उनकी लिखी शोधपरक पुस्तक के आधार पर राम के वनगमन मार्ग का विकास किया जा रहा है
रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध इतिहासकार और पुरातत्वविद डॉ. हेमू यदु जी 70 वर्षीय का शुक्रवार 5 जनवरी को निधन हो गया है। वे प्रकृति और तृप्ति के पिता थे। गौरतलब है कि श्री यदु ने छत्तीसगढ़ पर्यटन और पुरातत्व पर बहुत शोध किया और अनेकों पुस्तकें लिखीं। हेमू यदु के द्वारा छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग के लिए राम वन गमन पथ के नाम से पुस्तक का प्रकाशन किया गया था। इसी पुस्तक के आधार पर राम के वनगमन मार्ग का विकास किया जा रहा है। वे 8 वर्ष पहले एंटीकरप्शन विभाग से सेवानिवृत्त हुए। हेमू यदु की अंतिम यात्रा 06 जनवरी 2024 को शैलेन्द्र नगर निज निवास से मारवाड़ी मुक्तिधाम के लिए सुबह 10.30 तक प्रस्थान करेगी।
उनकी लिखी यशोदा की रामायण बेहद चर्चित हुई
इतिहासकार और पुरातत्वविद हेमू यदु छत्तीसगढ़ के विविध विषयों पर पुस्तक लिखी लेकिन कोरोना काल के दौरान उन्होंने 1 साल के समय में एक उपन्यास लिखा है। जिसका नाम उन्होंने यशोदा की रामायण का नाम दिया है। इस उपन्यास की सबसे खास बात यह है कि इस उपन्यास में त्रेता और द्वापर युग का अलौकिक वर्णन किया गया है। इस उपन्यास को लिखने वाले लेखक हेमू यदु ने यशोदा के रामायण में कृष्ण कथा और रामकथा के साथ छत्तीसगढ़ के राम वन पथ गमन का भी इस उपन्यास में जिक्र किया है। भागवत सुनने के दौरान उन्हें प्रेरणा मिली। जिसके बाद उन्होंने इस उपन्यास का लेखन कार्य शुरू किया। इस उपन्यास का नाम यशोदा की रामायण रखा गया।
उन्होंने राम पथ वन गमन के प्रामाणिक तथ्यों के साथ महानदी के उद्गम और राम वन गमन के स्थानों जैसे मां कौशल्या का जन्म स्थान कौशल दंडकारण्य क्षेत्र महानदी का उद्गम नगरी सिहावा और चंद्रपुरी जो वर्तमान समय में चंदखुरी के नाम से जाना जाता है। आरंग के पुरातन राम वन गमन की घटनाओं से जोड़कर प्रामाणिक तौर पर इस उपन्यास में दिलचस्प तरीके से लिपिबद्ध किया गया।
अब यादें शेष हैं..
यदु जी की प्रसिद्ध पुस्तकें
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