the poet who created the fragrance of Chhattisgarh's soil and the simplicity of folk life in his words

रायपुर (खबरगली) छत्तीसगढ़ की माटी की खुशबू और लोकजीवन की सादगी को अपने शब्दों में गढ़ने वाले जनकवि केदार सिंह परिहार नहीं रहे। रविवार सुबह उनका निधन हो गया। उनकी प्रसिद्ध पंक्ति “छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर, मंय छानही बन जातेंव” आज भी घर-घर में गूंजती है। उनके निधन से न केवल परिवार, बल्कि साहित्य, संस्कृति और समाज सभी ने अपूरणीय क्षति झेली है।