स्वतंत्रता सेनानी वीर गणेश राम उपाध्याय की मूर्ति की हुई स्थापना

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स्वतंत्रता संग्राम में उपाध्याय परिवार की चार पीढ़ियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है

 रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ कमिश्नरी में 1857 की क्रांति के मसाल को प्रज्वलित रखने वाले शहिद वीर गणेश राम उपाध्याय की मूर्ति की स्थापना केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा के झाड़सुगड़ा एयर पोर्ट में की। उल्लेखनीय है तब वर्तमान क्षेत्र छत्तीसगढ कमिश्नरी के अंतर्गत आता था। अंग्रेज शासन काल में रायपुर से संबलपुर तक छत्तीसगढ क्षेत्र था। बाद में झारसुगड़ा व संबलपुर ओडिशा में शामिल कर लिया गया। उल्लेखनीय है इनके अतिरिक्त क्षेत्र के अन्य सेनानियों की भी मूर्ति स्थापित की गई है। शहीद गणेश राम उपाध्याय रायगढ़ के स्वतंत्रता सेनानी स्व बिहारी लाल उपाध्याय के प्रपितामह थे। यह भी उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता संग्राम में उपाध्याय परिवार की चार पीढ़ियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

मंगल पांडे से ले कर महात्मा गांधी के काल तक उपाध्याय परिवार देश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा रहा। वीर गणेश राम उपाध्याय के पौत्र व सेनानी बिहारीलाल व स्व कन्हैया लाल उपाध्याय उपाध्याय के पिता पंडित चंडी प्रसाद उपाध्याय स्वतंत्र भारत के प्रथम नगर पालिका चुनाव के निर्वाचित प्रथम पार्षद थे। खेल,समाज सेवा व विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पृथक छत्तीसगढ राज्य के आंदोलन में सेनानी बिहारी लाल जी उपाध्याय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के साथ साथ छत्तीसगढ राज्य सेनानी भी रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोसल मीडिया में ट्वीट करते हुए सेनानियों के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए उनके योगदान को कभी न भुलाने वाला प्रेरणात्मक कदम बतलाया है।उन्होंने उनके योगदान को सर्व समाज व युवाओं के लिए प्रेरणास्पद बतलाया है।

गणेश राम उपाध्याय की वीरता से अंग्रेजो के खिलाफ बगावत के स्वर ऐसे तेज हुए

 संबलपुर के तात्कालिक मेजर एच वी इम्पे के आधिकारिक पत्र में वीर गणेश राम उपाध्याय की वीरता का पता चलता है। उल्लेखनीय है अमर सेनानी मंगल पांडे के 1857 के तेवर को छत्तीसगढ़ कमिश्नरी ने जो जिंदा रखा,अंग्रेजो ने उसे कलम बद्ध किया है जो आज भी कटक,कोलकाता व संबलपुर के लेखागार में सुरक्षित है ।

15 फरवरी सन 1858 को आई पी वारलो एनसन की रिपोर्ट पर सन 1864 को वीर गणेश राम उपाध्याय को फांसी हुई थी। उनकी शहादत से समूचे क्षेत्र में क्रांति की लहर फैल गई।वीर भूमि सिहांबगा सहित संबलपुर, रायपुर, झारसुगड़ा सहित छत्तीसगढ़ कमिश्नरी में अंग्रेजो के खिलाफ बगावत के स्वर तेज हो गए।मुख्यालय नागपुर से अंग्रेज अफसरों का एक दल पहुंच कर जायजा लेने विवश हुआ।

उल्लेखनीय है सन 1861में संबलपुर व झरसुगडा के बीच बारह पहाड़ में अंग्रेजो के खिलाफ जो सशस्त्र क्रांति हुई थी उसके नेतृत्वकर्ता वीर गणेश राम उपाध्याय थे। वीर सुरेन्द्र साय सहित उनके विश्वसनीय मित्र पुरुषोत्तम व प्रसाद उपाध्याय जो वीर गणेश राम के सुपुत्र थे शामिल थे।

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