महान शासक महाराजा जस्सा सिंह रामगढ़िया के 300वें जन्मदिन पर सिक्खों ने शहर में की बाईक रैली

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रामगढ़िया सेवक सभा रायपुर का आयोजन, रविवार को कार्यक्रम का होगा समापन

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रायपुर (khabargali) पंजाब में रामगढ़िया मिसल (सेना) के प्रमुख महाराजा जस्सा सिंह रामगढ़िया जी का 300वां जन्मदिन मनाते हुए रामगढ़िया सेवक सभा रायपुर ने आज बाबा बुढ़ा जी गुरुव्दारा तेलीबांधा से टाटीबंध तक एक बाईक रैली का आयोजन किया। इसमें सिक्ख समाज की युवा महिलाएं, पुरुषों और बुजुर्गों ने भी भाग लिया। सभा के अध्यक्ष जसविन्दर सिंह राणा के अनुसार सिक्खों की नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों के बहादुरी, लोक प्रशासन और इतिहास से अवगत कराने के लिए इस बाईक रैली का आयोजन किया गया। रैली को सबसे वरिष्ठ सदस्य सरदार फकीर सिंह मुद्दड़ ने निशान साहिब वाला केसरिया झंड़ा दिखा कर रवाना किया।

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रैली में केसरिया झंड़े के साथ युध्द में बहादुरी का जोश भरने वाले गीतों के साथ यह रैली तेलीबांधा से शास्त्री चौक जनसंपर्क् चौक,बूढ़ातालाब, पुरानी बस्ती, लाखेनगर, राजकुमार कालेज, टाटीबंध होते हुए सरोना स्थित रामगढ़िया सेवक सभा भवन पहुंच कर समाप्त हुई।

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रैली में रामगढ़िया सेवक सभा से जसविंदर सिंह राणा,अटल सिंह हंसपाल ,मलकीत सिंह रीहल , गुरबचन सिंह भामरा, मंजीत सिंह पानेसर ,सुरेंद्र सिंह हंसपाल ,ओंकार सिंह मुद्दर ,खलविंदर सिंह नानेद ,हरदीप सिंह भामरा, रंजीत सिंह पानेसर ,सतनाम सिंह कलसी ,निक्कू सिंह, महिलाओ में प्रीति कौर,कवलजीत कौर,मनप्रीत कौर,जसविंदर कौर,प्रीति सलूजा,मंजीत कौर ,एवम दलजीत सिंह के नेतृत्व में युवा नौजवान एवम महिलाए भी उपस्थित थे।

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महाराजा जस्सा सिंह रामगढिया का जन्म दिवस तीन दिन तक मनाया जा रहा है। सरोना स्थित रामगढिया सेवक सभा भवन में अंखड़ साहिब का पाठ प्रारंभ किया गया है जो रविवार दोपहर 12 बजे समाप्त होगा। इसके बाद जस्सा सिंह के जीवनी पर प्रकाश डाला जाएगा तथा गुरु का लंगर का आयोजन होगा।

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रामगढ़िया ने लालकिला जीत कर मुगल शासक शाह आलम का तख्ते ताऊस उखाड़ा और ले गए थे अमृतसर

स्वर्ण मंदिर परिसर के रामगढ़िया बुंगा में लगा है पत्थर

सिक्खों का इतिहास महाराज जस्सा सिंह रामगढ़िया के बहादुरी और साहसी कार्यो से भरा है। महाराजा जस्सा सिंह रामगढि़या जैसे बहादुर सेनापति मुगलों से कई लडाईयां लडी। उन्होनें 11 मार्च 1783 को सिख नेता बाबा बघेल सिंह, जस्सा सिंह आहलूवालिया और 30 हजार सिक्ख सैनिकों के साथ मुगल शासक शाह आलम व्दितीय को युध्द में पराजित कर दिल्ली के लाल किला पर केसरी निशान साहिब का झंडा फहराया था। रामगढ़िया मिसल के कमांडर जस्सा सिंह रामगढिया ने लाल किला को फतेह करने के साथ ही मुगल शासक शाह आलम का तख्त-ए-ताऊस का वह पत्थर जिस पर बैठकर मुगल बादशाहों की ताजपोशी होती थी, वह उखाड़ी और उसे अकाल तख्त साहिब के चरणों में ला कर रख दिया। तख्त-ए-ताऊस की इसी शिला पर बैठकर मुगल बादशाह औरंगजेब ने हिंदुओं का धर्मांतरण कराने का फुरमान जारी किया था। इसी पर बैठकर मुगल बादशाहों ने सिखों के नौवें गुरु हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब, भाई मनी सिंह और भाई मतीदास को शहीद करने के फतवे जारी किए थे। सिल और लाल किले से उखाड़े गए 44 पिल्लर संगलों व रस्सों से बांधकर अमृतसर लाए थे। यह मुगल शासक का तख्ते ताऊस का पत्थर आज भी दरबार साहिब अमृतसर के परिसर में रामगढ़िया बुंगा के नाम से देखा जा सकता है। जस्सा सिंह रामगढ़िया (1723 -1803) सिक्ख रामगढ़िया मिसल के संस्थापक कमांडर और शासक थे। खालसा पंथ की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाने वाले महान रामगढ़िया मिस्ल के संस्थापक के रूप में उनका नाम हमेशा जीवित रहेगा।

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