इस तरह देश में गणतंत्र हो गया..

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73 वें गणतंत्र दिवस पर लता बघेल की कविता

ख़बरगली @ सहित्य डेस्क

भारत में पहले राजाओं का राज है चला।

फिर मुग़ल बादशाहों ने भी राज है किया।।

मुग़ल गये तो मराठों का राज आ गया।

ये देश देखो अंग्रेजों के हाथ आ गया।।

ज़ुल्म हुए और दुःख भरी कहानियां बनी।

अपने ही देश में रानियां दासियां बनी।।

स्वतन्त्र था, खुशहाल था,जो देश में मेरा।

गुलामियों की जंजीरों में जकड़ गया।।

वीर और वीरांगनाएं देश के लिए।

हंसते हंसते देखो अपनी जान दे गये।।

फिर स्वतंत्रता मिली देश आज़ाद हो गया।

चारों ओर खुशियों का राज हो गया।।

संविधान बने देश को चलाने के लिए।

अधिकार मिला साथ में कर्तव्य भी मिले।।

इस तरह देश में गणतंत्र हो गया।

राजतंत्र से प्रजातंत्र हो गया।।

बढ़ने लगे क़दम देखो ऊंचाइयों की ओर।

देश और समाज की भलाईयों की ओर।।

इक्कीसवीं सदी का ये सरताज बना गया।

विश्व भर के देशों में ये खास बन गया।।

कुछ दुःख भरी कहानियां महामारियों की है।

विश्व व्यापि दुःख और बिमारियों की है।

लाखों गये , अपनों से अपने है बिछड़।

फिर भी ना मानी हार हमने देखो तो इधर।।

मास्क लगा, टीका लगा, दुरियां हुई।

साथ ना रहने की भी मजबूरियां हुई।।

कुछ साथ नहीं अब हां ये तो ग़म है।

मन में मगर उत्साह वहीं क्या ये कम है।।

लहलहा रहा तिरंगा आज गगन में।

वंदे मातरम की गुंज है आज चमन में।।

जय हिन्द देश सारा बोल रहा है।

देश प्रेम है वहीं , वहीं आज़ादी का मोल रहा है।

बधाईयां, बधाईयां बधाईयां तुम्हें। गणतंत्र दिवस की शुभकामना तुम्हें।

  • - लता बघेल (राजपूत) शिक्षिका , कार्मेल कन्या शाला रायगढ ,छत्तीसगढ़