सप्रे संग्रहालय के राज्य स्तरीय पत्रकारिता पुरस्कारों की घोषणा…छत्तीसगढ़ के आसिफ इक़बाल व होमेन्द्र देशमुख भी होंगे सम्मानित

asif iqbal and homendra deshmukh

भोपाल (khabargali) माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल के राज्य स्तरीय पत्रकारिता पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है। सप्रे संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक विजयदत्त श्रीधर ने ख़बरगली को बताया कि ‘मध्यप्रदेश संदेश’ के पूर्व संपादक तथा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कार्यपालक निदेशक एवं महानिदेशक रहे अरविन्द चतुर्वेदी का सम्मान किया जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार कमाल खान कमाल, रमेश तिवारी, सर्वदमन पाठक, महेश दीक्षित और मुकुन्द प्रसाद मिश्र को ‘हुक्मचंद नारद पुरस्कार’ प्रदान किया जाएगा।

चयन समिति के निर्णय के अनुसार संतोष कुमार शुक्ल लोक संप्रेषण पुरस्कार – अखिल कुमार नामदेव, माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार – पंकज मुकाती, लाल बलदेव सिंह पुरस्कार – रश्मि खरे, जगदीश प्रसाद चतुर्वेदी पुरस्कार – विकास वर्मा, झाबरमल्ल शर्मा पुरस्कार – संजीव कुमार शर्मा,आरोग्य सुधा पुरस्कार -पुष्पेन्द्र सिंह, रामेश्वर गुरु पुरस्कार – महेश सोनी, के.पी. नारायणन पुरस्कार – ऋतु शर्मा, राजेन्द्र नूतन पुरस्कार – विनोद त्रिपाठी, गंगा प्रसाद ठाकुर पुरस्कार -आसिफ इकबाल (रायपुर), जगत पाठक पुरस्कार – सुशील पाण्डे, सुरेश खरे पुरस्कार – कृष्ण मोहन झा, तथा होमई व्यारावाला पुरस्कार – होमेन्द्र सुन्दर देशमुख को प्रदान किया जाएगा।

चयन समिति में सर्वश्री डा. शिवकुमार अवस्थी, डा. रामाश्रय रत्नेश, श्री चन्द्रकांत नायडू, श्री राकेश दीक्षित एवं डा. मंगला अनुजा सम्मिलित रहे। बेहतर पत्रकारिता का पुरस्करण करने के उद्देश्य से संचालित इन पुरस्कारों में प्रशस्ति पत्र, शाल, कलम और पुस्तकें भेंट की जाती हैं।

जानिए सप्रे संग्रहालय को     

पृष्ठभूमि:- वर्ष 1982-83 में मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी के लिये ' मध्यप्रदेश में पत्रकारिता का इतिहास ' पुस्तक की पाण्डुलिपि तैयार करते हुए संदर्भ सामग्री जुटाने के लिये प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जाना हुआ। तभी इस संकट का एहसास हुआ कि अनेक विद्यानुरागी परिवारों के पास समाचारपत्रों-पत्रिकाओं, अन्य दस्तावेजों और ग्रंथों का दुर्लभ संग्रह है और जर्जर पृष्ठों में संचित यह राष्ट्रीय बौद्धिक धरोहर नष्ट हो सकती हैं पं. रामेश्वर गुरू (जबलपुर) ने यह प्रेरणा दी कि इस सामग्री को एक छत के नीचे संकलित और संरक्षित करने की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिये यह ज्ञान कोश बचाया जा सके। एक वर्ष तक इस दिशा में प्रयास करने के उत्साहवर्धक नतीजे सामने आए। 19 जून 1984 को माधवराव सप्रे समाचारपत्र संग्रहालय का मिशन प्रारंभ हुआ।
महत्वः- पुराने समाचारपत्रों और पत्रिकाओं की इबारतों में इतिहास को रूबरू देखने का रोमांच अनुभव किया जा सकता है। भारत में पत्रकारिता का उद् भव  और विकास नवजागरण के साथ-साथ हुआ है। राजनीतिक, सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, वैज्ञानिक आदि विविध विषय क्षेत्रों की महत्वपूर्ण घटनाओं, उनकी पृष्ठभूमि और उनके फलितार्थों के प्रामाणिक स्रोत समसामयिक अखबारों के पृष्ठों में उपलब्ध है।
विकास:- सन 1984 में रानी कमलापति महल के पुराने बुर्ज से सप्रे संग्रहालय की यात्रा आरंभ हुई। स्थान की कमी पड़ने लगी तब, सन 1987 में आचार्य नरेन्द्रदेव पुस्तकालय भवन के ऊपर नगरपालिक निगम भोपाल ने एक मंजिल का निर्माण कर 3000 वर्गफुट स्थान उपलब्ध कराया। यह जगह भी कम पड़ी तब 19 जून 1996 को सप्रे संग्रहालय अपने भवन में स्थानांतरित हुआ। अब संग्रहालय के पास 11000 वर्गफुट स्थान उपलब्ध है।
ज्ञान कोश:- विगत 25 वर्षों में सप्रे संग्रहालय में 19846 शीर्षक समाचार पत्र और पत्रिकाएं, 28048 संदर्भग्रंथ, 1467 अन्य दस्तावेज, 284 लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकारों-पत्रकारों-राजनेताओं के 3500 पत्र, 163 गजेटियर, 179 अभिनंदन ग्रंथ, 282 शब्दकोश, 467 रिपोर्ट और 653 पाण्डुलिपियां संग्रहीत की जा चुकी हैं। शोध संदर्भ के लिए महत्वपूर्ण यह सामग्री 25 लाख पृष्ठों से अधिक है। संचित सामग्री में हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती भाषाओं की सामग्री बहुतायत में है।
अधिमान्यता:- सप्रे संग्रहालय को चार विश्वविद्यालयों- बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर ने शोध केन्द्र के रूप में मान्यता प्रदान की है।
हितग्राही:- सप्रे संग्रहालय में संचित सामग्री का सन्दर्भ लाभ उठाते हुए 600 से अधिक शोधार्थियों ने डी.लिट्., पीएच.डी. और एम.फिल. उपाधियों के लिये थीसिस पूरी की है। लाभान्वितों में देश-विदेश के शोध छात्र सम्मिलित हैं।
नवाचार:- राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सहयोग से सप्रे संग्रहालय में ' विज्ञान संचार अभिलेखागार '  की स्थापना की गई है।
प्रविधियां:- सप्रे संग्रहालय में जर्जर पाण्डुलिपियों और अन्य सन्दर्भ सामग्री के संरक्षण के लिये माइक्रोफिल्मिंग, डिजिटाइजेशन, लेमिनेशन आदि प्रविधियां अपनाई जा रही हैं।
उपलब्धि:- सप्रे संग्रहालय ने लगभग डेढ़ दशक तक भारतीय पत्रकारिता कोश लिपिबद्ध करने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर कार्य किया। दो खंडों में श्री विजयदत्त श्रीधर ने भारतीय पत्रकारिता कोश तैयार किया है। भारतीय पत्रकारिता कोश के प्रथम खंड में सन 1780 से 1900 तथा दूसरे खंड में सन 1901 से 1947 तक की भारतीय पत्रकारिता का इतिवृत्त दर्ज है। भारत में सभी भाषाओं के समाचारपत्रों और पत्रिकाओं का प्रामाणिक वृत्तांत लिपिबद्ध करने के साथ-साथ सन 1947 तक के भारत के पूरे भूगोल को भी इसमें समाहित किया गया है। सप्रे संग्रहालय के विपुल संदर्भ-संग्रह के अलावा राष्ट्रीय पुस्तकालय कोलकाता, बंगीय साहित्य परिषद कोलकाता और राष्ट्रीय अभिलेखागार नई दिल्ली से भी तथ्य जुटाये गये। अधिकांश सामग्री प्राथमिक स्रोत पर आधारित है।
( sapresangrahalaya.com से साभार )

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