
ईडी का दावा, लखमा ने शराब घोटाले से अर्जित अपराध की आय का किया इस्तेमाल
रायपुर (khabargali) ईडी के अधिकारी पूर्व आबकारी मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कवासी लखमा उनके पुत्र हरीश, सुकमा पालिका अध्यक्ष जगन्नाथ राजू साहू, सुशील ओझा और ठेकेदार राजभुवन भदौरिया का सोमवार को दिनभर इंतजार करते रहे, लेकिन, कोई उपस्थित नहीं हुआ। जबकि उक्त सभी लोगों को समंस जारी कर पूछताछ कर बयान दर्ज करने के लिए बुलवाया गया था। बताया जाता है कि अब 2 जनवरी को उक्त सभी लोगों को पेश होने के लिए कहा गया है।
वहीं छापेमारी के दौरान जब्त किए गए मोबाइल और इलेक्ट्रनिक डिवाइस को साइबर एक्सपर्ट के जरिए डिकोड कर इनपुट निकाले गए है। इसमें किन लोगों से बातचीत होती थी इसका विवरण और कोर्ड वर्ड में कुछ हिसाब लिखा हुआ है। इसके संबंध में पूछताछ कर बयान दर्ज किया जाएगा। बता दें कि 2161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले की ईडी के साथ ही ईओडब्ल्यू की टीम जांच कर रही है।
घोटाले का हिसाब होगा
ईडी ने शराब घोटाले में दर्ज किए गए अपने पूर्व के ईसीआईआर में कह चुकी है कि कवासी को करीब दो वर्ष तक हर माह, 50- 50 लाख रुपए मिलते थे। हालांकि कवासी ने मीडिया से बातचीत के दौरान इससे इनकार करते हुए एक रुपए भी नहीं मिलने की बात कही थी। साथ ही पूरे मामले में फंसाने का आरोप लगाते हुए अधिकारियों द्वारा फाइलों में हस्ताक्षर कराने की बात कही थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया हैं कि उसने ऐसे सबूत जुटाए हैं, जिनसे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने कथित शराब घोटाले से अर्जित अपराध की आय का इस्तेमाल किया। ईडी ने धनशोधन मामले की जांच के तहत 28 दिसंबर को राज्य के रायपुर, सुकमा और धमतरी जिलों में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा के परिसरों पर छापे मारे थे। ईडी ने एक बयान में कहा कि तलाशी अभियान लखमा के आवासीय परिसर में चलाया गया, जो "आबकारी मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर अपराध की आय के मुख्य प्राप्तकर्ता थे।" तलाशी अभियान के परिणाम स्वरूप, घोटाले की संबंधित अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा अपराध की आय के इस्तेमाल से संबंधित सबूत जुटाए गए हैं।
ईडी ने आरोप लगाया है कि लखमा को शराब घोटाले से अर्जित अपराध की आय से मासिक आधार पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलती थी। ईडी के अनुसार, राज्य में कथित शराब घोटाला 2019-22 के बीच हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी।
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