250 करोड़ रुपए का मुआवजा घोटाला: एसडीएम निलंबित

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रायपुर (खबरगली)  छत्तीसगढ़ के जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय कुमार साहू को निलंबित कर दिया गया है। निर्भय साहू पर अभनपुर एसडीएम रहने के दौरान मुआवजा वितरण में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। साथ ही भारत माला परियोजना में भूअर्जन मुआवजा राशि प्रकरण में गड़बड़ी की बात सामने आई थी। जिसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने उन पर कार्रवाई की गई। निर्भय कुमार साहू अभनपुर अभनपुर जिला-रायपुर में सक्षम प्राधिकारी भू-अर्जन के रूप में पदस्थ थे। इसी दौरान रायपुर विशाखापट्नम प्रस्तावित इकॉनामिक कॉरिडोर का सड़क निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। उन्होंने भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में भू-अर्जन के रूप में वास्तविक मुआवजा से अधिक राशि का भुगतान किया था।

घोटाले का खुलासा

एसडीएम ने मुआवजे के वितरण में बड़ा घोटाला किया। नियमानुसार इस परियोजना के लिए 35 करोड़ रुपये का मुआवजा निर्धारित था, मगर छोटे टुकड़ों में ज़मीन बांटकर इसे 326 करोड़ तक पहुंचा दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें से 248 करोड़ रुपये का वितरण भी हो चुका था। बची हुई 78 करोड़ रुपये की राशि को लेकर किसानों के विरोध के बाद इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ।

कैसे हुआ खेल?

भूमि अधिग्रहण के तहत 3ए अधिसूचना जारी होने के बाद भूमि की बिक्री और पुनर्वितरण प्रतिबंधित हो जाती है। लेकिन अभनपुर के नायकबांधा और उरला गांव में इस प्रतिबंध के बावजूद 32 प्लॉटों को 247 छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया ताकि नेशनल हाईवे से अधिक मुआवजा प्राप्त किया जा सके। आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, 32 प्लॉटों के लिए 35 करोड़ रुपये का मुआवजा बनता था, लेकिन एसडीएम ने प्रभावशाली लोगों से मिलकर इन्हें 142 टुकड़ों में बांटा और 248 करोड़ रुपये का मुआवजा बांट दिया। इसके अतिरिक्त, 78 करोड़ रुपये का और दावा किया गया।

घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?

248 करोड़ रुपये जारी होने के बाद जब 78 करोड़ रुपये के और दावों की जांच की गई, तब नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अफसरों को गड़बड़ी का संदेह हुआ। इसके बाद एनएचआई के चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने रायपुर कलेक्टर से मामले की जांच कराने को कहा। हालांकि, यह जांच वर्षों तक लंबित रही, लेकिन दिल्ली से दबाव बढ़ने के बाद रिपोर्ट राजस्व सचिव को भेजी गई। जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि वास्तविक मुआवजा 35 करोड़ रुपये के आसपास ही बनता था, यानी 213 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान किया गया।

बड़े बिजनेसमैन भी शामिल

जैसे ही भारतमाला रोड प्रोजेक्ट की घोषणा हुई, रायपुर और धमतरी के बड़े बिजनेसमैनों ने आस-पास की जमीनें खरीद लीं। कानून के अनुसार, 500 वर्गफुट से छोटे प्लॉट पर आठ गुना अधिक मुआवजा मिलता है। इस नियम का फायदा उठाते हुए जमीनों को छोटे टुकड़ों में बांटकर अधिक मुआवजा लिया गया।

विधानसभा में उठा मुद्दा

विधानसभा के बजट सत्र में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस घोटाले को उठाया। राजस्व मंत्री के जवाब में यह कहा गया कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं थी। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने निर्देश दिया कि अगले प्रश्नकाल में इस पर विस्तृत जानकारी दी जाए।

काम रुका, किसानों का विरोध

78 करोड़ रुपये की राशि अटकी होने के कारण किसानों ने विरोध शुरू कर दिया और सिक्स लेन निर्माण कार्य को रोक दिया। इस मामले को लेकर केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पीडब्ल्यूडी मंत्री अरुण साव की बैठक भी हुई थी, जिसमें परियोजना को जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया गया था।

ग्रीन कॉरिडोर का महत्व

रायपुर से विशाखापट्टनम तक 25,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह 464 किलोमीटर लंबा सिक्स लेन एक्सप्रेसवे छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश से होकर गुजरेगा। छत्तीसगढ़ में 124 किलोमीटर, ओडिशा में 240 किलोमीटर और आंध्र प्रदेश में 100 किलोमीटर इसका हिस्सा होगा। इस हाईवे के बनने से रायपुर से विशाखापट्टनम की दूरी 590 किलोमीटर से घटकर 464 किलोमीटर रह जाएगी और यात्रा का समय 14 घंटे से कम होकर लगभग 7 घंटे हो जाएगा।

एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई

राज्य सरकार ने निलंबन आदेश जारी करते हुए कहा कि निर्भय कुमार साहू ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया। उनके इस कृत्य को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के तहत अनुशासनहीनता माना गया है। निलंबन की अवधि में उनका मुख्यालय बस्तर संभाग, जगदलपुर निर्धारित किया गया है और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा।

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