
छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह की आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
दो जजों की बेंच ने कहा कि भ्रष्टाचार कैंसर की तरह पूरे समाज में फैल गया है जिसे खत्म करना होगा
प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बार स्वतंत्रता दिवस पर भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाने का संकेत दिया था
नई दिल्ली (khabargali) आज सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रधान सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी को आय से अधिक संपत्ति के मामले में हाई कोर्ट से मिली राहत को वापस लेकर बड़ा संदेश दिया । पीठ ने आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी की । बतातें चलें कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था। आज सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों की पीठ ने कहा कि संपत्ति के समान वितरण से सामाजिक न्याय का सपना देखा गया था। लेकिन संविधान की प्रस्तावना में देखा गया सपना आज भी हकीकत से कोसों दूर है। भ्रष्टाचार भले ही इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार नहीं हो, लेकिन यह निश्चित तौर पर एक प्रमुख बाधा तो है ही। अकूत दौलत जमा करने की कभी न खत्म होने वाली लालच भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह बढ़ा रहा है। ऐसे में संवैधानक अदालतों का देश के नागरिकों के प्रति दायित्व है कि वो करप्शन को लेकर जीरो टॉलरेंस की नजीर पेश करें और ऐसे अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में भारत के नागरिकों से सामाजिक न्याय का जो वादा किया गया है, उसे संपत्ति के वितरण के जरिए ही पूरा किया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार को प्रस्तावना में किए गए इस वादे को पूरा करने की राह का बड़ा रोड़ा बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस स्वतंत्रता दिवस को लाल किले के प्राचीर से भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान का ऐलान किया था। सुप्रीम कोर्ट की आज की टिप्पणी पीएम मोदी के इस अभियान को हरी झंडी के तौर पर देखा जा सकता है। साफ है कि भ्रष्टाचारी नेता हों या अधिकारी, अब उन्हें अदालतों के कड़े रुख का ही सामना करना होगा। पीएम मोदी ने कहा था कि मुझे भ्रष्टाचार को खत्म करना है। मेरे देश के 130 करोड़ लोग मेरा साथ दें ताकि यह देश जीत पाए। सामान्य नागरिक की जिंदगी को आन-बान-शान से जीने का रास्ता बनाना चाहता हूं।
भ्रष्टाचार पाप, इसे दूर करना ही होगा: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा, 'भ्रष्टाचार की बीमारी जीवन के हर क्षेत्र में फैल गई है। अब यह शासन-प्रशासन तक सीमित नहीं रह गई है। कितनी अफसोस की बात है कि अब आम नागरिक भी हताश होकर कहने लगे हैं कि यही उनके जीवन का हकीकत है। जिम्मेदार नागरिक भी मानने लगे हैं कि भ्रष्टाचार उनके जीवन का तरीका बन गया है।' उसने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपना देखा था, उसे पूरा करने के लिए अनिवार्य आदर्शों में लगातार गिरावट आ रही है और समाज में नैतिक मानदंडों का क्षरण तेज गति से बढ़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह संपूर्ण समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
पीठ ने कहा, 'भ्रष्टाचार की जड़ें ढूंढने के लिए बहुत बहस-मुबाहिसे की जरूरत नहीं रह गई है। सनातन धर्म में जिन सात पापों का जिक्र है, उनमें एक 'लालच' अपने पूरे सबाब पर है। दरअसल, संपत्ति की अतृप्त लालच ने भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह फैला दिया है।' इसने आगे कहा, 'अगर भ्रष्ट लोग कानूनी एजेंसियों को ठेंगा दिखाने में सफल होंगे तो फिर पाप की सजा भुगतने का डर भी खत्म हो जाएगा। भ्रष्टाचारी मानते हैं कि नियम-कानून उनके लिए नहीं, ये तो सीधे-सादे लोगों के लिए हैं। उनके लिए तो पकड़ा जाना किसी पाप से कम नहीं।' भ्रष्ट लोग कानूनी एजेंसियों को ठेंगा दिखाने में सफल होते रहेंगे तो उनमें सजा भुगतने का डर भी खत्म हो जाएगा। भ्रष्टाचारी मानते हैं कि नियम-कानून उनके लिए नहीं, वो तो सीधे-सादे लोगों के लिए होते हैं। वो तो यह भी मानते हैं कि उनके भ्रष्ट आचरण से पर्दा उठ जाना पाप है। दुख की बात है कि ऐसा नहीं हो सका क्योंकि सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों की एक जमात ने अपने हितों को सबसे ऊपर रख दिया है। उन्होंने राष्ट्रहित की कीमत पर अपने लिए अकूत संपत्ति जमा की है।'
उसने कहा कि भ्रष्ट लोगों को ढूंढ-ढूंढकर उन्हें कठोर से कठोर सजा दिलाना भ्रष्टाचार निरोधक कानून का मकसद है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अदालतों को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा से कड़ा ऐक्शन लेना अपनी जिम्मेदारी समझना होगा। उसने कहा, 'परियों की कहानियों जैसी ऐसी कोई जादूई छड़ी तो है नहीं जिसे घुमाने मात्र से लालच खत्म हो जाए। ऐसे में संवैधानिक अदालतों का देशवासियों के प्रति यह दायित्व है कि वो भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए और ईमानदार कर्मियों की रक्षा करे क्योंकि कई बार ईमानदार कर्मी भ्रष्टाचारियों की साजिश के शिकार हो जाते हैं। यह बहुत कठिन काम है, लेकिन इस मकसद के लिए हरसंभव कोशिश करनी ही होगी।'
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