आशीष सिंह की किताब 'रायपुर' का डॉ. रमन ने किया विमोचन

On behalf of Hari Thakur Memorial Institute, the documentary book 'Raipur' by senior journalist and historian Ashish Singh was released by Legislative Assembly Speaker Dr. Raman Singh, History of Raipur City, Kanchanpur, Kanakpur, Raipur, Chhattisgarh, Khabargali

स्पीकर हाउस बनेगा साहित्य और संस्कृति का केंद्र: रमन

रायपुर (khabargali) स्पीकर हाउस में सोमवार को हरि ठाकुर स्मारक संस्थान की ओर से वरिष्ठ पत्रकार और इतिहास के अध्येता आशीष सिंह की दस्तावेजी किताब 'रायपुर' का विमोचन विधान सभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने किया. इस मौके पर विशेष रूप से उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा भी मौजूद रहे.

डॉ. रमन ने लेखक को बधाई देते हुए कहा कि रायपुर नगर के इतिहास पर आशीष सिंह ने बड़ा काम किया है. रायपुर प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक नगर रहा है. रायपुर को अलग-अलग काल खंडों में कई नाम दिए गए. जैसे कभी इसे कंचनपुर, कभी कनकपुर कहा गया. इससे पता चलता है कि रायपुर की महत्ता सोने के समान रही है. रायपुर को रैपुर भी कहा जाता रहा है. 'रैपुर' का अर्थ माता लक्ष्मी और पुर का अर्थ निवास होना भी बताया गया है. अर्थात वह स्थान जहां मा लक्ष्मी का निवास हो. डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. इतिहास के पन्नों में रायपुर और राज्य का गौरवशाली अध्याय बिखरा हुआ है. इन पन्नों को सहेजने का काम हम सबको मिलकर करना होगा. पौराणिक काल से लेकर वर्तमान तक के रायपुर को बताने और दिखाने का काम करना होगा. रायपुर के अंदर ढेरों ऐतिहासिक धरोहर और निशानियां हैं.

उन्होंने इस दौरान कल्चुरी राजवंश, किला, बूढ़ा तालाब, कलेक्ट्रेट बिल्डिंग और बाबूलाल टॉकिज से जुड़े हुए किस्सों के साथ ही उन्होंने 70 के दशक में रायपुर में हुई कॉलेज की पढ़ाई के दिनों की यादों को भी साझा किया. डॉ. रमन सिंह ने घोषणा भी की स्पीकर हाउस को हम साहित्य और संस्कृति का केंद्र बनाएंगे. राज्य के साहित्यकार, लेखकर, संस्कृतिकर्मी अगर कोई साहित्यिक आयोजन, किताब का विमोचन कराना चाहते हैं तो वे स्पीकर हाउस में कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं. इसकी सुव्यवस्था हाउस के अंदर मौजूद सभागार में की जा रही है. उन्होंने साहित्यकारों और लेखकों को आमंत्रित किया।

पुरखों की स्मृतियों को संजोने हम संकल्पबद्ध: विजय

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि आशीष भैय्या ने जो ऐतिहासिक दस्तावेज तैयार किया वह महत्वपूर्ण है. मैं इस किताब के लेखन के लिए उन्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ. मैं किताब को अभी पढ़ तो नहीं पाया हूँ, लेकिन पन्ने पलट ही रहा था कि मेरी नजर रायपुर के लगभग सौ साल पुरानी एक इमारत पर पड़ी. इससे यह पता चलता है कि रायपुर नगर शताब्दी पूर्व कैसा रहा होगा. इसी तरह के प्रयास हम सबको मिलकर करना है. अतीत के पन्नों को पलटने से वर्तमान को भविष्य का ज्ञान हो सकता है. नई पीढ़ी के समक्ष दस्तावेजी इतिहास को सामने लाते रहे.

श्री शर्मा ने कहा छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 15 साल तक जब डॉ. रमन की सरकार थी तब भी पुरखों की स्मृतियों को संजोने का काम हुआ और वर्तमान में आज फिर से भी बीजेपी की सरकार है तो मैं यह विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि पुरखों की स्मृतियों को संरक्षित, संवर्धित करने हम संकल्पबद्ध हैं.

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ इतिहासकार व साहित्यकार डॉ. रामकुमार बेहार ने की. उन्होंने कहा कि आशीष सिंह ने रायपुर किताब से छत्तीसगढ़ के कई ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र है. यह एक शोधपरक किताब है. पूर्व कुलपति और इतिहासकार डॉ. लक्ष्मीशंकर निगम ने कहा कि सरकारों को ऐसे किताबों का संदर्भ लेकर ऐतिहासिक स्मारकों, दस्तवेजों को संरक्षित करने का काम करना चाहिए.

इतिहासकार डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र ने कहा कि रायपुर नगर इतिहास अत्यंत प्राचीन है. रायपुर के अंदर ही अभी कई स्थानों पर खुदाई करने से अतीत के कालखंड बाहर आने लगेंगे. रायपुर सदियों पूर्व से एक बड़ा व्यापारिक केंद्र भी रहा. उन्होंने विमोचित किताब को कई पी-एच. डी. से बेहतर बताया.

संस्कृति विशेषज्ञ अशोक तिवारी ने कहा कि इस किताब में कई कालखंडों का उल्लेख है. किताब के लिए जरिए जिन ऐतिहासिक धरोहरों का जिक्र किया गया उसे संरक्षित करने का प्रयास होना चाहिए. क्योंकि इस रायपुर नगर से पहली सरकारी बिल्डिंग सिटी कोतवाली जो एक धरोहर थी उसे हम खो चुके हैं.

कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ. सुशील त्रिवेदी, साहित्यकार मीर अली मीर, डॉ. सुधीर शर्मा, शकुंतला तरार, जागेश्व प्रसाद, इंटेक छत्तीसगढ़ चेप्टर के प्रमुख, अरविंद मिश्रा, संस्कृति कर्मी राकेश तिवारी सहित अनेक साहित्यकार, पत्रकार, रंगकर्मी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.

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