श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर केस में हाई कोर्ट से मिली मंजूरी
प्रयागराज (khabargali) मथुरा में शाही ईदगाह परिसर का सर्वे होगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए शाही ईदगाह मस्जिद की दलीलें खारिज कर दीं. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों की तरफ से याचिका दाखिल कर सर्वे की मांग की गई थी. हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के सर्वे को मंजूरी दे दी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्म भूमि विवाद मामले में बृहस्पतिवार को आदेश देते हुए कहा कि पहले कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी पर सुनवाई होगी. कोर्ट अब 18 दिसंबर को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने के मामले में सुनवाई करेगी. जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए मथुरा की जिला कोर्ट से सभी रिकार्ड तलब कर लिए थे. अक्टूबर महीने से हाईकोर्ट में सीधे तौर पर मथुरा विवाद से जुड़े मुकदमों की सुनवाई हो रही है.
क्या बोले हिंदू पक्ष के वकील
कृष्ण जन्मभूमि मामले पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा "इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हमारे आवेदन को स्वीकार कर लिया है जहां हमने एडवोकेट कमिश्नर द्वारा (शाही ईदगाह मस्जिद के) सर्वेक्षण की मांग की थी. 18 दिसंबर को रूपरेखा तय होगी और कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद की दलीलें खारिज कर दी हैं. यह कोर्ट का एक ऐतिहासिक फैसला है."
जानें मथुरा में कितना पुराना है श्रीकृष्ण जन्मभूमि
ईदगाह विवाद- शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है. 12 अक्तूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया. समझौते में 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों के बने रहने की बात है. पूरा विवाद इसी 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है. इस जमीन में से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. इस समझौते में मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और मुस्लिम पक्ष को बदले में पास में ही कुछ जगह दी गई थी. अब हिन्दू पक्ष पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर कब्जे की मांग कर रहा है.
ये है श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह का इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट करके उसी जगह 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था. 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग हुई. इसमें मराठा जीते. जीत के बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया. 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को आवंटित कर दी. 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली.
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