धार्मिक आस्था एवं साम्प्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है यह पर्व : पुरंदर मिश्रा
रायपुर (khabargali) हमारी धार्मिक आस्था एवं साम्प्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है रथयात्रा जो कि इस साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया अर्थात् 7 जुलाई, रविवार को छत्तीसगढ़ में भी मनाया जायेगा। भक्त और भगवान के सीधे संवाद का दूसरा नाम है रथयात्रा। यह ऐतिहासिक व पारंपरिक पर्व है, जो सीधे भक्त को भगवान से जोड़ता है, जो न केवल छत्तीसगढ़ एवं ओडीशा राज्य की भावनाओं को आपस में जोडती है अपितु इन दोनों राज्यों के बीच आपसी भाईचारा एवं प्रेम बन्धुत्व की भावनाओं को आज के इस आधुनिक युग में भी जीवन्त बनाए हुए हैं। गायत्रीनगर जगन्नाथमंदिर में रथयात्रा की भव्य तैयारी चल रही है। विशिष्टजन इस बार भी शामिल होंगे।
उक्ताशय की जानकारी पत्रकारों को देते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष एवं विधायक पुरन्दर मिश्रा ने बताया कि समूचे ब्रम्हाण्ड में एकमात्र श्री जगन्नाथ महाप्रभु ही ऐसे भगवान हैं, जो वर्ष में एक बार बाहर आकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं, और प्रसाद के रूप में अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। केवल पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में जगन्नाथ जी, बलभद्र जी एवं सुभद्रा जी के लिए तीन अलग अलग रथ बनाए जाते हैं, उसके बाद यह गौरव छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी रायपुर को प्राप्त है। छत्तीसगढ़ में आज भी ऐसे लाखों लोग हैं, जो किसी कारणवश पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मन्दिर के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे भक्तजनों के लिए स्थयात्रा एक ऐसा स्वर्णिम अवसर रहता है जब भक्त और भगवान के बीच की दूरियां कम हो जाती है।
रथयात्रा के दिन श्री जगन्नाथ मन्दिर गायत्री नगर में 11 पन्डितों द्वारा जगन्नाथ जी का विशेष अभिषेक, पूजा एवं हवन करते हुए रक्त चंदन, केसर, गोचरण, कस्तुरी एवं कपूर स्नान के पश्चात् भगवान को गजामूंग का भोग लगाया जाता है। श्री जगन्नाथ जी बारह महीने में तेरह यात्रा करते हैं, केवल चार यात्राएं क्रमश: स्नान पूर्णिमा, नेत्रोत्सव या चन्दन यात्रा, रथयात्रा तथा बाहुड़ा यात्रा में श्री मन्दिर से बाहर निकलकर भक्तों के साथ यात्रा करते हैं।
गायत्री नगर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा के अवसर पर राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ,मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ0 रमन सिंह, उप मुख्यमंत्री द्वय विजय शर्मा एवं अरूण साव समेत और भी विशिष्टजन शामिल होंगे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इस वर्ष आमंत्रित अतिथिगण हवनकुण्ड में पूर्णाहुति के पश्चात् छेरा पहरा (रथ के आगे सोने की झाडू से बुहारना) के पश्चात् विशेष पूजा अर्चना महाप्रसाद वितरण, रथ खींचकर भगवान के रथ को रवाना करने की रस्म अदा करेंगे। रथयात्रा गायत्री नगर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से प्रारंभ होकर बी.टी.आई. ग्रांऊड होते हुए गुण्डिचा मंदिर में समाप्त होगी।
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