विद्या मितान के मानदेय भुगतान पर सरकार सख्त, CM भूपेश बघेल का विधानसभा में एलान - गड़बड़ी की होगी जांच

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रायपुर 1 मार्च 2019। प्रदेश में प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिये नियुक्त हुए विद्या मितान का मामला आज सदन में खूब गूंजा। इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जांच के आदेश दिये हैं। भूपेश बघेल ने कहा है कि विद्या मितान को मिलने वाले मानदेय के मुद्दे पर जांच की जायेगी।  प्रश्नकाल में रामानुजगंज के विधायक बृहस्पत सिंह ने विद्या मितान की नियुक्ति और उन्हें मिलने वाले मानदेय में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया।

जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में विद्या मितान की संख्या प्रदेश में 2185 हैं। जो अलग-अलग जगहों पर पदस्थ हैं और उन्हें उसी तरह से मानदेय का भुगतान हो रहा है।

सदन में ये बातें भी बतायी गयी कि विद्या मितान को 18 हजार से लेकर 28 हजार मानदेय मिलता है. लेकिन उसके बदले विद्या मितान को सिर्फ 12 से 15 हजार रुपये ही मिल पाता है। इस मामले में सदन में खूब हंगामा हुआ। विपक्ष की तरफ से भाजपा विधायक अजय चंद्राकर, जोगी कांग्रेस सुप्रीमो अजीत जोगी और धर्मजीत सिंह ने इस मामले में सरकार को जमकर घेरा और आउटसोर्सिंग के जरिये भर्ती को रोकने की घोषणा सदन में करने की मांग की। काफी हो-हंगामा के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि

“प्लेसमेंट एजेंसी की तरफ से गड़बड़ी की जो शिकायत आ रही है, कि उन्हें 12 से 15 हजार मिलता है, उनसे सिग्नेचर अलग कराया जाता , जबकि सरकारी खजाने से 28 हजार रुपये जारी होता है, इस पूरे मामले की जांच की घोषणा मैं सदन में करता हूं, और आउटसोर्सिंग के मुद्दे पर प्रशासकीय प्रक्रिया चल रही है, जल्द ही इस पर फैसला लेंगे”

इससे पहले धर्मजीत सिंह ने पूरी तरह से आउटसोर्सिंग को बंद करने की मांग की, वहीं अजय चंद्राकर ने भी कहा कि काफी पहले से प्लेसमेंट एजेंसी के जरिये मिलने वाले भुगतान में गड़बड़ी की शिकायतें आ रही है। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा है कि आउटसोर्सिंग बंद होनी चाहिये, आज ये सवाल आया है, ऐसे में इसे तत्काल बंद करने की घोषणा करनी चाहिये।

हालांकि मंत्री प्रेमसाय सिंह बार-बार परीक्षण कराने की बात कहते रहे, लेकिन विपक्ष सीधे-सीधे आउटसोर्सिंग को खत्म करने और विद्या मितान को प्लेसमेंट एजेसिंयों से अगल करने की मांग करने लगा, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने खड़े होकर ये वक्तव्य दिया।

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