संत कालीचरण के बयान को लेकर छिड़ा सियासी वाकयुद्ध

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मामले में कांग्रेस - भाजपा से किसने क्या कहा जानिए

रायपुर (khabrgali) रायपुर में आयोजित धर्म संसद के दौरान संत कालीचरण के द्वारा दिए गए बयान को लेकर अब सियासी पारा भी चढ़ गया है, माहौल गरमाया हुआ है। संत कालीचरण तो बयान देकर छत्तीसगढ़ में घमासान मचा कर कल रात ही चले गए, अब भाजपा व कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया है।

आपको बता दें कि कांग्रेस की ओर से कल संत कालीदास के खिलाफ पहला एफआईआर पूर्व सभापति प्रमोद दुबे ने टिकरापारा थाने में कल दर्ज कराया था। देर रात कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम ने भी रिपोर्ट दर्ज करवाई। मुख्यमंत्री बघेल के पहले बयान आने के बाद तो अब कालीचरण के गिरफ्तारी की मांग उठने लगी है। कांग्रेस नेताओं ने यह भी सवाल उठाया था कि आखिर भाजपा के लोग चुप क्यों हैं? अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय और नेता प्रतिपक्ष कौशिक औऱ पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का बयान आया है लेकिन सपाट शब्दों में,बयान देकर भी वे बचना चाह रहे हैं। जानिए पूरे मामले में किसने क्या कहा ?

किसी ने भी समाज में जहर घोलने की कोशिश की तो सख्त कार्रवाई होगी : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, महात्मा गांधी के हत्यारों का महिमा मंडन करने वालों की मानसिक स्थिति क्या है आप स्वंय अंदाजा लगा सकते हैं। छत्तीसगढ़ गुरु घासीदास की धरती है, शांति, प्रेम और भाईचारे की धरती है। हिंसात्मक बातें यहां बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, किसी ने भी समाज में जहर घोलने की कोशिश की तो सख्त कार्रवाई होगी।एफआईआर दर्ज हो चुकी है। मामला पुलिस देख रही है, जांच के बाद जो तथ्य सामने आएंगे उसके मुताबिक कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने धर्म संसद से महंत रामसुंदर दास के खुद को अलग करने के फैसले की तारीफ भी की।

पाखंडी कालीचरण ने किया राष्ट्रद्रोह का काम - मरकाम

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि पाखंडी कालीचरण ने राष्ट्रद्रोह का काम किया है। उसने महात्मा गांधी पर नहीं भारत की आत्मा पर प्रहार करने का काम किया है। कालीचरण जैसों को आरएसएस भाजपा प्रश्रय देती है ताकि गांधी जी के प्रति उनकी जो नफरत है वह इन जैसों के माध्यम से फैलती रहे। मरकाम ने कहा कि कालीचरण जैसे लोग धर्म को आत्म प्रचार का माध्यम मात्र मानते है। आत्म प्रचार ही इन जैसे लोगों के अस्तित्व का आधार भी है। अपने प्रचार के लिये स्वयं को चर्चा में बनाये रखने के लिये कालीचरण जैसे लोग संविधान में दी गयी अभिव्यक्ति की आजादी का गलत फायदा उठाते है। उन्होंने कहा कि धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिये व्यक्त किये गये अभद्र शब्द सिर्फ गांधी जी का अपमान नहीं यह भारत की आजादी की लड़ाई के महान सेनानियों का अपमान है। गांधी ऐसे रामभक्त थे महात्मा गांधी अंतिम समय में भी उनके मुंह से हे राम ही निकला था। गांधी के हत्यारे गोडसे को प्रणाम करने वाला व्यक्ति चाहे भगवा ध्वज लेकर नारे लगाये या भगवा पहन कर शिव स्त्रोत का वाचन करें वह सच्चा हिन्दू नहीं हो सकता। मरकाम ने कहा कि धर्म संसद वह मंच था जहां से सनातन धर्म के उत्थान देश की आध्यात्मिक और सामाजिक उन्नति पर चर्चा किया जाना सार्थक होता लेकिन दुर्भाग्य से धर्म संसद जैसे महत्वपूर्ण आयोजन के नाम पर जो कुछ किया गया वह सवर्था निंदनीय है। गांधी को गाली दो और समाचार माध्यमों की सुर्खियों में रहने की जो एक पतित परंपरा शुरू की गयी है वह उचित नहीं। इन जैसे अधार्मिक और पाखंडी लोगों के बहिष्कार के लिये संत समाज को स्वयं आगे आना चाहिये। कालीचरण जैसे लोग हिन्दू धर्म के वो खरपतवार है जो सनातन धर्म के प्राचीन, वैभवशाली आध्यात्मिक और धार्मिक परंपरा को नष्ट करने का काम करते है।

साय ने कालीचरण के बयान को व्यक्तिगत विचार बताया

मामले को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि ये उनका व्यक्तिगत विचार है, इस पर हमें कोई टिप्पणी नहीं करनी है। इसे लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। साधु संतों की वाणी पर किसी का कंट्रोल नहीं होता, वे अपनी सोच और विचार के हिसाब से बोलते हैं।

संतों को बोलने की स्वतंत्रता है : कौशिक

वहीं, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि धर्म संसद में देशभर के संत आते हैं, उन्हें बोलने की स्वतंत्रता है। अपनी समझ के हिसाब से अपनी बात रखते हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रपिता है और हम सब उन्हें मानते रहेंगे।

डा. रमन सिंह ने उठाया सवाल आयोजन करने वाले कौन?

पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह मुंगेली के एक कार्यक्रम में शामिल थे,जब उनसे पूछा गया तो उन्होने सवाल करते हुए कहा कि धर्म संसद का आयोजन करने वाला कौन,क्या आयोजकों पर कार्रवाई हो रही है क्या? धर्म संसद स्थापित करने वाले कौन है,यह बीजेपी का तो कार्यक्रम था नहीं,कांग्रेस द्वारा प्रायोजित था। जब इस प्रकार की बातें आ गई तो आरोप भाजपा पर मढ़ा जा रहा है।