नई दिल्ली (khabargali) देश के 26 विपक्षी दलों ने मिलकर 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एक नए गठबंधन का एलान किया है. बेंगलुरु में बैठक के लिए जुटे 26 विपक्षी दलों ने इस नए अलायंस का नाम 'INDIA' रखा है. मोदी-शाह की जोड़ी के खिलाफ माहौल पैदा करने के लिए इसका गठन किया गया है. बेंगलुरु में हुई बैठक के दौरान गठबंधन के नाम पर अंतिम मुहर लगायी गयी. इसमें कांग्रेस, जदयू, राजद, सपा, जैसे दल शामिल है, इसमें छोटे दलों को भी स्थान दिया गया है.
क्या है 'INDIA'?
'INDIA', इंडियन नैशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस का संक्षिप्त रूप है, जो अगले साल के चुनावों में एनडीए का मुकाबला करने के लिए 26 पार्टियों के नेताओं द्वारा घोषित किया गया एक विपक्षी अलायंस है.
किसने सुझाया 'INDIA' नाम?
सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी ने विपक्षी मोर्चे का नाम 'INDIA' रखने का प्रस्ताव रखा जिसकों सभी दलों ने स्वीकार कर लिया. इस बैठक में विपक्ष के कई दिग्गज नेता शामिल हुए. हालांकि, कुछ सूत्रों ने कहा कि नाम का सुझाव टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल प्रमुख ने दिया था.
अलायंस को कौन करेगा लीड?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया कि विपक्षी अलायंस में समन्वय के लिए 11 सदस्यों की एक समिति गठित की जाएगी और मुंबई में विपक्ष की अगली बैठक में एक संयोजक का चयन किया जाएगा. खड़गे ने आगे कहा कि गठबंधन के बेहतर प्रबंधन के लिए दिल्ली में एक सचिवालय भी बनाया जायेगा साथ ही अलग-अलग मुद्दों के लिए विशिष्ट समितियां भी बनायी जाएगी.
कौन हैं गठबंधन का हिस्सा?
इस गठबंधन में कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, आप, जेडी(यू), राजद, सपा, जेएमएम, एनसीपी (शरद पवार), शिव सेना (यूबीटी), एनसी, पीडीपी, सीपीएम, सीपीआई, आरएलडी, एमडीएमके, कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके), केरल कांग्रेस (जोसेफ), केरल कांग्रेस (मणि), समेत 26 विपक्षी दल शामिल है.
राहुल ने यह कहा
वही राहुल गांधी ने कहा कि “यह NDA और INDIA की लड़ाई है. नरेंद्र मोदी और इंडिया के बीच लड़ाई है. उनकी विचारधारा और इंडिया के बीच की लड़ाई है. हमने निर्णय लिया है कि हम एक एक्शन प्लान तैयार करेंगे और एक साथ मिलकर देश में हमारी विचारधारा और हम जो करने जा रहे हैं उसके बारे में बोलेंगे”.
2024 में INDIA बनाम NDA होगा
उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी ट्वीट कर कहा, ‘तो इस बार 2024 होगा, टीम INDIA Vs टीम NDA चक दे इंडिया!’ नाम बदलने के पीछे एक सोच यह भी हो सकती है कि UPA मोर्चे से काफी कुछ संकेत 2004 और 2009 जैसे मिलते. विपक्षी दल चाहते हैं कि एनडीए के खिलाफ नई मुहिम शुरू हो. हो सकता है कि कांग्रेस पर मोर्चे का नाम बदलने का दबाव भी रहा हो. यूपीए की अगुआ कांग्रेस थी और इस बार शायद तमाम विपक्षी दल अभी किसी को अगुआ मानने के मूड में न हों.
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