विश्व बाल कैंसर दिवस: बच्चों के कैंसर ठीक होने की संभावना ज्यादा

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रायपुर (khabargali) अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस के अवसर पर, प्रसिद्ध हेमेटोलॉजिस्ट और हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. विकास गोयल, क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अनिकेत ठोके, एवं मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. राकेश मिश्रा ने बच्चों में रक्त कैंसर के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित किया। 15 फरवरी, 2023 को रायपुर में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य बचपन के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना और शुरुआती पहचान और उपचार के महत्व को बताना था।

इस अवसर पर डॉ. गोयल, डॉ. ठोके, एवं डॉ. मिश्रा ने कैंसर ग्रसित बच्चों के अभिभावकों, कैंसर सर्वाइवर्स, एवं शहर के जागरूक नागरिकों को संबोधित करते हुए जागरूकता फैलाई। डॉ. विकास गोयल ने बताया कि रक्त कैंसर, जिसे ल्यूकेमिया भी कहा जाता है, एक प्रकार का कैंसर है जो अस्थि मज्जा में रक्त बनाने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करता है। प्रारंभिक निदान और उपचार से बचने की संभावना में काफी सुधार हो सकता है। उन्होंने साझा किया कि बच्चों में ल्यूकेमिया के लक्षणों में थकान, बार-बार संक्रमण, बुखार, आसानी से चोट लगना या खून बहना और हड्डी और जोड़ों में दर्द शामिल हो सकते हैं। बच्चों में ल्यूकेमिया के उपचार में आमतौर पर कीमोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा और बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन शामिल होते हैं।

डॉ. राकेश मिश्रा ने बताया कि बच्चों में बोन ट्यूमर भी चिंता का कारण हो सकता है। हड्डी के ट्यूमर के कुछ सामान्य लक्षणों में हड्डी में दर्द, प्रभावित क्षेत्र के पास सूजन या कोमलता, और असामान्य गांठ या लंप शामिल हो सकते हैं। बोन कैंसर वाले लगभग 90 प्रतिशत बच्चों का इलाज अंग-बचाने वाली और पुनर्निर्माण सर्जरी के साथ किया जा सकता है। बच्चों में हड्डी के ट्यूमर के लिए उपचार के विकल्प ट्यूमर के प्रकार और स्थान पर निर्भर करते हैं और इसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा या इन तरीकों का संयोजन शामिल हो सकता है।

डॉ. अनिकेत ठोके बताते हैं कि विल्म्स ट्यूमर एक प्रकार का किडनी कैंसर है जो बच्चों में होता है। विल्म के ट्यूमर के कुछ लक्षणों में पेट में दर्द, पेट में लंप या गांठ, बुखार और मूत्र में रक्त आना, शामिल हो सकते हैं। अगर इसका ट्रीटमेंट सही समय पर नहीं करवाया जाए, तो विल्म का ट्यूमर शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है और इलाज करना अधिक कठिन हो जाता है।

डॉ. गोयल, डॉ. ठोके और डॉ. मिश्रा ने सलाह दी कि यदि आप अपने बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण देखते हैं, तो जल्द से जल्द चेकअप करवाना व डॉक्टरी परामर्श लेना जरूरी है। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने आयोजकों को बचपन के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों और इस विनाशकारी बीमारी से प्रभावित बच्चों और परिवारों की देखभाल और सहायता प्रदान करने में हेल्थकेयर वर्कर्स की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।