग में श्रमिक और मां गृहिणी हैं । उन्होंने हमेशा अपनी बेटी को पढ़ाने पर जोर दिया। वे उनकी इकलौती बेटी हैं। उनके पिता ने हमेशा से उन्हें सरकारी स्कूल में अध्यापिका बनते देखना चाहा है, इसलिए यह नौकरी पाने का प्रयास करेंगी। विनुथा मानती हैं कि परिवार का सहयोग न होता तो वह इतना न पढ़ पातीं। साथ वह उम्मीद नहीं कर रहीं थीं विश्वविद्यालय में टॉप करेंगी। यह उनके जीवन का सबसे यादगार दिन है।
50 किमी दूर से रोज जातीं कॉलेज, बस में पढ़ने की आदत
बंगलूरू से 50 किमी दूर आनेकल की रहने वाली विनुथा ने बताया कि वह रोजाना पढ़ने के लिए बंगलूरू के अपने कॉलेज जाती है इस दौरान उन्हें काफी समय सफर करते हुए बिताना पड़ता। इसी वजह से उन्हें बस में पढ़ने की आदत हो गई है।
लड़कियों ने मारी बाजी
इस साल लड़कियों ने सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल जीते हैं । विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए विवरण के अनुसार, 147 छात्रों द्वारा साझा किए गए कुल 299 स्वर्ण पदकों में से 93 स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में महिला छात्रों द्वारा प्राप्त किए गए हैं। स्नातक स्तर पर 26 लड़कों की तुलना में 33 लड़कियों को स्वर्ण पदक मिले। स्नातकोत्तर स्तर पर यह संख्या क्रमशः 60 एवं 28 है। दिलचस्प बात यह है कि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में शीर्ष 13 स्वर्ण पदक विजेता लड़कियां हैं।
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