डॉ चरणदास महंत ने फिल्म "भूलन द मेज" के निर्माता मनोज वर्मा सहित कलाकारों का सम्मान किया

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फ़िल्म ने प्रदेश को गौरांवित, राष्ट्रीय पटल पर नयी पहचान दी है, प्रदेश का मान बढ़ाने आप सभी पर हर छत्तीसगढिया को गर्व है - डॉ महंत

रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने छत्तीसगढ़ी फिल्म "भूलन द मेज" को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त होने पर प्रदेश के लिए हर्ष का विषय निरूपित करते हुए फिल्म निर्माता निर्देशक मनोज वर्मा सहित फिल्म से संबंधित सभी कलाकारों का अपने निवास पर शॉल श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर विस् अध्यक्ष डॉ महंत ने कहा कि, श्री संजय बक्शी द्वारा लिखित एवं श्री मनोज वर्मा द्वारा निर्देशित छत्तीसगढ़ी फिल्म *भूलन द मेज* को रीजनल फिल्म कैटेगरी में बेस्ट फिल्म *राष्ट्रीय पुरस्कार* हेतु चयनित होने पर मैं फिल्म से सम्बद्ध लेखक, निर्देशक, कलाकार और सहयोगियों को अपनी ओर से हार्दिक बधाई देता हूं । फिल्म *भूलन द मेज* की पटकथा मुख्य रूप से दो सभ्यताओं के अंतर की कहानी है । इसमें एक वैद्य द्वारा *भूलन कांदा* का पौधा दिखाया गया जिसे पार करते ही लोग रास्ते भटक जाते थे और ग्रामीण आदिवासी इसी पौधे से मलेरिया का ईलाज भी करते थे । रास्ते की भूलभुलैया और न्याय व्यवस्था पर *भूलन द मेज* बनाई गई है । वस्तुत: इस फिल्म के माध्यम से हमारी ग्रामीण जीवनशैली और शहरी जीवनशैली के अंतर और अपने मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दिखाने की कोशिश की गई है । इस फिल्म के माध्यम से लेखक निदेशक ने अपनी फिल्म में यह भी संदेश दिया है कि हमें समाज के प्रत्येक जीवनशैली का सम्मान करना चाहिए । अपनी आधुनिकता की सोच से हमारा अतीत आहत न हो इसका भी हमें ध्यान रखना चाहिए । समाज में सभी सभ्यताओं और संस्कृति और मान्यताओं के महत्व को स्वीकार करना चाहिए। यही इस फिल्म का संदेश है ।

विस् अध्यक्ष डॉ महंत ने सम्मान पाने वाले कलाकार फ़िल्म निर्देशक निर्माता मनोज वर्मा, अनुराधा दुबे, पुष्पेंद्र सिंह, सलीम अंसारी, सुनील सोनी, शैलेंद्रधर दीवान को अपनी ओर से हार्दिक बधाई देता हॅूं और आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हॅू । *भूलन द मेज* छत्तीसगढ़ी फिल्म का पुरस्कृत होना वस्तुतः मैं छत्तीसगढ़ का सम्मान मानता हॅूं यह सम्मान हमारी आदिवासी संस्कृति हमारी ग्रामीण संस्कृति का सम्मान है, हमारी जीवनशैली का सम्मान है । मैं यह भी मानता हॅूं कि इस पुरस्कार के प्राप्त होने से राष्ट्रीय फिल्म पटल पर हमारी संस्कृति हमारे लोक संस्कार और हमारी जीवनशैली को एक नई पहचान मिली है और इस पहचान को हासिल करने के लिये जिन जिन की भूमिका रही है उन सभी के योगदान की मैं सराहना करता हॅूं और हृदय से अभिनंदन करता हॅू । विस् अध्यक्ष डॉ महंत ने कहा कि, यह प्रथम अवसर है जब किसी छत्तीसगढ़ी फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ हो । निश्चित है यह अवसर हम हम सब छत्तीसगढ़ियों के लिये गौरव प्रदान करने वाला है। इस पुरस्कार ने छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को न केवल पहचान दी है अपितु भविष्य में इस फिल्म को छत्तीसगढ़ के फिल्म उद्योग के लिए एक मार्गदर्शी भी मानता हूं ।